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कार्बन उत्सर्जन कटौती में क्यों मुश्किल है अरब देशों की राह?

इन देशों की अर्थव्यवस्था जीवाश्म ईंधनों की बढ़ती मांग पर निर्भर है और वे गैर-तेल एवं गैस उद्योगों को ध्यान में रख कर तैयार की गई आर्थिक विविधीकरण रणनीतियों को लंबे समय से आगे बढ़ा रहे हैं.

कार्बन उत्सर्जन कटौती में क्यों मुश्किल है अरब देशों की राह?

Friday November 11, 2022 , 3 min Read

बाली में आगामी जी 20 सम्मेलन में, इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन में परिवर्तन करने पर चर्चा कर रहे अरब प्रायद्वीप के सभी तेल एवं गैस संपन्न देश कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

इन देशों की अर्थव्यवस्था जीवाश्म ईंधनों की बढ़ती मांग पर निर्भर है और वे गैर-तेल एवं गैस उद्योगों को ध्यान में रख कर तैयार की गई आर्थिक विविधीकरण रणनीतियों को लंबे समय से आगे बढ़ा रहे हैं. कार्बन में कटौती करना उनके लिए हाल में एक प्रमुखता बनी है.

हालांकि, जी 20 समूह में शामिल सभी देशों ने कम-कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. वहीं, तेल एवं गैस संपन्न अरब देशों में घोषित जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के उपयोग में परिवर्तन की रणनीतियों को कुछ देशों ने छलावा बताते हुए खारिज कर दिया है.

जलवायु परिवर्तन पर सफल कार्यवाही के बगैर इन देशों के भविष्य में कहीं अधिक प्रचंड धूल भरी आंधी, गर्म हवाओं का सामना करने की संभावना है.

यदि जलवायु कार्रवाई सफल रहती है तो जीवाश्म ईंधनों की मांग में कमी का उन्हें सामना करना पड़ेगा, जो पिछली सदी से ही उनकी अर्थव्यवस्था की बुनियादी बनी हुई है.

अरब देश 2017 से ही जलवायु परिवर्तन और शून्य कार्बन उत्सर्जन की घोषणा कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने खुद को अंतरराष्ट्रीय जलवायु नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सीओपी28 की मेजबानी करने का प्रस्ताव दिया है.

यूएई के 2017 में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन योजना जारी करने से लेकर 2035 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 7.4 प्रतिशत तक घटाने के कुवैत के संकल्प को इन देशों द्वारा इस सिलसिले में उठाये गये कदमों के रूप में देखा जा सकता है.

सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, दोनों देशों ने 2020 से अर्थव्यवस्था की उत्पादन एवं उपभोग नीतियों की घोषणा की और पिछले 18 महीनों में यूएई, सउदी अरब, बहरीन, ओमान तथा हाल ही में कुवैत ने 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है.

जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा के उपयोग में परिवर्तन की नीतियों ने मौजूदा आर्थिक विविधीकरण रणनीतियों को हटाने के बजाय उन्हें विस्तारित कर दिया है तथा क्रियान्वयन में वे समान चुनौतियों का सामना करेंगे.

ऊर्जा सब्सिडी में सुधार करना, विविधीकरण का मुख्य तत्व है. हाल के वर्षों में ईंधन और बिजली सब्सिडी को घटाने के कदम पर चिंता जताई गई है. संयुक्त अरब अमीरात में 2015 में ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से खत्म कर दिया गया.

खाड़ी देशों में आर्थिक विविधीकरण और जलवायु परिवर्तन रणनीतियां तेल बाद के युग को ध्यान में रख कर तैयार की गई हैं. हालांकि, उनके आर्थिक विविधीकरण की रणनीतियां तेल एवं गैस निर्यात अधिक से अधिक बढ़ाने पर निर्भर है जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को बढ़ा रही हैं.

जनसंख्या वृद्धि और ऊर्जा की अधिक खपत वाले भारी उद्योगों का विविधीकरण करने की शुरूआती कोशिशों के चलते तेल एवं गैस की घरेलू खपत तेजी से बढ़ी है.

इस तरह, खाड़ी देशेां में कार्बन उत्सर्जन में कटौती की रणनीतियों में मुख्य जोर घरेलू ऊर्जा उत्पादन के हिस्से में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत बढ़ाने पर दिया गया है.


Edited by Vishal Jaiswal