फिनलैंड की प्रधानमंत्री के समर्थन में क्यों डांस कर रही हैं दुनिया भर की महिलाएं
फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन का डांस वीडियो देख उन पर अशालीन होने का आरोप लगा रहे लोगों को जवाब दे रही हैं दुनिया भर में हजारों नाचती हुई महिलाएं.
इन दिनों ट्विटर पर एक हैशटैग वायरल हो रहा है- ‘इन सॉलिडैरिटी विद सना’ (#SolidaritywithSanna). इस हैशटैग में दुनिया भर से हजारों महिलाएं अपना डांस करता हुआ वीडियो पोस्ट कर रही हैं. वो घर के कमरे, छत और बगीचे से लेकर सड़क पर, ट्रेन में, बस में, पानी के जहाज में, पार्टी में हर जगह नाच रही हैं. दुनिया भर से महिलाएं सना मरीन को टैग करके उन पर मुहब्बत लुटा रही हैं.
ऑस्ट्रेलिया की राजनीतिज्ञ और रीजन पार्टी से सांसद फिओना पैटन ने ट्वीट करके लिखा है- “यदि आपके देश के प्रधानमंत्री ने सबसे बुरा काम ये किया है कि वो किसी पार्टी में दिल खोलकर, उन्मुक्त होकर नाची हैं तो आपका देश बहुत भाग्यशाली है.” ईरान की एक महिला लिखती हैं, “जिस दुनिया में औरतें एक दूसरे के सहयोग और समर्थन में खड़ी हो रही हैं, वह दुनिया बेहतर हो रही है.”
कौन हैं सना मरीन
सना मरीन फिनलैंड की प्रधानमंत्री हैं. वह सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ फिनलैंड की नेता हैं, जो दिसंबर, 2019 में देश की प्रधानमंत्री चुनी गईं. वह फिनलैंड के प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की महिला हैं. 2015 में जब वह पहली बार सांसद बनीं तो उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी.
पिछले दिनों सना मरीन का एक वीडियो मीडिया में लीक हो गया, जिसमें वह एक घर की पार्टी में उन्मुक्त होकर डांस कर रही हैं. उन्होंने सफेद रंग का ढीला-ढाला ट्राउजर और काले रंग का टैंक टॉप पहना हुआ है और अपने दोस्तों के साथ डांस कर रही हैं.
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर आते ही विपक्षी पार्टी और बहुत सारे आम लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री का इस तरह डांस करना प्रधानमंत्री पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है. यह अशालीन और असभ्य आचरण हैं. विपक्ष ने उन पर अपने पद से इस्तीफा देने तक की मांग कर डाली.
फिनलैंड समेत दुनिया भर के मीडिया में इस वक्त यह मुद्दा छाया हुआ है. लेकिन खुशी की बात ये है कि सना मरीन के समर्थन में आ रहे ट्वीट्स और सोशल मीडिया रिएक्शंस की संख्या उनकी आलोचकों से कहीं ज्यादा है. सॉलिडैरिटी विद सना पिछले दो दिन से टॉप ग्लोबल ट्रेंड बना हुआ है.
यह पहली बार नहीं है, जब किसी जिम्मेदार राजनीतिक पद पर बैठी महिला की निजता का उल्लंघन करते हुए उनके निजी जीवन को निशाना बनाया गया है. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेंसिंदा अर्दर्न को कई बार सोशल मीडिया पर बेहद बचकानी और मूर्खतापूर्ण बातों के लिए ट्रोल होना पड़ा है. न्यूजीलैंड के अखबार हेराल्ड में छपी खबर के मुताबिक 2020 में जब दूसरी बार उनकी पार्टी भारी बहुमत के साथ सत्ता में दोबारा लौटी तो उनके और उनके पार्टी से चुनाव लड़ रही महिला नेताओं के खिलाफ दो लाख से ज्यादा ट्वीट किए गए.
गौरतलब बात ये है कि इतने ट्वीट तब नहीं किए गए, जब पैनडेमिक के दौरान जेसिंडा और उनकी पार्टी के सांसदों ने अपनी तंख्वाह में 20 फीसदी की कटौती की. सना मरीन के प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों के भीतर पूरी दुनिया में पैनडेमिक फैल गया था. तब उन्होंने अपने देश में इमर्जेंसी की घोषणा कर दी. सभी कैबिनेट सदस्यों और सरकारी कर्मचारियों को दिन-रात काम पर लगाया गया. नतीजा ये रहा है कि फिनलैंड में कुल साढ़े बारह लाख कोविड केसेज आए और पांच हजार लोगों की मृत्यु हुई. फिनलैंड यूरोप के उन चंद देशों में से एक है, जो कोविड से सबसे कम प्रभावित हुए.
आज की तारीख में सना मरीन दुनिया की उन उंगलियों पर गिनी जा सकने लायक साहसी और मुखर प्रधानमंत्रियों में से एक हैं, जो चीन के उइगुर मुसलमानों से लेकर नाटो तक के मुद्दे पर बिना लाग-लपेट के अपनी बात रखती हैं. सना की कैबिनेट फिनलैंड की अब तक सबसे ज्यादा महिला मंत्रियों वाली कैबिनेट है. कैबिनेट के 19 सदस्यों में से 12 महिलाएं हैं.
सना के समर्थन में सोशल मीडिया पर आवाज उठा रही महिलाएं पूछ रही हैं कि अपने दोस्तों के साथ पार्टी में डांस करना अपराध कब से हो गया. यह संविधान की किस किताब में लिखा है कि प्रधानमंत्री पार्टी नहीं कर सकती, अपने दोस्तों के साथ नाच नहीं सकती, शराब नहीं पी सकती और खुश नहीं हो सकती. गरिमा और शालीनता की यह मूर्खतापूर्ण परिभाषा आखिर आती कहां से है. ये कौन तय करता है.
सोशल मीडिया पर महिलाओं की ट्रोलिंग कोई नई बात नहीं है. भारत में भी महिला नेताओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है, यह कहना है एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल की साल 2020 की एक रिपोर्ट का. यह रिपोर्ट कहती है कि भारतीय महिला नेताओं की ट्रोलिंग यूके और अमेरिका की महिला नेताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
यह तथ्य तो दीगर है कि सोशल मीडिया पर महिलाओं को ट्रोल किया जाता है और खासतौर पर यदि वह कोई सेलिब्रिटी या जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति हो. लेकिन उससे बड़ी और महत्वपूर्ण बात ये है कि उसी सोशल मीडिया पर किसी महिला के ट्रोल होने पर लाखों की संख्या में दूसरी महिलाएं उसके समर्थन में खड़ी हो जाती हैं.
पिछले साल 7 अप्रैल को तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में यूरोपियन यूनियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन द लेयेन के साथ जो हुआ, उसके बाद ट्विटर तुर्की और यूरोप की हजारों महिलाओं के ट्वीट्स से पट गया, जो उन्होंने उर्सुला के समर्थन में किए थे. हुआ ये था कि यूरोपियन यूनियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन द लेयेन और यूरोपियन काउंसिल के हेड चार्ल्स मिशेल तुर्की के राष्ट्रपति राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के साथ मीटिंग के साथ प्रेसिडेंशियल पैलेस गए, लेकिन वहां बैठने के लिए कुर्सी सिर्फ पुरुष को दी गई. उर्सुला खड़ी रहीं. फिर क्या था, खुद तुर्की की महिलाओं ने एर्दोआन की जो लानत-मलामत की, कई दिनों तक यही मुद्दा ट्विटर पर छाया रहा.
बात ये है कि औरतों का ट्रोल होना नया नहीं है, लेकिन उनकी सॉलिडैरिटी नई है. उनका बहनापा, उनकी आपसी एकता और हर मुद्दे पर साथ खड़ा होना, एक-दूसरे का समर्थन करना नया है. ईरान की उस पत्रकार ने ठीक ही लिखा था- “जिस दुनिया में औरतें एक दूसरे के सहयोग और समर्थन में खड़ी हो रही हैं, वह दुनिया बेहतर हो रही है.”