रोजाना औसतन 12 लाख की बिक्री कर महिलाओं ने लिखी स्टार्टअप की नई इबारत
अलीगढ़ (उ.प्र.) की महिलाओं ने स्टार्टअप विलेज आंत्रप्रेन्योरशिप में पहली बार देश में एक दिन में 12.50 लाख की बिक्री का इतना बड़ा रिकॉर्ड बना दिया कि इस बेमिसाल कामयाबी पर पिछले दिनो सरकार ने यहां एसवीईपी का पहला 'बिग मिलियन डे' मनाया। ये महिलाएं सालाना 40 करोड़ रुपए के उत्पाद बेच रही हैं।
आधी आबादी के लगातार सशक्तीकरण की ओर अग्रसर भारत में आजकल महिलाएं कार्पोरेट जगत, खासकर स्टार्टअप में तो परचम फहरा ही रही हैं, ग्रामीण महिलाएं भी आंत्रप्रेन्योरशिप में उनसे कुछ कम नहीं हैं। अलीगढ़ (उ.प्र.) की महिलाओं ने स्टार्टअप विलेज आंत्रप्रेन्योरशिप (ग्रामीण उद्यमिता) में पहली बार देश में एक दिन में 12.50 लाख की बिक्री का रिकॉर्ड कायम कर दिया। उनकी इस बेमिसाल कामयाबी पर पिछले दिनो सरकार ने जिले के टप्पल ब्लॉक में एसवीईपी का पहला 'बिग मिलियन डे' मनाया।
अलीगढ़ की ये महिलाएं हर साल करीब 40 करोड़ के उत्पाद तैयार कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि हमारे देश में महिलाएं आजकल न सिर्फ स्थापित ब्रांडों, बल्कि स्टार्टअप फर्मों में भी सीईओ की भूमिका निभा रही हैं। ऐसी कई महिलाएं हैं, जो अपने सपने सच करने के लिए सफल प्लेटफार्म पर तरह-तरह के प्रॉडक्ट लॉन्च करने की हिम्मत कर रही हैं। इन महिलाओं की सफलता भारत में न सिर्फ अपनी यूनिक वेंचर स्थापित करने की सीख दे रही है बल्कि प्रोफेशनल और पर्सनल लॉइफ को संतुलित रखने का भी पाठ पढ़ा रही है।
अलीगढ़ जिले का टप्पल ब्लॉक पिछले दिनो एसवीईपी में एक दिन में सबसे अधिक कारोबार करने वाला देश का पहला विकासखंड बन गया। यहां की महिलाएं वर्ष 2017 से एसवीईपी योजना से जुड़ने लगी थीं। सरकार ने एसवीईपी में चयन के बाद महिला समूहों को प्रशिक्षण के साथ सस्ते ब्याज पर कर्ज भी दिया तो उनके कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली। उनकी कमाई भी लगातार इजाफा होने लगा। मसलन, यहां के गांव कुराना की बबली का ग्रुप खुद के बनाए बैग सप्लाई कर आसपास के कस्बों में खूब कमाई कर रहा है।
अमन समूह की संचालिका रानी देवी बताती हैं कि वह वर्ष 2016 में समूह से जुड़ी थीं। शुरुआत में इतना पैसा नहीं था कि कोई बड़ा काम शुरू कर पातीं। फिर समूह को स्टार्टअप योजना में शामिल कर दिया गया। अब वह घर पर चप्पल प्रॉडक्शन का स्टार्टअप चला रही है। इसमें छह अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिला हुआ है। यह ग्रुप रोजाना करीब पांच हजार रुपए की चप्पलें बेच ले रहा है।
अभी हाल ही में टप्पल (अलीगढ़) की महिलाओं ने घूंघट की ओट से निकलकर ग्रामीण स्टार्टअप की नई इबारत लिखीहै। ऐसा पहला अवसर रहा, जब भारत के किसी ब्लॉक क्षेत्र की महिलाओं द्वारा एक दिन में 12 लाख रुपए से अधिक की बिक्री दर्ज की गई। टप्पल के 1155 कुटीर उद्योगों से 87 गांवों की करीब 10 हजार महिलाएं सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं।
छोटी-छोटी इकाइयों में यह महिलाएं जूते, चप्पल, रेडीमेड कपड़े, दोना-पत्तल, बैग, एलईडी बल्ब आदि तरह-तरह के उत्पाद बना रही हैं। ये महिलाएं एक वर्ष में लगभग चालीस करोड़ रुपए के उत्पाद तैयार कर लेती हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से स्टार्टअप ग्रामीण उद्यमिता की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी। वर्ष 2018 तक यह 24 राज्यों के 125 विकास खंडों में फैल गई।
गौरतलब है कि इससे पहले देश में ग्रामीण उद्यमिता स्टार्टअप प्रशिक्षण के लिए आंध्र प्रदेश की ही महिला उद्यमियों को ही प्रमुख रूप से बुलाया जाता रहा है। अब टप्पल की महिलाओं की उसमें सबसे ज्यादा अहमियत हो गई है। एनआरएलएम के जिला समन्वयक जर्नादन यादव तो बताते हैं कि टप्पल के ये महिला समूह किसी एक दिन नहीं, बल्कि रोजाना ही कम से कम 12 लाख का उत्पाद तो बेच ही लेते हैं।
पहले रिकॉर्ड बिक्री पर ई-कॉमर्स कंपनियां ही बिग मिलियन डे मनाती रही हैं, लेकिन पिछले दिनों ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देशभर में जब एसवीईपी का सर्वे कराया तो महिला स्टार्टअप में टप्पल सबसे अधिक सफल मिला। एक दिन में 12 लाख रुपये से ज्यादा के सामान की बिक्री करने पर सरकार ने तीन नवंबर को टप्पल में देश का पहला 'बिग मिलियन डे' मनाया, जिसमें कामयाब ग्रामीण महिला उद्यमियों के अलावा प्रदेश और केंद्र के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।