नौकरी दिलाने वाली एजेंसियों के विनियमन के लिये कार्य योजना बनाने पर विचार किया जा रहा है: समिति
उच्च न्यायालय ने संबंधित सरकारी आदेश को सख्ती से लागू करने की कार्ययोजना बनाने के लिये वकीलों, दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और दिल्ली महिला एवं बाल कल्याण आयोग की अध्यक्ष समेत नौ सदस्यीय समिति का गठन किया था।
नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति ने अदालत को बताया है कि घरेलू कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों के विनियमन के लिये दिल्ली प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी (विनियमन) आदेश, 2014 को सख्ती से लागू करने की कार्य योजना तैयार करने पर विचार चल रहा है।
उच्च न्यायालय ने संबंधित सरकारी आदेश को सख्ती से लागू करने की कार्ययोजना बनाने के लिये वकीलों, दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और दिल्ली महिला एवं बाल कल्याण आयोग की अध्यक्ष समेत नौ सदस्यीय समिति का गठन किया था।
न्यायमूर्ति जे आर मिढा और न्यायमूर्ति बृजेश सेठी ने मंगलवार को कहा कि समिति विचार-विमर्श जारी रखते हुए 17 दिसंबर को अगली तारीख तक रिपोर्ट दाखिल करे।
पीठ ने कहा कि अदालत के न्यायमित्र और समिति के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूल्का समिति की प्रगति से संतुष्ट हैं।
अदालत को यह भी बताया गया कि समिति की अगली बैठक छह नवंबर को होनी है।
इससे पहले 24 सितंबर को अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्ट्या ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी (विनियमन) आदेश, 2014 का सही ढंग से कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा।
अदालत एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने 28 सितंबर 2019 से लापता नाबालिग बेटी को पेश करने की अपील की थी।
बाद में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा (मानव तस्करी रोधी इकाई) ने लड़की को ढूंढकर अदालत को बताया कि वह असम में अपने गृह नगर वापस जाना चाहती है और गैर-सरकारी संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' लड़की को हवाई यात्रा का टिकट मुहैया कराएगा। एक महिला पुलिस अधिकारी दिल्ली से उसके साथ असम जाएगी।
फूल्का ने कहा था कि प्लेसमेंट एजेंसियां युवा लड़कियों को काम दिलाने के बहाने मानव तस्करी में संलिप्त हैं।
उन्होंने कहा था कि प्लेसमेंट एजेंसियों को उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये, लेकिन इनका घोर उल्लंघन हो रहा है।
(साभार: PTI)