World Autism Awareness Day: ऑटिज्म होने के बावजूद इन लोगों ने लिखी जिंदगी की नई दास्तां
ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो एक इंसान की बातचीत करने और दूसरे लोगों से सम्यक व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है। इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग देखने को मिलते हैं।
हर वर्ष World Autism Awareness Day मनाया जाता है और इस वर्ष इसकी थीम “Inclusive Quality Education for All” है।
भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, देश में अनुमानित 18 मिलियन लोगों को Autism Spectrum Disorder (ASD) के साथ रहना माना जाता है, जो सामाजिक, संचार और व्यवहारिक चुनौतियों से संबंधित विकास संबंधी अक्षमताओं का एक समूह है।
ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो एक इंसान की बातचीत करने और दूसरे लोगों से सम्यक व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है। इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग देखने को मिलते हैं। आमतौर पर देखा गया है कि ऐसे कुछ बच्चे या व्यक्ति बहुत जीनियस होते हैं। चूंकि ऑटिस्टिक व्यक्तियों में समानुभूति की कमी होती है, इसलिए वे दूसरों तक अपनी भावनाएं नहीं पहुंचा पाते या दूसरों के हाव-भाव व संकेतों को समझ नहीं पाते।
ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की महत्वपूर्ण संख्या के बावजूद, देश में विकासात्मक विकार के बारे में बहुत कम जागरूकता है, जिसके कारण स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल और समाज में बहिष्कार होता है।
वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस बीमारी से लड़ते हुए जिंदगी में नई उमंग के साथ आगे बढ़ रहे हैं और सभी चुनौतियों को पार कर अदम्य साहस और हौसले का परिचय देते हुए नई दास्तां लिख रहे हैं।
जिया राय
ऑटिज्म से पीड़ित 13 वर्षीय पैरा तैराक जिया राय ने हाल ही में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने महज 13 घंटे और 10 मिनट में, भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले, 29 किलोमीटर लंबे Palk Strait को तैरकर पार किया है।
महाराष्ट्र की जिया राय ने 20 मार्च की सुबह 4.22 बजे तलाईमन्नार (श्रीलंका) में तैराकी शुरू की और उसी दिन शाम 5.32 बजे धनुषकोडी (भारत) में यह यात्रा पूरी हुई। यह आयोजन पैरा स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (PSFI) द्वारा संचालित और निर्देशित किया गया था।
राय की अगवानी करने वाले तमिलनाडु के डीजीपी सिलेंद्र बाबू ने कहा कि यह सफर पानी के सांपों, जेलीफ़िश और तेजी से बदलती धाराओं से भरा रहा है कि कभी-कभी सिर्फ एक किलोमीटर तैरने में 3-4 घंटे लगते हैं। बाबू ने कहा, “यहाँ ऐसे कई खतरे हैं। इसमें बहुत इच्छाशक्ति लगती है।” श्रीलंकाई नौसेना ने श्रीलंकाई जल में खोज और बचाव कवर दिया, जबकि भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक ने देश की समुद्री सीमाओं ऐसा ही समर्थन दिया।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिया के पिता ने कहा कि जिया Palk Strait को तैरकर पार करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की और सबसे तेज महिला तैराक बन गई हैं और पिछला रिकॉर्ड भूला चौधरी के नाम था, जिन्होंने 2004 में 13 घंटे 52 मिनट में इसे पूरा किया था। जिया राय पूरे महाद्वीप में सात महासागरों में तैरने वाली दुनिया की पहली और सबसे कम उम्र की पैरा तैराक बनने के मिशन पर हैं।
आपको बता दें कि नौसेना के नाविक मदन राय की बेटी जिया राय ने इससे पहले बीते वर्ष 17 फरवरी को सिर्फ 8 घंटे 40 मिनट में बांद्रा-वर्ली सी लिंक से गेटवे ऑफ इंडिया, 36 किलोमीटर, तक तैराकी कर इतिहास रच दिया था। यह कीर्तिमान रचने वाली वह पहली लड़की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडिया कार्यक्रम "मन की बात" में जिया की प्रशंसा की थी।
जिया, जो कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) से पीड़ित है, उन्होंने 10 साल की उम्र में तैरना शुरू किया था। उन्होंने एएसडी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए तैराकी की चुनौती ली।
प्रणव बख्शी
दिल्ली में रहने वाले प्रणव बख्शी ऑटिज्म से प्रभावित हैं, लेकिन उन्होंने साल 2019 में मॉडलिंग में करियर बनाकर देश भर में सुर्खियां बटोरीं थी।
प्रणव भारत के पहले ऑटिज्म से प्रभावित मॉडल हैं। उन्होंने कई फेमस लेबल के रैंप वॉक भी किया है।
उनकी मॉडलिंग स्किल्स के बारे में बात करते हुए उनकी माँ अनुपमा बख्शी ने कहा था, "मुझे प्रणव को रैंप वॉक करते हुए बहुत आश्चचर्य होता है। वह बड़ी सहजता से रैंप पर चलता है। उसके पास कोई अनुभव नहीं था, उसने अपनी स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का मुकाबला किया और काफी कुछ किया। मुझे उस पर गर्व है। उससने बहुत कुछ किया है और वह अब हमेशा इसी फील्ड में रहना चाहता है।"
प्रणव ने अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर अपनी बायो में लिखा है - "Autism is my superpower"
प्रणव जन्म से ऑटिज्म से पीड़ित नहीं थे। दो साल की उम्र में उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ा। इसके बाद अचानक ही उनकी स्थिति गंभीर होती चली गई।
2016 में बेंगलुरु में 'वॉक विद ए डिफरेंस' के लिए उनका पहला रैंप वॉक था। इसमें उन्हें मिस्टर चार्मिंग का खिताब मिला था। ऐसे कई प्रतियोगी थे जिनसे वे रैंप वॉक करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। उन्होंने वॉच मी फॉर सिल्टो के पहले टैलेंट राउंड के लिए डांस किया क्योंकि यह उस समय उनका पसंदीदा गीत था।
Edited by Ranjana Tripathi