दुनिया का पहला CNG टर्मिनल भावनगर में बनेगा, सालाना 50 लाख टन की क्षमता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 29 सितंबर को भावनगर में दुनिया के पहले सीएनजी टर्मिनल का शिलान्यास करेंगे. यह टर्मिनल सालाना 50 लाख टन की क्षमता वाला होगा. राज्य सरकार ने 1,900 करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी दे दी है और इसे डेवलपर्स के एक सहयोग से विकसित किया जाएगा, जिनमें पद्मनाभ मफतलाल समूह और नीदरलैंड से एक ग्रुप शामिल हैं. सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, ब्राउनफील्ड बंदरगाह परियोजना के पहले चरण में 1,300 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा.
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल बिजनेस समिट 2019 के दौरान फोरसाइट ग्रुप ने गुजरात में इस सीएनजी टर्मिनल की स्थापना के लिए गुजरात मेरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे.
यह बंदरगाह 4024 करोड़ रुपये के खर्च से विकसित किया जाएगा और यहां विश्व के पहले सीएनजी टर्मिनल के लिए अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा लॉक गेट सिस्टम होगा. सीएनजी टर्मिनल के अलावा यह बंदरगाह भावनगर जिले की भविष्य की आवश्यकताओं एवं वाहन स्क्रैपिंग, कंटेनर उत्पादन, दूसरे मेगा प्रोजेक्ट्स विशेषकर धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (धोलेरा एसआईआर) जैसी आगामी परियोजनाओं की जरूरतों को भी पूरा करेगा.
यह भावनगर को विकसित करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी मेगा परियोजना का हिस्सा है, जहां 45 लाख कंटेनर की क्षमता वाली एक लिक्विड और व्हाइट कार्गो टर्मिनल के साथ नौका सेवा टर्मिनल का भी विकास किया जाएगा. इस टर्मिनल को विकसित करने के लिए चैनल और पोर्ट बेसिन में दो लॉक गेटों का निर्माण किया जाएगा.
सीएनजी परिवहन के लिए तट पर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इस परियोजना के चलते सालाना तौर पर भावनगर बंदरगाह की कार्गो क्षमता को 90 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ जाएगी. मुख्यमंत्री रूपाणी ने बताया कि गुजरात देश का एकमात्र ऐसा राज्य होगा, जहां सीएनजी और एलएनजी दोनों के लिए टर्मिनल मौजूद होंगे. राज्य सरकार के अनुसार, इस परियोजना से भावनगर और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
इस बंदरगाह में अत्याधुनिक कंटेनर टर्मिनल, बहुउद्देशीय टर्मिनल और लिक्विड टर्मिनल भी होगा, जो देश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों, समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डीएफसी) एवं देश के उत्तरी भीतरी क्षेत्रों के साथ जोड़ने वाले मौजूदा रोड वे और रेलवे नेटवर्क को सीधी डोर-स्टेप कनेक्टिविटी देगा. यह प्रस्तावित बंदरगाह कम अंतर्देशीय दूरी की यात्रा पर अधिक कार्गो वॉल्युम के संचालन के साथ कई आर्थिक लाभ देने के साथ-साथ लागत में बचत भी करेगा.
इसके अलावा, सीएनजी आयात टर्मिनल स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरी करने के लिए ऊर्जा का अतिरिक्त वैकल्पिक स्रोत प्रदान करेगा. प्रमोटरों ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के रास अल खैमाह स्थित आरएके गैस के साथ सीएनजी आपूर्ति और सीएनजी निर्यात टर्मिनल के विकास के लिए पहले ही समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए हैं. सीएनजी का आपूर्ति तंत्र एक बार कार्यरत हो जाए, तो यह एक क्रांतिकारी घटना होगी, जो भारत को छोटे पैमाने के और अप्रयुक्त गैस के जत्थों का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा. बंदरगाह का निर्माण कार्य लगभग 2023 के प्रथम छह महीनों के भीतर शुरू हो जाएगा और 2026 में यह बंदरगाह कार्यरत हो जाएगा.
Edited by रविकांत पारीक