पढ़ाई के साथ-साथ कहानी लिखने के ख्वाब को पूरा कर रहे युवा सनातन मिश्रा
आधुनिक जमाने में कई तरह के माध्यमों के विकसित हो जाने से अपने मन की बात कहना काफी आसान हो गया है। हर किसी के मन में एक कहानीकार होता है। लेकिन इन कहानियों को किताब की शक्ल दे पाना कुछ के लिए ही मुनासिब होता है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रहने वाले युवा सनातन मिश्रा के मन में भी कहानी कहने वाला कीड़ा था। सनातन ने अपनी कहानियों को मुकम्मल करते हुए तीन किताबें छपवा चुके हैं।
अभी आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले सनातन की पारिवारिक पृष्ठभूमि वैद्य की रही है। उनके पिता और दादाजी आयुर्वेद के जानकार रहे हैं। इस वजह से सनातन का मन भी आयुर्वेद की बारीकियां सीखने में लगा। अभी वे आयुर्वेद ही चुना और बरेली गवर्मेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहे हैं। सनातन को घूमना बेहद पसंद है और खासकर रेलगाड़ी से सफर करना। वे कहते हैं, 'पढ़ाई करने के लिए अपने शहर से दूर जाना पड़ा और इस वजह से काफी यात्राएं करनी पड़ीं। इन यात्राओं ने चीजों को देखने का एक अलग नजरिया दिया।'
सनातन कहते हैं, 'हमारी जिंदगी का सफर भी किसी रेलगाड़ी के सफर के जैसे है जहां हम अपनी कहानियों के साथ चले जा रहे हैं।' ट्रेन में सफर करते-करते सहयात्रियों को गौर से देखना और उनकी कहानियों को कैद करना सनातन की आदत हो गई और यहीं से शुरू हुआ कहानियों को लिखने का उनका सफर।
2017 में सनातन का पहला कहानी संग्रह मलंग के नाम से प्रकाशित हुआ। सिर्फ दो महीने के भीतर यह कहानी संग्रह काफी पॉप्युलर हुआ।
उन्हें एमिटी यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल, लव दिल्ली- स्टारबक्स, त्रि-वेणी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी जैसे कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया जा चुका है। उनका दूसरा कहानी संग्रह - 'सस्ती किताब- सस्ते लोगों के महंगे किस्से' इसी साल फरवरी में में ब्लू रोज प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ।
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