अमेरिका की तुलना में यूट्यूब भारत में अपने कंटेन्ट क्रिएटर्स को कम पैसे क्यों देता है?
यूट्यूब 'कॉस्ट पर क्लिक' के अनुसार कंटेन्ट क्रिएटर को पेमेंट करता है, लेकिन भारत में CPC दर अमेरिका की तुलना में बहुत कम है।
गूगल के जरिये लोग दुनिया भर में पैसे कमा रहे हैं। गूगल एडसेंस का इस्तेमाल कर लोग अपनी वेबसाइट्स पर विज्ञापन के जरिये पैसे कमा रहे हैं, इसी के साथ यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर अपना वीडियो कंटेन्ट डाल कर वहाँ भी व्यूज़ के अनुसार कमाई कर सकते हैं।
गूगल के जरिये इन तमाम प्लेटफॉर्म पर लगे विज्ञापन से होने वाली कमाई सीपीसी पर निर्भर करती है, जिसे ‘कॉस्ट पर क्लिक’ कहा जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि जितनी बार लोग आपकी वेबसाइट पर या यूट्यूब पर आने वाले विज्ञापनों से इंगेज होते हैं, आपको उतना ही पैसा मिलता रहता है।
गौर करने वाली बात यह है कि गूगल द्वारा भारत में उपलब्ध कराये जा रहे सीपीसी रेट और अमेरिका में उपलब्ध सीपीसी रेट में बड़ा अंतर है। यह दोनों देशों की तुलना में अंतर पाँच गुना तक हो सकता है।
CPC से कमाई कैसे होती है?
गूगल की मानें तो जब यूजर या व्यूवर आपके पेज या यूट्यूब चैनल पर आता है, तो उसे दिखने वाले एड पर उसे क्लिक करना होता है, तब ही यह व्यू आपके लिए पैसे में बदल पाएगा। इस तरह से साफ है कि आपके वीडियो पर व्यू चाहें जितने भी हों, लेकिन अगर उनमें से एड इंटरैक्शन नहीं हुआ है, तो आपकि कोई कमाई नहीं होने वाली।
भारत में आमतौर पर यूट्यूब पर एक एड क्लिक के बदले 0.04 डॉलर मिलते हैं, जबकि अमेरिका में यह नंबर 1 डॉलर से अधिक है। हालांकि यह बात भी गौर करने वाली है कि आपके लिए सीपीसी के रेट इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपका कंटेन्ट किस तरह का है और आपके कंटेन्ट को देखने वाले लोग क्या पसंद करते हैं। हालांकि आप हाई सीपीसी वर्ड और अपने कंटेन्ट को अधिक सीपीसी वाले दर्शकों के हिसाब से तैयार कर अधिक कमाई कर सकते हैं।
भारत में CPC कम क्यों है?
इसका सीधा सा जवाब है कि भारत में विज्ञापन देने वाले लोग इसपर अमेरिका जैसे देशों की तुलना में कम खर्च करते हैं। इसी के साथ सीपीसी के जरिये आपकी कमाई उस समय डॉलर की कीमत पर भी निर्भर करती है। गूगल मुख्यता डॉलर में पेमेंट करता है, जो भारतीय रूपए के साथ बदल सकती है।