एक वीडियो कॉल ने बदल दी जिंदगी, शुरू किया खुद का बेबी-प्रूफिंग स्टार्टअप और कमाने लगीं प्रॉफिट
कहते हैं कि किसी को भी अपने अगले पल के बारे में नहीं पता होता है। पता नहीं किस को अगले पल क्या आइडिया आ जाए जो उनकी जिंदगी बदल दे! ऐसा ही हुआ रचिता अग्रवाल के साथ। रचिता उस समय अमेरिका में अपने दोस्तों के साथ वीडियो कॉल पर थीं। उन्होंने देखा कि उनके घर पर बेबी-प्रूफिंग की जा रही है।
लगभग उसी समय रचिता की भतीजी, किनाया का भी जन्म हुआ था। ये सब देखते हुए बेबी-प्रूफिंग के विषय में रचिता की रुचि बढ़ी और उन्होंने बड़े पैमाने पर इस पर रिसर्च करना शुरू किया।
बता दें कि बेबी-प्रूफिंग बच्चों के लिए एनवायरनमेंट या वस्तु को सुरक्षित बनाने का कार्य है। अपने घर को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए पैरेंट्स बेबी-प्रूफिंग करते हैं। बेबी-प्रूफिंग में बच्चों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाना या असुरक्षित क्षेत्रों में बच्चों को पहुंचने से रोकना शामिल होता है।
रचिता बताती हैं,
“मैंने महसूस किया कि भारतीय बाजार में इस तरह के कोई प्रोडक्ट मौजूद नहीं हैं और लोग विदेशों में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के माध्यम से इनको मंगा रहे हैं। इस विषय को अच्छे से जानने के बाद, मैंने भारत में एक बड़े पैमाने पर बाजार देखा और विकास की संभावनाएं देखीं।"
रचिता ने 2017 में केपीएमजी, बैंगलोर में नौकरी छोड़ अपने बेबी-प्रूफिंग स्टार्टअप बेबी प्रो को शुरू करने के लिए अपने गृहनगर कोलकाता वापस चली गईं।
उन्होंने शादी करने के बाद 2018 में अपना बेस मुंबई में ट्रांसफर कर दिया और अब भारत की वित्तीय राजधानी से बेबीप्रो के लिए पैन-इंडिया ऑपरेशन चलाती हैं। हालांकि स्टार्टअप कोलकाता में पंजीकृत है।
बेबी-प्रूफिंग के तकनीकी ज्ञान से खुद को लैस करने के लिए, रचिता ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर चाइल्ड सेफ्टी द्वारा आयोजित होम हैजर्ड टेस्ट को सफलतापूर्वक लिया। इसके बाद, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 150 से अधिक घरों और प्री-स्कूलों में बेबी-प्रूफ किया। स्थापना के बाद से, उनके स्टार्टअप ने 0-5 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के साथ 5,000 से अधिक घरों और प्री-स्कूलों में काम किया है।
दुर्घटनाओं को रखना
बेबीप्रो क्या करता है, इस पर बोलते हुए, वह कहती है, “हम एक बेबी-प्रूफिंग स्टार्टअप हैं जो शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए परिवेश को सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं। बेबी-प्रूफिंग में दुर्घटनाओं और चोटों को रोकने के लिए सुरक्षा जोखिम बिंदुओं से निपटना शामिल है।”
स्टार्टअप कुछ चाइल्ड सेफ्टी प्रोडक्ट्स जैसे कि एंटी-स्लिप स्ट्रिप्स, एंटी-फॉल फर्नीचर स्ट्रैप्स, कॉर्नर एंड एज गार्ड्स, इलेक्ट्रिक सॉकेट कवर, डोर हिंग गार्ड्स, फिंगर पिंच गार्ड्स, नल प्रोटेक्टर्स आदि ऑफर करता है। अपने प्रोडक्ट्स के अलावा, स्टार्टअप घर के भीतर सुरक्षा खतरों के बिंदुओं की पहचान करने के लिए होम ऑडिट भी करता है। इसका उद्देश्य माता-पिता को उनके घरों में ऐसे बिंदुओं से अवगत कराना है जो दुर्घटना संभावित हैं और दुर्घटना होने से पहले उस गैप को भरने में मदद करना है।
बेबीप्रो एंड-टू-एंड सलूशन प्रदान करता है, जिसमें माता-पिता को सुरक्षा के जोखिम प्वाइंट्स की पहचान करने, कस्टमाइज्ड सुरक्षा किट भेजने और अंत में वीडियो के साथ प्रोडक्ट को इंस्टॉल करने में मदद करना शामिल है। कंपनी 24X7 वर्चुअल इंस्टॉलेशन सहायता भी प्रदान करती है।
क्या यह महंगा है?
बेबी-प्रूफिंग को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह है कि यह महंगा होगा। रचिता कहती हैं,
“पश्चिम में दो दशकों से व्यापक रूप से इस कॉन्सेप्ट को फॉलो किया जा रहा है, लेकिन हमारे यहां माता-पिता मानते हैं कि ये महंगा होगा। बेबीप्रो प्रोडक्ट की कीमतें 150 रुपये से कम पर शुरू होती हैं। हर रूम युनिक होता है, जिसमें सुरक्षा खतरों के विभिन्न सेट होते हैं। एक रूम में औसतन बेबी प्रूफ के लिए लगभग 3,000 रुपये का खर्च आता है। यह एक सिंगल चोट के लिए एक अस्पताल जाने के खर्च से बहुत कम है।"
सेलिब्रिटी ग्राहक
स्टार्टअप ने कई सेलिब्रिटी घरों को बेबी-प्रूफ किया है, जिसमें क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा का बेंगलुरु रेजीडेंस और एक्टर नील नितिन मुकेश का मुंबई घर भी शामिल है। कंपनी ने ग्राहकों को न केवल उनके घरों को छोटे बच्चों के लिए बल्कि अपने कुत्तों के लिए भी सुरक्षित बनाने में मदद की है।
भले ही रचिता को कुत्तों से डर लगता हो, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत रूप से टीवी एक्ट्रेस जसवीर कौर के घर को उनके दो कुत्तों के लिए सुरक्षित बना दिया। वह याद करती हैं,
"इंस्टॉलेशन के दौरान, जसवीर ने अपने दोनों कुत्तों को कसकर पकड़ा था तब जाकर मैं किसी तरह उनके घर के अंदर जा पाई।"
कंपटीशन
रचिता के मुताबिक,
''इस स्पेस में ऐसा कोई नहीं है जो बदलाव लाने की कोशिश कर रहा हो और बेबी प्रूफिंग सर्विस दे रहा हो। अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे मार्केटप्लेस पर कुछ ऑनलाइन ट्रेडर्स हैं जो अन्य घरेलू सामानों के साथ-साथ बेबी-प्रूफिंग प्रोडक्ट्स (विभिन्न देशों से आयातित) बेचते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि बेबीप्रो मुंबई स्थित सेफबेबी से अलग कैसे है, जोकि खुद एक ऐसी कंपनी है जो उसी स्पेस पर काम करती है, वह कहती हैं,
"हम केवल प्रोडक्ट्स को खरीदने और बेचने के लिए नहीं हैं ... हमारे प्रोडक्ट्स भारतीय बाजार और इसकी आबोहवा के लिए अनुकूलित हैं। इसके अलावा, हम बिक्री के दौरान और बाद में अपने ग्राहकों पर व्यक्तिगत ध्यान देते हैं।”
हालाँकि, सेफबेबी भी, अपनी वेबसाइट के अनुसार, ऑडिट कंडक्ट कराता है और भारतीय बाजार के लिए परीक्षण किए गए बेबी-प्रूफिंग प्रोडक्ट्स की एक विस्तृत रेंज प्रदान करता है। यह भी कस्टमाइज्ड सलूशन्स प्रदान करते हैं।
ऑल वूमन टीम
बेबीप्रो की टीम में संस्थापक और सीईओ रचिता सहित सभी महिलाएं शामिल हैं। रचिता के अलावा उनकी दोस्त गुंजन भागचंदानी (संचालन), दिव्या चुगानी (मार्केटिंग), भक्ति हेमदेव (डिजाइन), और शुचि सतीजा (तकनीक) इसकी कोर टीम में शामिल हैं। दरअसल विभिन्न कंपनियों में काम करने के दौरान बेंगलुरु में ये सभी महिलाएं (गुंजन को छोड़कर) फ्लैटमेट थीं और अब साथ मिलकर स्टार्टअप चला रही हैं।
गुंजन और दिव्या कंपनी के साथ फुल-टाइम करती हैं, वहीं भक्ति और शुचि, जिनके पास क्रमशः डिजाइन और तकनीक की डे जॉब है, वे बतौर कंसल्टेंट बोर्ड पर हैं।
इन्वेस्टमेंट और रिवेन्यू
बेबीप्रो को रचिता की व्यक्तिगत बचत के 50,000 रुपये से शुरू किया गया था और यह अभी बूटस्ट्रैप्ड है। इसके अलावा उनके भाई ऋषभ और पति प्रकाश ने उनका साथ दिया, क्योंकि वे दोनों कंपनी के दृष्टिकोण में बहुत विश्वास करते हैं।
हालांकि, रचिता की मार्केटिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट को फाइनेंस देने के लिए इस वर्ष फंड जुटाने की योजना है। हालांकि उन्होंने टॉपलाइन और बॉटम-लाइन नंबर साझा नहीं किया, लेकिन कहती है कि उनका राजस्व हर महीने बढ़ रहा है और वे व्यवसाय में अपने पहले महीने से ही लाभ कमा रही हैं।