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रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण से अरुण बन गए उत्तराखंड के रियल 'हीरो'

रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण से अरुण बन गए उत्तराखंड के रियल 'हीरो'

Monday January 13, 2020 , 4 min Read

उत्तराखंड के अरुण प्रसाद गौड़ मधुमक्खी पालन, जंगल-तितली संरक्षण के साथ ही देवलसारी राजकीय इंटर कॉलेज गोद लेकर नई टिहरी क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। वह 'सेंक्चुरी एशिया मैगजीन' की ओर से अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के हाथों 'बेस्ट वाइल्ड लाइफ सर्विस अवार्ड 2019' से सम्मानित भी हो चुके हैं। 


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देवलसारी में पर्यटक



नई टिहरी (उत्तराखंड) में देवलसारी पर्यावरण एवं विकास संस्थान मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन कर रहा है। इस पूरे अनोखे अभियान और संस्थान के निदेशक, मुख्य कर्ताधर्ता हैं गांव बंगसिल निवासी अरुण प्रसाद गौड़। वही अरुण, जिन्होंने अपने अवार्ड के 50 हजार रुपये भी अपने इलाके के जंगलों की हिफाजत में लगा दिए।


जंगल, मधुमक्खी, तितलियों के बीच व्यस्त अरुण को 'सेंक्चुरी एशिया मैगजीन' की ओर से अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के हाथों 'बेस्ट वाइल्ड लाइफ सर्विस अवार्ड 2019' प्रदान किया गया है। सोशल वर्क जैसे अरुण के काम में किंचित विसंगति यह दिखती है कि एक तरफ तो वह वर्षों से देवलसारी पर्यावरण संरक्षण एवं तकनीकी संस्थान के तहत मधुमक्खी पालन से 'देवदार हनी' प्रॉडक्ट तैयार कराकर नैनबाग के सैकड़ों युवाओं को रोजगार सुलभ करा रहे हैं, इसके लिए उनको प्रशिक्षित कर रहे हैं, दूसरी तरफ देवलसारी में तितलियों का संसार बसा रहे हैं।


यहां के तितली शोध केंद्र पर करीब दो सौ प्रजाति की तितलियों और डेढ़ सौ पक्षी प्रजातियां के दीदार होते हैं। अब तो यहां देवलसारी पर्यावरण एवं विकास संस्थान की ओर से तीन दिवसीय तितली महोत्सव का भी हर साल आयोजन होने लगा है, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से पर्यटक, प्रकृति प्रेमी और शोधार्थी छात्र बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।


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अरुण प्रसाद गौड़

अरुण बताते हैं कि अब देवलसारी क्षेत्र में मधुमक्खी पालन स्वरोजगार का बेहतर माध्यम बनता जा रहा है। कई युवा मधुमक्खी पालन से जुड़कर शहद का उत्पादन कर रहे हैं। अभी तक युवा अपने स्तर से ही शहद बेचते आ रहे थे मगर बाजार में आसानी से पहुंच बनाने के लिए देवलसारी पर्यावरण संरक्षण एवं तकनीकी समिति ने 'देवदार हनी' नाम से लोगो तैयार किया है। इस नाम से ही अब शहद बेची जा रही है, जिससे युवाओं की अच्छी कमाई हो रही है।


वह बताते हैं कि देवलसारी क्षेत्र के करीब दस गांव के सैकड़ों लोग मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। यहां पर शहद उत्पादन की अपार संभावनाओं को देखते हुए समिति ग्रामीणों को बकायदा प्रशिक्षण भी दे रही है। ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन के लिए बी बॉक्स भी दिए गए हैं। वर्तमान में क्षेत्र के विभिन्न गांवों से करीब चार-पांच कुंतल शहद का उत्पादन किया जा रहा है।


यह सब संचालित करने के साथ ही अरुण प्रसाद गौड़ वन विभाग की मदद से लोगों के बीच मधुमक्खी जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। वह अपने क्षेत्र का जंगल बचाने के लिए इको टूरिज्म पर नेचर गाइड ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। यहाँ के जंगलों में तरह-तरह के वन्यजीव शरण पाए हुए हैं।


पढ़ाई-लिखाई के दौरान अरुण साइंस से ग्रेजुएट बनना चाहते थे लेकिन जंगल, मधुमक्खी पालन, तितली संरक्षण आदि के काम के दबाव में अपनी राह चल पड़े। उन्ही के प्रयासों से विकसित यहां का तितली पार्क इको टूरिज्म की नई राह दिखा रहा है। अब बड़े पैमाने पर देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचने लगे हैं।


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देवलसारी को कैमरों में कैद करते पर्यटक

पहले अरुण के इस तरह कामों का लोग उपहास उड़ाया करते थे लेकिन अब उन्हें शाबासी देते रहते हैं। इससे पहले देवलसारी के जंगल बचाने के लिए उनको माफिया की धमकियों का भी सामना करना पड़ा है। तितली पार्क तक देश-विदेश के पर्यटकों, स्कूली बच्चों के बड़ी संख्या में पहुंचने से देवलसारी के लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है।


इसके साथ ही अरुण ने मरम्मत के लिए बंगसिल का राजकीय इंटर कॉलेज भी गोद ले लिया है। इस तरह वह विभिन्न सामाजिक आयाम विकसित करते हुए क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।