जानिये उस अमेरिकी राष्ट्रपति के बारे में जिसने रखी आधुनिक लोक-प्रशासन की नींव
लोक-प्रशासन (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच में एक बहुत ही पॉपुलर और महत्त्वपूर्ण विषय रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इस आधुनिक विषय के प्रारंभकर्ता कौन थे या ब्यूरोक्रेसी के इस अहम् अंग को पहली बार किसने व्यवस्थित तरीके से थ्योराइज किया था?
अमेरिका के दो बार के राष्ट्रपति रह चुके थॉमस वुड्रो विल्सन ने पहली बार लोक प्रशासन विषय के फ्रेमवर्क को एक स्वतंत्र और स्वायत्त विज्ञान की आवश्यकता के रूप में इम्प्लिमेंट किया था. प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी में अपनी ग्रेजुएट स्टडीज के दौरान ही उन्होंने “डी स्टडी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन” (1887) नामक लेख लिखा जिसमें लोक-प्रशासन की संरचना और नियमों को पहली बार उद्धरित किया.
वुड्रो विल्सन का जीवन
अमेरीका के वर्जिनिया में 1856 को जन्मे विल्सन ने अमेरिका की प्रख्यात प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी में अपनी पढाई की. यूनिवर्सिटी के मुख्यपत्र “डेली प्रिन्सटोनियन” के एडिटर के रूप में कार्यरत विल्सन का इसी दौरान प्रशासनिक कार्यों से पहली बार सामना हुआ. एडिटर होने के अलावा, वह कैम्पस बेसबॉल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट, फुटबॉल एसोसिएशन के सेक्रेटरी, और डिबेटिंग क्लब के भी एक्टिव सदस्य रहे. कुछ सालों बाद, 1892 में प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफेसर पढाया भी. आगे चलकर न्यू जर्सी के गवर्नर बने, और उसके बाद 1913 में अमेरिका के 28वें राष्ट्रपति बने. विल्सन के राष्ट्रपति काल के दो टर्म (1913-1921) के कार्यकाल को खासकर दो ऐतिहासिक बदलावों के कारण याद किया जाता है, चाइल्ड लेबर रिफॉर्म एक्ट और महिलाओं के वोटिंग राइट्स के मद्देनज़र कंस्टीट्युशन के 19वें संशोधन के लिए. विल्सन को लीग ऑफ़ नेशन्स स्थापित करने के लिए उनके प्रयासों को सम्मानित करते हुए 1919 में शांति नोबेल पुरस्कार भी मिला.
राजनीति और लोक-प्रशासन का अंतर
विल्सन को पढना इसलिए भी दिलचस्प हो जाता है क्यूंकि वह प्रशानिक अधिकारी होने के साथ-साथ एक स्कॉलर भी थे, और इसीलिए उनकी बातचीत में प्रशासन के ऊपर स्वतंत्र बौद्धिक चिन्तक के अभाव को लेकर एक सतत चिंता दिखाई देती है. विल्सन योग्यता आधारित नौकरशाही के पक्षधर होने के साथ ही साथ प्रशासनिक कार्यों में प्रोफेशनलिज्म के भी पक्षधर थे. वह राजनीती और लोक-प्रशासन को दो अलग-अलग मूल्यों की तरह देखते थे, उनका यह मत “पॉलिटिक्स-एडमिनिस्ट्रेशन डायकोटमी” थ्योरी कहलाता है. राजनीती और लोक-प्रशासन के अंतर को बताने वाले विल्सन संभवतः पहले आधुनिक प्रशासक थे और इसी कारण विल्सन को लोक-प्रशासन विषय का शिल्पकार कहा जाता है. यह एक महत्त्वपूर्ण अंतर है.
क्या है यह अंतर?
विल्सन के अनुसार, राजनीति मूल्य पर आधारित होती है इसलिए यह “महान और सार्व-भौमिक” विषय-वस्तु से डील करती है; इसलिए इसका सम्बन्ध नीति-निर्माण से है. जबकि प्रशासन तथ्य और प्रक्रिया आधारित होता है; इसलिए “व्यक्तिगत और छोटी चीज़ों” का समाधान निकालना ही इसका उद्देश्य होता है. अतः राजनीती के विपरीत प्रशासन एक व्यवस्था होती है. चूँकि यह एक व्यवस्था है इसलिए यह निश्चित सिद्धांतों पर चलती है.
प्रशासन का कार्य बिज़नेस की तरह करना चाहिए
विल्सन लोक-प्रशासन को लोक-नीतियों और विधियों को क्रमबद्ध और विस्तृत तरीके से चलाने वाली प्रक्रिया घोषित करते हुए इसे नीति-निर्माण के क्षेत्र से बाहर रख देते हैं. उनका मानना था कि एक अच्छा प्रशासक एक अच्छे बिजनेसमैन की तरह होता है, जो किसी की तरफ नहीं होता बल्कि सिर्फ अपने व्यापार की सोचता है. एक अच्छा प्रशासक किसी राजनीतिक पार्टी, राजनैतिक विचारधारा, या किसी नेता के हित में नहीं, बल्कि सिर्फ जनता के हित में सोचता है. एक राजनीतिज्ञ अपने वोटर्स के प्रति जवाबदेह होता है और प्रशासक जनता पब्लिक पॉलिसीस के प्रति. यही है राजनीती और प्रशासन की डायकोटमी. विल्सन के अनुसार, राजनीतिक प्रश्न कभी प्रशासनिक प्रश्न नहीं हो सकते. इसी मत के तहत, विल्सन यहाँ तक लिखते हैं कि किसी भी प्रशासनिक व्यक्ति को कभी भी राजनीतिज्ञ नहीं बनना चाहिए.
विल्सन प्रशासनिक कार्यों का निर्वाहन करने के काम को ज्यादा जटिल और महत्त्वपूर्ण मानते हैं, इसीलिये कहते हैं,
“संविधान बनाना आसान है लेकिन चलाना मुश्किल है.”
जाहिर है, विल्सन के प्रशासनिक तौर पर अपने अनुभव उनकी सोच और समझ को प्रभावित करता रहा होगा, इसलिए भी उनके फलसफे में “प्रैक्टिस” के ऊपर बहुत जोर है.
विल्सन की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की थ्योरी को काफी पढ़ा एवं स्वीकार गया है. उन्होंने राजनीतिक प्रशासनिक चिंतन को एक नयी दिशा दी. कुछ समाजशास्त्री विल्सन के योगदान की समीक्षा करते हुए लिखते हैं की विल्सन के वक्तव्यों में राजनीती और प्रशासन के महत्त्वपूर्ण अंतर्संबंध भी ध्वनित होते हैं और यह उनकी लेखनी से विरोधाभास में दिखती है.
विल्सन राजनीतिक प्राणी के रूप में प्रशासनिक जरूरतों को समझाने वाला भविष्यद्रष्टा और भावी प्रशासनिक इमारत की नींव रखने वाला एक शिल्पी है.