31 दिसंबर: इतिहास में बेहद खास है यह तारीख, कई घटनाओं की साक्षी है ये तारीख
31 दिसंबर: 21वीं सदी के 19वें बरस का अंतिम दिन नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) वर्ष 2019 के अंतिम दिन के समाप्त होने के साथ ही पूरी दुनिया उत्साह और संकल्प के साथ एक नये वर्ष का स्वागत करेगी। 31 दिसंबर का दिन साल का अंतिम दिन है और इस दिन का भारत के इतिहास से गहरा नाता है।
यही वह दिन है जब वर्ष 1600 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी के पंजीयन के लिए फरमान जारी किया था।
महारानी ने पूर्वी एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया और भारत के साथ व्यापार के लिए इस कंपनी को पंजीकृत करने का आदेश दिया और इसके लिए शाही फरमान जारी किया गया। उन दिनों मसालों के व्यापार को बहुत फायदे का सौदा माना जाता था और इस पर स्पेन और पुर्तगाल का आधिपत्य हुआ करता था।
ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना मुख्यत: मसालों के व्यापार के लिए की गई थी, लेकिन समय के साथ कंपनी ने अपने व्यापार का दायरा बढ़ाने के साथ ही भारत में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति का काम किया और भारत की तकदीर में गुलामी का दाग लगा दिया।
देश दुनिया के इतिहास में 31 दिसंबर की तारीख में दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
1600: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने शाही फरमान जारी कर ईस्ट इंडिया कंपनी के पंजीकरण का आदेश दिया।
1802 : पेशवा बाजी राव द्वितीय ब्रिटिश संरक्षण में आए।
1857 : क्वीन विक्टोरिया ने ओटावा को कनाडा की राजधानी घोषित किया।
1929 : लाहौर में आधी रात को महात्मा गांधी ने कांग्रेस जन के साथ पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया।
1943 : बेन किंग्सले का जन्म। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम कृष्ण भानजी था। इंग्लैंड के यार्कशर में पैदा हुए बेन ने वर्ष 1982 में फिल्म गांधी में मुख्य भूमिका निभाई थी और इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अकेडमी पुरस्कार भी मिला था।
1964 : डोनाल्ड कैंपबेल ने पानी और जमीन पर सबसे तेज रफ्तार से वाहन चलाने का रिकार्ड बनाया। एक ही वर्ष में दोनों सतह पर रिकार्ड बनाने वाले वह दुनिया के पहले व्यक्ति थे। हालांकि रफ्तार के इसी जुनून ने 1967 में उनकी जान ले ली।
1972 : बेसबॉल के महान खिलाड़ी रोबर्टो क्लेमेंट की एक विमान दुर्घटना में मौत। वह निकारागुआ के भूकंप पीड़ितों के लिए एकत्र राहत सामग्री लेकर जा रहे थे।
1999: अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण आधिकारिक तौर पर पनामा के हवाले किया।
2004: ताइपे, ताइवान में 508 मीटर ऊंची इमारत का उद्घाटन किया गया। उस समय इसके दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होने का दावा किया गया था।