महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है BRO, रैंकों में दी है नौकरियां
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने भी पिछले कुछ वर्षों में अधिकारियों से लेकर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारकों के स्तर तक बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है। बीआर अधिकार, जिम्मेदारी और सम्मान के साधनों के माध्यम से उन्हें सशक्त बना रहा है।
भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति गहरे सम्मान की भावना है जो इस श्लोक में वर्णित है, जिसमें कहा गया है, "जहां एक महिला का सम्मान किया जाता है, वह स्थान दिव्य गुणों, अच्छे कर्मों, शांति और सद्भाव के साथ भगवान का निवास स्थल बन जाता है। हालांकि, अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो सभी कार्यकलाप निष्फल हो जाते हैं।
वर्तमान भारत आजादी के अमृत महोत्सव के 75वें वर्ष का समारोह मना रहा है, यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में हमारे देश में जारी प्रयासों का भी उत्सव है। महिलाओं ने आज राष्ट्र निर्माण और इसके सशक्तिकरण स्वरूप के लिए अग्रणी प्रतिनिधियों के तौर पर अपना उचित और समान स्थान ग्रहण करना प्रारंभ कर दिया है।
सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation - BRO) ने भी पिछले कुछ वर्षों में अधिकारियों से लेकर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारकों के स्तर तक बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है। अधिकार, जिम्मेदारी और सम्मान के साधनों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाते हुए बीआरओ का दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र निर्माण के प्रयास में महिलाएं हमेशा सक्रिय भागीदार रहेंगी। इस विश्वास की पुष्टि करते हुए, संगठन का महिलाओं को उच्च नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपना जारी है।
इस संबंध में, एक जीआरईएफ अधिकारी ईई (सीआईवी) वैशाली एस हिवासे ने 28 अप्रैल, 2021 को 83 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी की बागडोर संभाली, वह मुनिसैरी-बगदियार-मिलम को जोड़ने वाले एक ऐसी महत्वपूर्ण भारत-चीन सड़क पर कार्यरत हैं, जो प्रतिकूलता और चुनौतियां से भरा एक क्षेत्र है। महिला अधिकारी इस कार्यभार को बखूबी अंजाम दे रही हैं और अपने कार्यों के सावधानीपूर्वक निष्पादन के साथ अपने प्रभार का नेतृत्व भी कर रही है।
बीआरओ ने 30 अगस्त 2021 को फिर से इतिहास रच दिया जब प्रोजेक्ट शिवालिक की मेजर आइना ने उत्तराखंड के चमोली जिले के पीपलकोटी में 75 आरसीसी की ऑफिसर कमांडिंग के रूप में कार्यभार संभाला। वह सड़क निर्माण कंपनी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर अधिकारी हैं। इतना ही नहीं, उनके अधीन तीनों पलाटून कमांडर, कैप्टन अंजना, एईई (सिविल) भावना जोशी और एईई (सिविल) विष्णुमाया के. भी महिला अधिकारी हैं और इन्होंने मिलकर प्रथम महिला आरसीसी का निर्माण किया है। सीमा सड़क के माध्यम से इस प्रकार के सभी महिला नेतृत्व वाले दलों के द्वारा चार आरसीसी बनाने की योजना है, जिनमें से प्रत्येक में दो-दो पूर्वोत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों से हैं।
पिछले छह दशकों में, धीरे-धीरे और स्थिर तरीके से बीआरओ ने सड़क निर्माण की विभिन्न भूमिकाओं और कर्तव्यों में नियोजित महिलाओं की संख्या में वृद्धि की है। उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार और उत्तरदायित्व देकर उन्हें सशक्त बनाने का एक समेकित प्रयास किया जा रहा है। ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में नारी शक्ति का प्रतीक बन चुकी हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में बीआरओ के बहुआयामी दृष्टिकोण में रोजगार भूमिकाओं में विविधता, उच्च शिक्षा के मार्ग, उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, साहसिक कार्य के अवसर, खेल और समग्र रूप से विकसित होने के लिए प्रोत्साहन देना शामिल हैं, क्योंकि वे जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
सही मायने में महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण में परिवर्तन करने के माध्यम से ही इस लक्ष्य को हासिल किया गया है। यह महिलाओं में आत्मविश्वास भरकर और उनके प्रति उचित सम्मान, गरिमा का भाव और निष्पक्षता एवं समानता का व्यवहार करके ही प्राप्त किया जाता है। कल्याणकारी पहलों के अंग के रूप में, पेशेवर क्षेत्रों के अलावा, महिलाओं को अपने स्वयं के वित्त और दस्तावेज़ीकरण के प्रबंधन के लिए भी शिक्षित किया जा रहा है।
एक समर्पित अभियान के अंतर्गत बीआरओ परियोजनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित शिक्षा कार्यक्रमों का शुभारंभ किया है। बालिकाओं के लिए समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना भी बीआरओ की महत्वपूर्ण पहलों में से एक है। बीआरओ के अधिकारियों द्वारा कोविड महामारी के दौरान भी बच्चों, विशेषकर लड़कियों के लिए शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
आज की दुनिया में शिक्षा, संचार कौशल, व्यय योग्य आय और इंटरनेट तक पहुंच सशक्तिकरण के कुछ महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इसके लिए सजग बीआरओ अपनी सेवारत महिला अधिकारियों को समान विकास अवसर प्रदान करता है जो सड़क निर्माण में एक अभिन्न शक्ति है। जैसे-जैसे समय में परिवर्तन होता है और आकांक्षाएं बढ़ती हैं, इन आकांक्षाओं के साथ बीआरओ निरंतर महिला सशक्तिकरण के अपने मूल विश्वास के लिए प्रतिबद्ध रहता है।
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Edited by Ranjana Tripathi