भारत करेगा 2025 से green energy का निर्यात, ग्रीनको और सिंगापुर की केप्पल के बीच करार
ज़ीरो कार्बन एमिशन और ग्रीन एनर्जी सेक्टर को बढ़ावा देना न सिर्फ प्रदूषण कम करता है, बल्कि जीडीपी का आकार और रोज़गार भी पैदा करता है. ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने की घोषणा की थी, और साल 2030 तक देश की अपनी जरूरत की 50 फीसदी ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों (सौर, पवन) से हासिल करने का भी लक्ष्य रखा था.
ग्रीन एनर्जी सेक्टर में भारत ने बढ़त बनाते हुए 2025 से हरित ऊर्जा का निर्यात शुरू कर देने की पहल कर ली है. इस निर्यात की पहली खेप सिंगापुर के बिजली संयंत्र को भेजी जाएगी. ‘सिंगापुर इंटरनेशनल एनर्जी वीक’ के दौरान एक भारतीय कंपनी और सिंगापुर की ऊर्जा कंपनी के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए हैं. भारत की नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ग्रीनको (Greenko) और सिंगापुर की केप्पल इन्फ्रास्ट्रक्चर (Keppel Infrastructure) के बीच सिंगापुर स्थित केप्पल के नए 600 मेगावॉट के ऊर्जा संयंत्र के लिए सालाना 2,50,000 टन की ऊर्जा आपूर्ति के लिए अनुबंध किया गया है.
ग्रीनको ग्रुप के प्रेजिडेंट और जॉइंट एमडी महेश कोली ने कहा, 2025 से पहली बार ऊर्जा के निर्यात के साथ-साथ ग्रीनको 2025-26 के बाद हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) का निर्यात भी करेगी. उन्होंने अनुमान जताया कि हरित ईंधन की मांग सालाना पांच करोड़ टन होगी जिसमें से 1.5 करोड़ टन जलपोतों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन होगा. कोली ने आगे कहा कि ग्रीनको की कुल मिलाकर 30 लाख टन हरित अमोनिया के उत्पादन की भी योजना है जिससे घरेलू मांग की भी पूर्ति हो सकेगी. हरित अमोनिया के इस्तेमाल से भारत के आयात में करीब 60 लाख टन अमोनिया और यूरिया की कटौती की जा सकेगी.
केप्पल के साथ हुए समझौते का स्वागत करते हुए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘बीते कुछ वर्षों में भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अद्वितीय शक्ति का प्रदर्शन किया है और प्रतिस्पर्धी दरों पर हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में इसी वजह से तेजी आई है.’
Edited by Prerna Bhardwaj