नीति आयोग, संयुक्त राष्ट्र ने भारत में सतत विकास में तेजी लाने के लिए मिलाया हाथ
GoI-UNSDCF 2023-2027 सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति, लैंगिक समानता, युवा सशक्तिकरण और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए, विकास की राष्ट्रीय कल्पना के अनुरूप, भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली की सामूहिक पेशकश का प्रतिनिधित्व करता है.
नीति आयोग और भारत में संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार - संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सहयोग ढांचा 2023-2027 पर हस्ताक्षर किए. GoI-UNSDCF पर नीति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम और भारत में संयुक्त राष्ट्र रेजीडेंट कोओर्डीनेटर शोम्बी शार्प ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, नीति आयोग के वरिष्ठ प्रतिनिधियों, केन्द्रीय मंत्रालयों और भारत में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रमुखों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए.
GoI-UNSDCF 2023-2027 सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति, लैंगिक समानता, युवा सशक्तिकरण और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए, विकास की राष्ट्रीय कल्पना के अनुरूप, भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली की सामूहिक पेशकश का प्रतिनिधित्व करता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा का प्रस्ताव ए/आरईएस/72/279 देश के स्तर पर संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली के लिए प्रमुख योजना और कार्यान्वयन साधन के रूप में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सहयोग ढांचे को निर्दिष्ट करता है. देश में काम कर रही संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं की कार्यक्रम प्राथमिकताएं भारत सरकार-UNSDCF से ली गई हैं.
GoI-UNSDCF 2023-2027 चार रणनीतिक स्तंभों पर बनाया गया है जो 2030 के एजेंडा – लोग (पीपल), समृद्धि (प्रॉस्पेरेटी), पृथ्वी (प्लेनेट) और भागीदारी (पार्टीसिपेशन) से लिए गए हैं. आपस में जुड़े चार स्तंभों में छह परिणाम क्षेत्र हैं जो स्वास्थ्य और सम्पूर्ण स्वास्थ्य; पोषण और खाद्य सुरक्षा; गुणवत्तापूर्ण शिक्षा; आर्थिक विकास और अच्छा कार्य; पर्यावरण, जलवायु, वॉश और लचीलापन; और लोगों, समुदायों और संस्थानों को सशक्त बनाने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं.
महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने के लिए, पहली बार, जीओआई-यूएनएसडीसीएफ का एसडीजी के स्थानीयकरण और दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर विशेष ध्यान होगा, जो एसडीजी के कार्यान्वयन और तेजी लाने की दिशा में भारत के नेतृत्व; दक्षिण-दक्षिण सहयोग की हिमायत करने के अनुरूप होगा. वैश्विक स्तर पर विकास के भारतीय मॉडलों को प्रदर्शित करना इस प्रयास का केन्द्र होगा.
GoI-UNSDCF 2023-2027 को भारत सरकार की ओर से नीति आयोग के नेतृत्व में बनाया गया था, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों की मजबूत भागीदारी थी. संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर ने इसका नेतृत्व किया और संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली से प्राप्त जानकारी का संयोजन किया. नागरिक समाज, विचारकों, निजी क्षेत्र, सहकारी समितियों और श्रमिक संघों के साझेदारों ने भी दस्तावेज़ के विकास में योगदान दिया, जिससे संपूर्ण समाज, संपूर्ण सरकार और संपूर्ण संयुक्त राष्ट्र दृष्टिकोण सुनिश्चित हुआ. GoI-UNSDCF को पिछले सहयोग ढांचे (2018-2022) के तीसरे पक्ष के मूल्यांकन और भारत में संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए एक सामान्य देश विश्लेषण (सीसीए) द्वारा जानकारी दी गई थी.
GoI-UNSDCF 2023-2027 के कार्यान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग का नेतृत्व संयुक्त संचालन समिति के माध्यम से भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र, भारत द्वारा किया जाएगा.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा, "अगले पांच साल एक नवाचार संचालित, समावेशी, लचीले और टिकाऊ भारत के लिए निर्णायक होंगे. भारत के लिए, "किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने" का सिद्धांत इसकी विशाल और विविध जनसांख्यिकी के साथ-साथ इसके जबरदस्त जनसांख्यिकीय लाभांश की संभावना के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. GoI-UNSDCF, अपनी सहमत साझेदारी, नतीजों और उत्पादन के माध्यम से राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं की उपलब्धि में योगदान देगा. सहयोग के ढांचे को एक जीवंत और गतिशील ढांचा होना चाहिए और भारत कैसे बदलता है और दुनिया कैसे बदलती है, इसके आलोक में अनुकूल होना चाहिए.”
सहयोग ढांचे पर हस्ताक्षर करते हुए नीति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने कहा: "भारत बड़े पैमाने पर विकास और लचीलापन प्रदान करने की अपनी क्षमता में तेजी से आगे बढ़ा है. इसमें भारत की सामाजिक कल्याण प्रणाली और सुरक्षा जाल को बदलना शामिल है, जो डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और राष्ट्रीय मिशनों की एक श्रृंखला के एक मजबूत इकोसिस्टम के सहारे है. जलवायु कार्य और लचीलेपन में भारत का नेतृत्व लगातार बढ़ रहा है. समय आ गया है कि पिछली सदी की चुनौतियों का पूरी तरह से समाधान किया जाए और अमृत काल की चुनौतियों का सामना करके विकसित भारत बनाया जाए. सहयोग ढांचा भारत के परिवर्तन पर ध्यान केन्द्रित करेगा और समर्थन करेगा जहां इसकी न केवल बुनियादी आवश्यकताओं जैसे कि पानी/बिजली/इंटरनेट तक पहुंच होगी, जो महत्वपूर्ण हैं लेकिन इन मुद्दों की गुणवत्ता भविष्य के लिए अधिक प्रासंगिक होगी.”
नया ढांचा एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है क्योंकि दुनिया सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडा को प्राप्त करने के लिए आधे रास्ते तक पहुंच चुकी है, और भारत माननीय प्रधानमंत्री के स्पष्ट आह्वान के अनुरूप अगले 25 वर्षों में एक 'विकसित भारत' की कल्पना करता है.
लॉन्च के समय सहयोग रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने कहा: "भारत 2030 के एजेंडा का एक प्रमुख निर्माता है. भारत सरकार के संदेश सबका साथ, सबका विकास, में परिलक्षित 'किसी को पीछे नहीं छोड़ने' के लक्ष्य के साथ भारत ने एसडीजी के साथ अपनी प्रमुख राष्ट्रीय पहलों को जोड़ा है और बड़े पैमाने पर विकास लाभ प्रदान करते हुए 2030 के एजेंडा को सभी स्तरों पर स्थानीय कार्यों में बदला है. आगे भारत की युवा आबादी की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शेष विकास चुनौतियों को दूर करने और एक अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए मानव पूंजी में निवेश में तेजी लाने की आवश्यकता होगी. जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा है, भारत वह देश है जो एसडीजी को हासिल करना एक वैश्विक वास्तविकता बना सकता है.”