मन की बात में बोले पीएम मोदी, "कृषि कानूनों से दूर होगी किसानों की परेशानी"
'मन की बात' में बोले पीएम मोदी : "कृषि सुधारों ने किसानों के लिए खोले संभावनाओं के द्वार।"
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह मन की बात कार्यक्रम के जरिये देश को एक बार फिर संबोधित किया। मोदी ने कहा कि आज के मन की बात की शुरुआत मैं खुशखबरी से करता हूं। हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा, कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से वापस भारत आ रही है। यह प्रतिमा लगभग 100 साल पहले 1913 के करीब वाराणसी के एक मंदिर से चुराकर देश से बाहर भेज दी गई थी। इस बात के लिए पीएम मोदी ने कनाडा सरकार और इस काम में लगे सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।"
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा,
"मैं आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूं। हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से वापस भारत आ रही है। माता अन्नपूर्णा का काशी से बहुत ही विशेष संबंध है। अब उनकी प्रतिमा का वापस आना हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतरराष्ट्रीय गिरोहों का शिकार होती रही हैं।"
पीएम मोदी ने यह भी कहा, कि माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ एक संयोग यह भी जुड़ा है कि कुछ दिन पूर्व ही वर्ल्ड हेरिटेज हेरिटेज वीक मनाया गया है। वर्ल्ड हेरिटेज हेरिटेज वीक संस्कृति प्रेमियों के लिए, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
पीएम ने कहा,
"आज देश में कई संग्रहालय और लाइब्रेरी अपने कलेक्शन को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का काम कर रहे हैं। दिल्ली में हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस संबंध में कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं।"
प्रधानमंत्री ने कहा,
"इस महीने 12 नवंबर से डॉक्टर सलीम अली जी का 125वां जयंती समारोह शुरू हुआ है। डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में बर्ड वाचिंग को लेकर उल्लेखनीय कार्य किए हैं। दुनिया में बर्ड वाचिंग को, भारत के प्रति आकर्षित भी किया है। भारत में बहुत सी बर्ड वाचिंग सोसाइटी सक्रिय हैं।पीएम ने लोगों से अपील की कि आप भी जरूर इस विषय के साथ जुड़िए।"
पीएम मोदी ने कहा,
"मेरी भागदौड़ की जिन्दगी में, मुझे भी पिछले दिनों केवड़िया में पक्षियों के साथ समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला। भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो कई लोग वापस अपने देश जाकर इस संस्कृति के संवाहक बन गए।"
मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने गुरु नानक देव को भी याद किया और उन्होंने कहा कि कल 30 नवंबर को हम श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व मनाएंगे। पूरी दुनिया में गुरु नानक देव जी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वैंकुअवर से विलिंगटन तक, सिंगापुर से दक्षिण अफ्रीका तक उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं। गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है- 'सेवक को सेवा बन आई', यानी सेवक का काम सेवा करना है। बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आए और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला। क्या आप जानते हैं कि कच्छ में एक गुरुद्वारा है, लखपत गुरुद्वारा साहिब। 2001 के भूकंप से कच्छ के लखपत गुरुद्वारा साहिब को भी नुकसान पहुंचा था। यह गुरु साहिब की कृपा ही थी कि मैं इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया।
कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री ने कहा,
"भारत मे खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। इन अधिकारों ने बहुत ही कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।"
उन्होंने आगे कहा,
"काफ़ी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बन्धन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नये अधिकार भी मिले हैं, नये अवसर भी मिले हैं।"
पीएम ने कहा,
"प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के धुले के किसान जीतेंद्र भोइजी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने नए कृषि कानूनों का इस्तेमाल किया। उन्होंने मक्के की खेती की थी और 3 लाख 32,000 में व्यापारियों को बेचना तय किया। उन्हें 25,000 अडवांस भी मिला, लेकिन उनका बाकी का पेमेंट फंस गया। 4 महीने तक उनका पेमेंट नहीं हुआ। बाद में नया कृषि कानून उनके काम आया।"
साथ ही उन्होंने यह भी कहा,
"नए कृषि कानूनों के तहत एसडीएम को 1 महीने के अंदर उनकी शिकायत का निपटारा करना होता है। उन्होंने शिकायत की और चंद दिनों में उनकी शिकायत का निपटारा हो गया। कानून की सही और पूरी जानकारी ही जीतेंद्र की ताकत बनी।"
साथ ही पीएम ने कहा,
"साथियों, जागरूकता है, तो जीवंतता है। अपनी जागरूकता से हजारों लोगों का जीवन प्रभावित करने वाले एक कृषि उद्यमी वीरेंद्र यादव हैं। मेरा नौजवानों, विशेषकर कृषि की पढ़ाई कर रहे लाखों विद्यार्थियों से आग्रह है कि वो अपने आस-पास के गावों में जाकर किसानों को आधुनिक कृषि के बारे में, हाल में हुए कृषि सुधारो के बारे में, जागरूक करें।"