Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

एयरफोर्स के युवा पायलटों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर बचाई हजारों जिंदगियां

 एयरफोर्स के युवा पायलटों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर बचाई हजारों जिंदगियां

Sunday February 03, 2019 , 3 min Read

पायलट समीर और सिद्धार्थ

बीते शुक्रवार को भारतीय वायु सेना का प्रशिक्षक विमान मिराज 2000 बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें दोनों पायलटों की मौत हो गई। अगर दोनों पायलट अपनी जान बचाने के लिए थोड़ा पहले विमान से बाहर निकलने की कोशिश करते तो हजारों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी। विमान में स्क्वैड्रन लीडर समीर अबरोल और सिद्धार्थ नेगी सवार थे। दोनों पायलटों ने अपनी जान की कुर्बानी देते हुए भारतीय सेना के जज्बे को बरकरार रखा।


डिफेंस डिपार्टमेंट की तरफ से जारी एक बयान में कहा, 'शुक्रवार सुबह मिराज 2000 प्रशिक्षक विमान अपग्रेड किये जाने के बाद संक्षिप्त उड़ान पर निकला था कि कुछ ही देर बाद वह बेंगलुरू के एचएएल हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।' दोनों पायलटों के पास यह तय करने के लिए सिर्फ माइक्रोसेकंड्स थे कि वे जलते विमान में ही रहें या बाहर निकल जाएं। लेकिन अगर वे पहले ही बाहर निकलने की कोशिश करते तो विमान ऐसे इलाके में जा सकता था जहां काफी घनी आबादी है।


इंडियन एयरफोर्स के अधिकारी ने डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए कहा कि जब स्थानीय लोग पायलटों को बचाने के लिए घटनास्थल पर गए तो उन्हें अहसास हुआ कि पायलटों ने कितने लोगों की जान बचाई है। अधिकारी इस दुर्घटना का प्रत्यक्ष के गवाह भी हैं। अधिकारी ने बताया कि टेक ऑफ करने से कुछ सेकंड्स पहले ही विमान से धुआं निकलने लगा और दोनों पायलटों को कुछ समझने का वक्त ही नहीं मिला। हालांकि उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन विमान आग की लपटों से जलने लगा।


स्थानीय सूत्रों के मुताबिक एचएएल एयरपोर्ट के बाहर की काफी भीड़-भाड़ वाला इलाका पड़ता है और पास में ही स्कूल भी है। अगर विमान थोड़ा आगे जाकर क्रैश होता तो कई लोगों की जान जा सकती थी। जिस जगह पर विमान क्रैश हुआ उसके 500 मीटर आगे ही मनुजंता लेआउट पड़ता है और वहां पर तीन स्कूल हैं। दोनों पायलटों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर हजारों लोगों की जिंदगी बचाई उसके लिए देश उनका सदा आभारी रहेगा।


एनबीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक समीर ने एनडीए की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास की और भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए थे। समीर ने अपने घर में बताया था कि करीब ढाई साल की ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होंने देश के बड़े-बड़े फाइटर प्लेन को उड़ाने में दक्षता प्राप्त कर ली है। हालांकि, अभी वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे और नई तकनीक से बनने वाले फाइटर प्लेन के बारे में पढ़ाई करने और जानने की कोशिश करते रहते थे।



यह भी पढ़ें: केरल की बाढ़ में गर्भवती महिला को बचाने वाले नेवी कमांडर विजय को मिला नौसेना मेडल