बदलाव समूची संगठनात्मक संचरना को बदलने का नाम है-सुषमा राजागोपालन
आईटीसी इंफोटेक से जुड़ी सुषमा राजागोपालन का कहना है कि आने वाले समय में स्टार्टअप्स के लिये निवेश की कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन यह देखना अधिक महत्वपूर्ण होगा कि कैसे व्यवसायी इनको उत्पादकता में बदलने में कामयाब होते हैं।
विकास के दौर से गुजर रहे स्टार्टअप्स को इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिये एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के अलावा इंक्यूबेटर्स, निवेशकों और विभिन्न सेवा प्रदाताओं के समर्थन की भी आवश्यकता होती है। शुक्रवार केा बैंगलोर में टेकस्पाक्र्स के छठे संस्करण में बालते हुए आईटीसी इंफोटेक की एमडी और सीईओ सुषमा राजागोपालन ने कहा, ‘‘अगर हम यह देखने के लिये कि हम आईटी सेवाओं में कैसे उतरे आज से 25-25 वर्ष पूर्व के समय पर नजर डालें तो यह ड़ी आसानी से समझ आएगा कि ऐसा सिर्फ भारत में मौजूद प्रतिभा के बल पर संभव हो पाया। और इस प्रतिभा का ठीक तरीके से फायदा उठाते हुए हम एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करते हुए वैश्विक इनोवेशन को बढ़ावा दे सकते हैं।’’
बदलाव कहां नहीं हो रहा है
2.67 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता और प्रतिदिन 4 बिलियन से अधिक यूट्यूब डाउनलोड के शानदार आंकड़ों के दम पर आप बड़ी आसानी से इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि आज की दुनिया किस प्रकार के बदलाव के दौर से गुजर रही है। लैंडलाइन फोन को 1 मिलियन उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा छूने में 17 वर्ष का समय लगा जबकि व्हाट्सएप्प सिर्फ एक वर्ष में ही ऐसा करने में कामयाब रही।
सुषमा कहती हैं, ‘‘लोग आपस में बहुत तेजी और आसानी से एक-दूसरे के साथ जुड़ने में कामयाब हो रहे हैं और जब आप जुड़ने में कामयाब होते हैं तो आपके खरीदने, बेचने और बातचीत करने के अंदाज ही बदल जाते हैं। मैं लगातार अपने माता-पिता के साथ फेसबुक के माध्यम से संपर्क स्थापित करती हूँ और वे भी 80 वर्ष की उम्र में ऐसा आसानी से करते हैं। ऐसे में मैं दुनिया से प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए सबकुछ बदलने की उम्मीद करती हूँ।’’
बदलाव की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यह लोगों के बीच की दूरी को कम करते हुए उनकी दक्षता में इजाफा करता है और उन्हें नित-नए अनुभवों से रूबरू करवाता है। सुषमा इस बात पर जोर देती हैं कि चाहे वी ओला हो या फिर उबर हो या येलो पेजिस, यह सिर्फ उद्यमियों की सक्रिय भूमिका और उनके नवीन विचार ही थे जिन्होंने उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाबी दिलवाई। इसके लिये प्रमुख रूप से इस सहस्त्राब्दि का कार्यबल उत्तरदायी है जिसका 70 प्रतिशत हिस्सा अपने दम पर कुछ नया प्रारंभ करना चाहता है।
कर्मचारियों के बीच उद्यमशीलता की भावना को हवा देना
आईटीसी इंफोटेक में हजारों की संख्या में कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी ने अपने कर्मचारियों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ाने के लिये उन्हें अपना स्वयं का उद्यम प्रारंभ करने के लिये प्रेरित करने का काम किया है। वर्तमान में लगभग प्रत्येक बड़ा संस्थान विभिन्न स्टार्टअप्स के लिये मार्गदर्शक की भूमिका निभाने और उनमें निवेश करने के लिये तैयार है।
सुषमा का मानना है कि आने वाले समय में स्टार्टअप बिरादरी के लिये पूंजी की कोई कमी नहीं होगी क्योंकि उद्यमी पूंजीपति और निवेशक निजी इक्विटी फंड की बनिस्बत स्टार्टअप्स में निवेश करने को तैयार बैठे हैं। हालांकि सुषमा इस बात पर अपना पूरा जोर देती हैं कि एक बहुत बड़ी संख्या में कंपनियां निवेश पाने में सफल नहीं रहेंगी क्योंकि इस दुनिया को सिर्फ पैसे के अलावा और भी बहुत कुछ की दरकार होती है। स्टार्टअप बिरादरी को सहयोग और बढ़ावा देने के लिये एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण समय की आवश्यकता है। निकट भविष्य मे हैकेथाॅन्स की संख्या में इजाफा होगा लेकिन उनका फायदे के लिये उपयोग करना मुख्य चुनौती है।
सुषमा आगे कहती हैं, ‘‘यहां पर आईटीसी इंफोटेक में हम प्रत्येक हैकथाॅन में 6 से 8 विचारों को लेते हैं। हम इनमें पैसे का निवेश न करते हुए इन्हें अपने विचार को बाजार तक सफलतापूर्वक ले जाने में सशक्त करने का काम करेंगे। ऐतिहासिक रूप से देखें तो बड़े व्यापारिक घरानों ने हमेशा से ही स्टार्टअप्स की खोज की है या फिर उन्हें खरीदा है। निर्माताओं के बीच पूर्ण स्पष्टता, विचार को बिक्री योग्य प्रस्ताव में परिवर्तित करने की क्षमता और एक मजबूत बिक्री चैनल का निर्माण इस पारिस्थितिकीतंत्र के तीन सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं।’’