स्टेट बैंक के ग्राहक हैं तो जानें ये जरूरी बातें, लागू हो गए नए नियम
स्टेट बैंक अपने मोबाइल ऐप को अपडेट करके होस्ट कार्ड एम्यूलेशन तकनीक के जरिए कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने की दिशा में काम काम कर रहा है। इसके जरिए खरीदारी करते समय कार्ड को प्वाइंट ऑफ सेल (POS) में स्वाइप करने के बजाए फोन से ही पेमेंट किया जा सकेगा।
बैंक ने ग्राहकों से कहा है कि वे नई चेकबुक के लिए अप्लाई कर दें। अगर इन पांच बैंकों के ग्राहकों में से किसी के पास पुरानी चेकबुक हैं तो ये अवैध करार दी जाएंगी।
देश का दूसरा सबसे बड़ा कार्ड जारीकर्ता अब अपने कस्टमर्स को प्री-अप्रूव्ड कार्ड देने की तैयारी में है। बैंक ने कार्ड खर्च में एख महत्वपूर्ण तेजी दर्ज की है।
एक अक्टूबर से स्टेट बैंक ने अपने कामकाज में काफी परिवर्तन कर दिया है। हाल ही में अपने पूर्व पांच सहयोगी बैंक के मर्जर के बाद उन बैंकों से जुड़े ग्राहकों को चेकबुक बदलने के लिए कहा है। इसमें भारतीय महिला बैंक के ग्राहक भी शामिल होंगे। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक ने ग्राहकों से कहा है कि वे नई चेकबुक के लिए अप्लाई कर दें। अगर इन पांच बैंकों के ग्राहकों में से किसी के पास पुरानी चेकबुक हैं तो ये अवैध करार दी जाएंगी। दरअसल इन बैंकों के एसबीआई में विलय के बाद उन बैंकों के IFS कोड अवैध करार दिए जा चुके हैं। इसलिए पुरानी चेक भी मान्य नहीं होंगी।
हालंकि नई चेकबुक इशू करवाने के लिए ग्राहकों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग या एटीएम से भी नई चेकबुक प्राप्त करने के लिए आवेदन किया जा सकता है। एसबीआई ने जिन सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय किया गया है उनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर और भारतीय महिला बैंक शामिल हैं। स्टेट बैंक ऑफ मैसूर में एसबीआइ का 90 फीसद हिस्सा था जबकि बीकानेर एंड जयपुर में 75.07 प्रतिशत था। त्रावणकोर में एसबीआइ की हिस्सेदारी 79.09 प्रतिशत है।
इसके साथ ही एसबीआई अपने कार्डधारकों को एक और सहूलियत देने जा रहा है। एसबीआई के कस्टमर अब अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल बतौर स्वाइप मशीन कर पाएंगे। बैंक अपने मोबाइल ऐप को अपडेट करके होस्ट कार्ड एम्यूलेशन तकनीक के जरिए कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने की दिशा में काम काम कर रहा है। इसके जरिए खरीदारी करते समय कार्ड को प्वाइंट ऑफ सेल (POS) में स्वाइप करने के बजाए फोन से ही पेमेंट किया जा सकेगा। अभी तक डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए खरीददारी की दा सकती थी। यह ऐप अभी ट्रायल रन के तौर पर सैमसंग के फोन में काम कर रहा है। लेकिन अब बैंक अपना ऐप लॉन्च कर देगा जो नीयर फील्ड कॉम्युनिकेशन (NFC) को इस्तेमाल करते हुए स्मार्टफोन में कार्ड के वर्चुअलाइजेशन को ऐक्टिव कर देता है।
एसबीआई ने इस ऐप में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है उसके जरिए कार्ड भारत क्यू आर कोड को भी रीड करने में सक्षम है। एसबीआई के कार्डधारकों का बेस बढ़कर 50 लाख के पार हो गया है। इसमें से करीब 10 लाख कस्टमर्स पिछले एक साल में जुड़े हैं। एसबीआई कार्ड अगले 2 साल में अपने बेस को 50 लाख से बढ़ाकर दोगुना करना चाहता है। देश का दूसरा सबसे बड़ा कार्ड जारीकर्ता अब अपने कस्टमर्स को प्री-अप्रूव्ड कार्ड देने की तैयारी में है। बैंक ने कार्ड खर्च में एक महत्वपूर्ण तेजी दर्ज की है। बीते एक वर्ष में यह औसतन 3500 करोड़ रुपये प्रति महीना से बढ़कर 5500 करोड़ रुपये के पार हो गया है।
इन सुविधाओं के अलावा एसबीआई ने अपने ग्राहकों के लिए एक और परिवर्तन किया है। अब स्टेट बैंक की शाखाओं में सेविंग्स अकाउंट्स में मंथली एवरेज बैलेंस (MAB) बरकरार न रखने पर सर्विस चार्ज 20-50 पर्सेंट तक कम कर दिया है। बैंक ने मेट्रो और अर्बन सेंटर्स को समान कैटिगरी में रखने का भी फैसला किया है और इस वजह से मेट्रो सेंटर्स में मिनिमम बैलेंस की जरूरत 5,000 रुपये से कम होकर 3,000 रुपये हो गई है। इसके अलावा पेंशनर्स, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और नाबालिगों को इससे छूट दे दी गई है।