IIT इंजीनियर ने बनाई बैट्री, एक बार चार्ज करने पर 1,000 किमी तक जाएगी कार
आईआईटी-रुड़की से पीएचडी अक्षय सिंघल ने एक ऐसी मेटल-एयर बैटरी विकसित की है जो आपकी कार को पानी से चलाने की कहावत को चरितार्थ कर देगी।
लॉग9 का दावा है कि उनकी मेटल-एयर बैटरी एक बार की चार्जिंग में 1,000 किलोमीटर की माईलेज उपलब्ध करवाती है और इसकी लागत लीथियम बैटरी से आधी है।
नेनोटेक स्टार्टअप 'लॉग9' द्वारा विकसित की गई मेटल-एयर बैटरी की कीमत इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल की जाने वाली लीथियम-आयरन बैटरी के मुकाबले करीब आधी है और यह एक बार चार्ज करने पर करीब 1,000 किमी तक चलती है।
ईंधन की बढ़ती कीमतों से दुखी हैं? हो सकता है नैनो टेक्नोलॉजी स्टार्टअप लॉग9 के संस्थापक और सीईओ, 25 वर्षीय अक्षय सिंघल के पास अपनी समस्याओं का समाधान मौजूद हो। आईआईटी-रुड़की से पीएचडी सिंघल ने एक ऐसी मेटल-एयर बैटरी विकसित की है जो आपकी कार को पानी से चलाने की कहावत को चरितार्थ कर देगी।
नहीं, यह कोई घपला या घोटाला नहीं है। 'लॉग9' ग्रैफीन के इस्तेमाल से ऐसी मेटल-एयर बैटरियां तैयार करता है जो न सिर्फ इलेक्ट्रिन वाहनों के लिये बल्कि इंवर्टर जैसे पावर बैकअप देने वाले स्थिर उत्पादों के लिये भी कमर्शियल रूप से किफायती हैं। सिंघल का कहना है कि ग्राफीन कागज की तुलना में लाखों गुना पतला और स्टील से 200 गुना अधिक मजबूत है, जो इसे आने वाली पीढ़ियों की बैटरी का भविष्य बनाता है।
'लॉग9' के मुताबिक, कार इलेक्ट्रोकैमिकल प्रतिक्रिया द्वारा उत्पादित बिजली पर चलती है। मेटल प्लेट के साथ अतिरिक्त रूप से एक ग्राफेन रॉड को जोड़कर पानी के साथ बिजली उत्पादित होती है क्योंकि यह रासायनिक प्रतिक्रिया का आधार है। इसके फलस्वरूप उत्पादित हुई बिजली को एक इलेक्ट्रिक मोटर के जरिये आगे भेजा जाता है।
सिंघल कहते हैं कि इसके विपरीत लीथियम-आयन बैटरी सिर्फ ऊर्जा के भंडारण तक सीमित रहती है और ऊर्जा का उत्पादन नहीं करती है। द हिंदू को दिये गए एक इंटरव्यू में वे कहते हैं, 'उदाहरण के लिये, एक ई-वाहन का माईलेज 100-150 किमी होता है, जिसके बाद उसे चार्ज करना होता है। चार्जिंग में औसतन पांच घंटे का समय लगता है। अगर आप कोरामंगला से बेंगलुरु एयरपोर्ट का सफर कर रहे हैं तो आप एक बार की चार्जिंग में लौट-फेर नहीं कर सकते। कंपनी का प्रमुख लक्ष्य ई-वाहनों को चार्ज करने की इस आवश्यकता को प्रतिस्थापित करते हुए उन्हें गैसोलीन की तरह दोबारा ईंधन देना है, लेकिन पानी से।'
प्रदर्शन के आधार पर, लॉग9 का दावा है कि उनकी मेटल-एयर बैटरी एक बार की चार्जिंग में 1,000 किलोमीटर की माईलेज उपलब्ध करवाती है और इसकी लागत लीथियम बैटरी से आधी है। 2015 में आईआईटी रुड़की में विचार आने के बाद, सिंघल और उनके बैचमेट और सह-संस्थापक कार्तिक हजेला दवा, जैव प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में विभिन्न व्यवहारिक अनुप्रयोगों पर काम कर रहे हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये बिजली संसाधन तैयार करने से पहले लॉग9 ने पफ नामक एक उत्पाद लॉन्च किया था। यह ग्राफीन आधारित एक ऐसा फिल्टर है जिसे आसानी से सिगरेट से जोड़ा जा सकता है और यह धूम्रपान के अनुभव को प्रभावित किये बिना जहरीले रसायनों को 50 प्रतिशत तक कम करता है। उनका यह उत्पाद 'फिल्टर' के फार्मास्युटिकल ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है।
इसके अतिरिक्त इस स्टार्टअप ने नॉन-इलेक्ट्रिक जल शुद्धीकरण प्रणाली (वॉटर फिल्टर), वायु निस्पंदन और अन्य शुद्धि उत्पादों को सफलतापूर्वक तैयार किया है। फाइनेंशियल एक्स्प्रेस के मुताबिक, इनके पास ग्राफीन सिंथेसिस और ग्राफीन उत्पादों में तीन पेटेंट भी हैं।
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