इनकी ‘बैंकिंग’ को दुनिया सलाम करती है
ब्लड, सैलाइवा और डीएनए बैंकिंग के क्षेत्र OpenSpecimen ने बनाया खास मुकाम
2018 तक बॉयो-बैंक्स का ग्लोबल मार्केट 216 मिलियम डॉलर तक पहुंचने का अंदाजा लगाया जा रहा है। टाइम मैगजीन ने दुनिया को बदलने वाले 10 आइडियाज़ में बॉयो-बैंकिंग को भी गिना है। मगर आज ये बाजार स्टैंडर्ड और क्वालिटी बॉयोस्पेसिमेन की कमी से जूझ रहा है जबकि ये क्लिनिकल रिसर्च के लिहाज के काफी क्रुसियल होता है।
उच्च क्वालिटी और स्टैंडर्ड बॉयोस्पेसिमेन की रिसर्च के लिए बहुत ज्यादा डिमांड है मगर इसकी उपलब्धता बेहद सीमित है। इसी को ध्यान में रखते हुए श्रीकांत अडिगा ने 2012 में OpenSpecimen को लॉन्च किया। ये एक ओपन सोर्स बॉयो-बैंकिंग इन्फॉर्मेटिक्स प्लेटफॉर्म है जो हाई-क्वालिटी बॉयोस्पेसिमेन जैसे ब्लड, सैलिव, प्लाज़्मा, डीएनए और आरएनए तक पहुंच उपलब्ध कराता है।
OpenSpecimen का मोट्टो है कि बगैर हाईक्वालिटी डेटा वाला बॉयोस्पेसिमेन किसी काम का नहीं होता। इस फ्री और ओपन सोर्स बॉयो-बैंक मैनेजमेंट डेटाबेस की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं की बात करें तो ये किसी विशिष्ट बीमारी या स्टडी की जरूरतों के हिसाब से स्टैंडर्ड डेटा को कलेक्ट और प्रॉसेस्ड करता है।अभी 13 से ज्यादा देशों के 30 से ज्यादा बॉयो-बैंक OpenSpecimen का इस्तेमाल कर रहे हैं।
OpenSpecimen को शुरू-शुरू में caTissue के रूप में 2004 में लॉन्च किया गया था। इसके लिए अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने फंडिंग की और इसे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी जैसे यूएस एकेडमिक रिसर्च सेंटर्स का सहयोग हासिल था। श्रीकांत इस प्रोजेक्ट के पहले डेवलपर्स में से एक थे। उन्होंने जब इसे ज्वॉइन किया तब वो पुणे में परसिस्टेंट सिस्टम्स में काम कर रहे थे। 2011 में जब इस प्रोजेक्ट में फंडिंग को विदड्रा कर लिया गया तो कृषाग्नि सोल्यूशंस ने इसका अधिग्रहण कर लिया मगर प्रोडक्ट के ओपन सोर्स नेचर को बरकरार रखा गया।
OpenSpecimen के LIMS अप्लिकेशन के जरिये बॉयो-बैंक्स अपनी जरूरत के हिसाब से बॉयो-स्पेसिमेन ट्रैक कर सकते हैं। OpenSpecimenपर मौजूद कलेक्शन, कंसेन्ट, क्यूसी, रिक्वेस्ट और डिस्ट्रिब्यूशन के काम को कस्टमाइज किया जा सकते हैं। कृषाग्नि नए-नए वर्जन्स डेवलप करता है और प्रोफेशनल सपोर्ट उपलब्ध कराता है। कंपनी अपने प्रोडक्ट के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर काम कर रही है और इसके लिए चाइनीज और स्पेनिश वर्जन को शुरू किया है।
पिछले साल सालाना कम्यूनिटी मीटिंग में दुनिया भर के बॉयोबैंकर्स ने माना कि OpenSpecimen बॉयोबैंकिंग इंडस्ट्री की बहुत सारे क्रिटिकल नीड्स की पूर्ति करती है।
OpenSpecimen के बिजनेस मॉडल की बात पर श्रीकांत कहते हैं कि सबसे बड़ा फायदा ये है कि डेटाबेस एक ओपन सोर्स है। और सबसे बड़ा फर्क इसके लाइसेंसिंग मॉडल में है। ओपन सोर्स होने की वजह से ये प्लेटफॉर्म फ्री टू यूज है। यूजर्स को सिर्फ सपोर्ट जैसी कंस्लटेंसी सर्विसेज, इंस्टालेशन, डेटा माइग्रेशन, कस्टमाइजेशन्स, इन्टिग्रेशन आदि के लिए ही चार्ज किया जाता है।
श्रीकांत कहते हैं- “एकेडमिक रिसर्च सेंटर्स को ओपन सोर्स बहुत पसंद आता है। इसीलिए हम नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (अमेरिका) के फंडिंग से हाथ खीचने के बाद भी एक लिबरल ओपन सोर्स स्ट्रक्चर को बरकरार रखे हुए हैं। हमारे पास लोग हैं, एक्सप्रिएंस है, एक्सपर्टाइज है और अपने क्लाइंट्स को सही रास्ता देने के लिए जरूरी रिसोर्सेज हैं।”
रिस्पॉन्स और चुनौतियां
OpenSpecimen के पास सेल्स और मार्केटिंग टीम नहीं है। फिर भी यूजर्स का फीडबैक काफी सकारात्मक है और वर्ड्स-ऑफ-माउथ के जरिये क्लाइंट्स लगातार आ रहे हैं।
श्रीकांत बताते हैं- “एक ऐसा वर्ल्ड क्लास प्रोडक्ट बनाने में हमारा सारा निवेश खर्च हो गया जो उच्च क्वालिटी का हो और जिसका इस्तेमाल बहुत आसान हो। इस रणनीति ने हमें तेजी से प्रोडक्ट में सुधार करने और रियल प्रॉबल्म्स को सॉल्व करने में समर्थ बनाया। इसके अलावा हम यूजर कम्यूनिटी की जरुरतों के हिसाब से प्रोडक्ट डेवलपमेंट की रणनीति पर चलते हैं। हमारे यूजर्स हमारी जरुरतों को शक्ल देने और उनकी पूर्ति करने में मदद करते हैं।”
फिर भी वेंचर के सामने कई चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो ये है कि OpenSpecimen इंडिया-बेस्ड है और इंटरनेशनल मार्केट में विक्री करता है।
श्रीकांत बताते हैं कि सेल्स में फॉलो-अप्स, फेस-टू-फेस मीटिंग्स और डेमोस की जरूरत होती है। वह कहते हैं- “हमारे आकार जैसी कंपनी को फुल टाइम सेल्स पर्सोनल्स की भर्ती बुद्धिमानी का काम नहीं है। इसलिए हमने डिस्ट्रिब्यूटर्स और पार्टनर्स के जरिये काम करना शुरू किया जिनके पास बॉयोबैंक का अनुभव है। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई बॉयोबैंक्स को फ्रीजर्स या दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स बेचता है तो हमारे लिए एक बेहतरीन पार्टनर साबित हो सकता है।”OpenSpecimen ने हाल ही में एक ऑस्ट्रेलियन पार्टनर के साथ टाई-अप किया है और कुछ दूसरे देशों में कुछ संभावित पार्टनर्स से बातचीत चल रही है।
ग्रोथ का मौका
श्रीकांत की योजना अगले एक साल में 100 बॉयोबैंक्स तक पहुंचने की है। वह बॉयोबैंक्स को आकर्षित करने के लिए SaaS-based और क्लाउड-बेस्ड ऑफरिंग्स की भी संभावना टटोल रहे हैं। वह बताते हैं- “हम अपने नेक्स्ट जनरेशन वर्जन को लॉन्च करने वाले हैं जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजिज पर आधारित है। हमें उम्मीद है कि ये वैश्विक स्तर पर हमारे विस्तार में बड़ी भूमिका निभाएगा।”OpenSpecimenv2.0 में लेटेस्ट वेब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। ये पहले से भी ज्यादा यूजर-फ्रेंडली है।