अर्पिता ने भारतीय महिलाओं को सिखाया कि कैसे करें आपस में "अंदर की बात"
पसंद और सुविधा के मुताबिक अंतर्वस्त्र पहनने की दी सलाहबिलकुल नया रास्ता चुनकर हासिल की मंज़िलनिराशा और कठिनाईयों को नहीं होने दिया हावीदुनिया-भर में "भारत के ब्रा क्वीन" के नाम से हुईं मशहूर
कई विषय ऐसे हैं जिनके बारे में आपस में ही बात करने में भारतीय महिलाएँ शर्मिंदगी महसूस करती हैं । भारत में आज भी कई महिलाएं कई विषयों पर बात करने से झिझकती हैं , घबराती भी हैं। भले ही अपनी खुद की बात क्यों न हो , उसे छिपाने से तकलीफें भी क्यों न बढ़ रही हो , फिर भी कुछ महिलाएं बिलकुल चुप रहती। बात को अपने तक ही रखती हैं और खुलकर कभी किसी से कुछ भी नहीं कहतीं । उन्हें शायद लगता है कि वर्जित माने जाने वाले विषयों पर वो अपनी राय जाहिर कर शिष्टाचार की सीमाएं पार कर जाएंगी। उन्हें ये डर सताता है कि अगर वो ऐसे विषयों पर बात करेंगी तो सभ्य और सुसंस्कृत माने जाने वाली महिलाओं की सूची ने उनका नाम हटा दिया ।
ऐसा ही एक विषय है अंतर्वस्त्र। जी हाँ , अंतर्वस्त्र। ये तो सभी जानते हैं कि अंतर्वस्त्र हर कोई पहनता है। ये वो वस्त्र हैं जो शरीर से सबसे ज्यादा करीब और शरीर पर सबसे ज्यादा समय तक रहते हैं। एक मायने में शरीर का हिस्सा ही हैं अंतर्वस्त्र। लेकिन, कई कारणों से आज भी कई भारतीय महिलाएं अंतर्वस्त्रों के बारे में एक दूसरे से बात नहीं करतीं। अंतर्वस्त्र आज भी भारतीय महिलाओं के लिए चर्चा का एक अनुचित, अमान्य और वर्जित विषय बना हुआ है।
लेकिन, एक भारतीय महिला ने नयी शुरुआत की है। शुरुआत हुई है अंतर्वस्त्रों के प्रति भारतीय महिलाओं का नज़रिये बदलने और इस सम्बन्ध में बातचीत के तौर-तरीके बदलने की। जिस महिला ने ये साहसिक और चुनौती-भरी शुरुआत की है उनका नाम अर्पिता गणेश है।
अर्पिता आज देशभर में महिलाओं के अंतर्वस्त्रों की सबसे बड़ी जानकार मानी जाती हैं। ये उन्हीं की पहल और कोशिशों का नतीज़ा है कि भारत में कई महिलाएं अब खुलकर अपनी पसंद-नापसंद और ज़रूरतों के बारे में बातचीत करने लगी हैं।
अर्पित का सफर आसान नहीं रहा है। पिछले कुछ सालों में अर्पित को कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उतार-चढ़ाव भरे अब तक के सफर में अर्पिता ने अंतर्वस्त्रों को लेकर भारतीय महिलाओं में मौजूद कई मिथकों को तोड़ा है , कई पुरानी बातों को झूठा साबित किया है।
अंतर्वस्त्रों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने को अर्पित ने एक मिशन बनाया। इस मिशन को आगे बढ़ाने और उसे कामयाब बनाने के लिए अर्पिता को कई सारी लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करना पड़ा। महिलाओं को ध्यान दकियानूसी बातों से दूर कर नयी सोच और तकनीक की ओर ले जाने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ी। सही और अच्छे अंतर्वस्त्रों से होने वाले लाभ के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना पड़ा। मिशन को सफल बनाने के लिए अर्पिता ने हर मुमकिन मंच खासकर सोशियल नेटवर्किंग साइट्स का हर मुमकिन इस्तेमाल किया।
१९९८ से २००८ तक क्रिएटिव एड एजेंसी चलाने वाली अर्पिता की दिलचस्पी शुरू से अंतर्वस्त्रों में थी। कुछ नया और बड़ा करनी की इच्छा भी थी। इसी दिलचस्पी ने अर्पिता के मन में महिलाओं के लिए कुछ परिवर्तनकारी करने का जूनून पैदा दिया। अर्पिता ने "बटरकप्स" नाम से अंतर्वस्त्रों की एक बूटीक की शुरुआत की। ये कोई सामान्य बूटीक नहीं थी। ये बूटीक भारत में महिलाओं के लिए पहली "हाई-एंड लान्श़रै बूटीक" थी। अर्पिता ने अपनी दिलचस्पी की वजह से फ़्रांस और बेल्जियम में ब्रा के दो बड़े ब्रांड्स के ट्रेनिंग सेंटर से ब्रा फिटिंग और मेकिंग में विशेष प्रशिक्षण लिया। उनका यही प्रशिक्षण उन्हें अपने बूटीक को मशहूर और कामयाब बनाने में मददगार साबित हुआ। अपने इस बूटीक के ज़रिये अर्पिता ने भारतीय महिलाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी बड़ी फैशन कंपनियों और ब्रांड्स के अंतर्वस्त्र उपलब्ध करवाये।
अर्पिता ने भारतीय महिलाओं को इस बात का एहसास दिलाया कि उन्हें ही अपनी पसंद और सुविधा के मुताबिक अंतर्वस्त्र पहनने चाहिए और इस मामले में अपनी इच्छाओं और शौक को कुचलना नहीं चाहिए।
"बटरकप्स" को लोकप्रिय बनाने के लिए अर्पिता ने एक नया बिज़नेस मॉडल भी अपनाया। ब्रा की बिक्री को बढ़ाने के मकसद से अर्पिता ने ना सिर्फ बूटीक के ज़रिये कारोबार किया बल्कि ऑनलाइन बिक्री भी शुरू की। महिलाएं अब अपनी पसंद और सहूलियत के मुताबिक ऑनलाइन ही अपने पसंदीदा ब्रा की खरीदारी करती हैं। महिलाओं के लिए काम आसान हो गया है। अब उन्हें बस ऑनलाइन अपना ऑर्डर देना होता है और सामान की डेलिवरी मकान पर हो जाती है। इसी वजह से अर्पिता के बूटीक से ब्रा खूब बिकने लगे।
अपने ब्रा की वजह से अर्पिता कुछ ही दिनों में भारत की "ब्रा क्वीन" बन गयी। भारत में ही नहीं दुनिया-भर में अब उन्हें भारत की "ब्रा क्वीन" की तरह ही जाना जाता है।
अर्पिता को इस खिताब से कोई आपत्ति नहीं है। बल्कि वो इस खिताब पर फक्र महसूस करती हैं। उन्हें इस बात पर भी गर्व है कि एक सफल उद्यमी बनने के लिए उन्होंने बिलकुल अलग रास्ता चुना। भारत में एक ऐसे काम की शुरुआत की , जो पहले किसी ने नहीं किया । कई महिलाओं को खुशियाँ देने में कामयाब हुई थीं , इस बात का भी उन्हें बेहद संतोष है।
अर्पिता यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने अपने ब्रा की बिक्री को और भी बढ़ने के मकसद से मोबाइल फोन एप भी तैयार करवाया है। अब मोबाइल फोन पर एप का इस्तेमाल करते हुए महिलाएं कहीं से भी ब्रा मंगवा सकती हैं। और तो और , पुरुष भी अपने प्रिय के लिए इस एप के ज़रिये ब्रा गिफ्ट करवा सकते हैं।
अर्पिता मानती है कि उन्हें ऑनलाइन बूटीक और दूसरी विदेशी कंपनियों के एप से चुनौती मिल रही है। कई कंपनियां अपने ब्रा को सेक्सी, फंकी और दूसरों से सस्ता बताकर ऑनलाइन और ऑफलाइन बेच रही हैं। लेकिन , अर्पिता का कहना है कि उनकी सफलता की सबसे बड़ी वजह क्वालिटी के मामले में कभी कोई समझौता न करना है ।
अर्पिता ने पिछले ६ साल की अपनी अनोखी यात्रा में एक नहीं बल्कि कई बड़ी कामयाबियां हासिल की हैं।
दुनिया-भर से ३००० से ज्यादा महिलाएं अर्पिता के ब्रा ब्लॉग से आज सीधे जुड़ी हुई हैं। कई सारी महिलाएं ऑनलाइन और बूटीक से ब्रा खरीद रही है।
इतना ही नहीं बड़ी-बड़ी कंपनियां और देश-दुनिया की नामचीन हस्तियां अंतर्वस्त्र के मामले में अर्पिता की ही सलाह ले रही हैं। मशहूर डिज़ाइनर अर्पिता के साथ काम करने की इच्छा जता रहे हैं। अर्पिता इस बात पर भी ख़ुशी ज़ाहिर करती हैं कि उन्होंने मुश्किल दौर में हार नहीं मानी और लक्ष्य हासिल करने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखीं। अर्पिता के मुताबिक, सफर में कई बार ऐसे हालात बने की उन्होंने इस नयी पहन को छोड़ देने की सोची। लेकिन, जोशीले स्वभाव और हार ना मानने के जस्बे ने उन्हें अपनी मज़िल की ओर आगे बढ़ाया।