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जीएसटी से आसमान छू रहा दसकंधर का बाजार भाव

जीएसटी से आसमान छू रहा दसकंधर का बाजार भाव

Monday September 25, 2017 , 5 min Read

 रावण के पुतले तो भारतीय कारीगर बनाते ही हैं, आतिशबाजी आदि के सामान भी इंडियन प्रोडक्ट्स के होंगे। इसके साथ ही एक और दिलचस्प बात सामने आई है, कि रावण के पुतले भी इस बार बाजार में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चपेट में आ गए हैं...

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 सबसे बड़ा अजूबा चंडीगढ़ का सुनने में आ रहा है। यहां बनता है दुनिया का सबसे ऊंचा रावण। जीएसटी की मार उसका कद निचोड़ सकती है। दशहरा पर यहां सबसे ऊंचा 210 फुट का रावण दहन किया जाता है।

दशहरा मेले पर 30 सितंबर को यहां रावण दहन किया जाएगा। राजस्थान के बाली में 33 फीट के रावण का दहन गणगौर मैदान में होगा। दशहरे के दिन यहां के विभिन्न चौराहों पर अखाड़ा प्रदर्शन किया जाता है। चौंकाने वाली सूचना यहीं के रानी कस्बे से मिली है, जहां के शीतला चौक में बच्चों ने अपनी पॉकेट मनी खर्च कर 12 फीट के रावण के पुतले का निर्माण किया है। 

भारतीय बाजारों में चायनीज उत्पादों के देशव्यापी विरोध का सिलसिला थमा नहीं है। विजया दशमी का पर्व आ रहा है तो उससे संबंधित तरह-तरह के सामान भी इस सिलसिले के शिकार हो रहे हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में इस बार नागरिकों ने फैसला लिया है कि वह चीन की आतिशबाजी का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। रावण के पुतले तो भारतीय कारीगर बनाते ही हैं, आतिशबाजी आदि के सामान भी इंडियन प्रोडक्ट्स के होंगे। इसके साथ ही एक और दिलचस्प बात सामने आई है। रावण के पुतले भी इस बार बाजार में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चपेट में आ गए हैं।

देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ा तातारपुर गांव रावण के पुतलों का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। पहले ऑर्डर मिलने पर यहां पुतले बनाये जाते थे। अब यहां के कारीगर विभिन्न आकार के पुतले पहले से बनाकर ग्राहकों की बाट जोहते रहते हैं। इस वक्त यहां 40 फुट के रावण का दाम बारह हजार से पंद्रह हजार रुपए तक है। पहले यह दस-ग्यारह हजार रुपए में मिल जाते थे। पुतले बनाने वाले को यहां रावण वाला बाबा कहा जाता है। इस रोजगार पर इस बार जीएसटी की मार पड़ी है। पुतले में प्रयुक्त होने वाले हर तरह के सामान महंगे हो गए हैं। बांस की एक कौड़ी जो सात-आठ सौ रुपए में मिलती थी, जीएसटी के कारण उसकी कीमत बारह रुपए हो गई है। 

इसी तरह पुतले बनाने में प्रयुक्त होने वाले तार, कागज आदि के दामों में भी उछाल आ गया है। इसका पुतलों की मांग पर गंभीर असर पड़ा है। इस बाजार के जानकार बताते हैं कि पुतलों का दाम प्रति फुट साढ़े तीन सौ रुपए तक हो चुका है। यहां रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद आदि के पुतले बनाए जाते हैं। इनकी बिक्री फुट के हिसाब से होती है यानी पुतले का जितना ऊंचा कद होगा, उतना ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं। इस गांव के पुतलों की पूरे देश भर में मांग रहती है। विजया दशमी को देखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में रावण के तरह-तरह के पुतले आकार लेने लगे हैं। कहीं 19 फीट लंबी मूंछ वाला लंकापति तो कहीं 20 भुजाओं वाला बनाया जा रहा है। 

कहीं दशानन तैयार हो चुका है तो कुंभकर्ण, मेघनाद के पुतलों में रंग भरे जा रहे हैं। कहीं 51 फीट का रावण रंग बिरंगी आतिशबाजी बिखेरने वाला है तो कहीं देवी मां के साथ रावण की भी पूजा की तैयारी है लेकिन सबसे बड़ा अजूबा चंडीगढ़ का सुनने में आ रहा है। यहां बनता है दुनिया का सबसे ऊंचा रावण। जीएसटी की मार उसका कद निचोड़ सकती है। दशहरा पर यहां सबसे ऊंचा 210 फुट का रावण दहन किया जाता है। दहन यहां के बराड़ा कस्बे में होता है। बराड़ा के मैदान में इतने ऊंचे पुतले को जलाने को लेकर भी खींचतान चल रही है। इस रावण को रिमोट कंट्रोल से फूंका जाता है। इस बीच मध्य प्रदेश के बैतूल में इन दिनों जय माता दी और जय श्री राम के साथ सड़कों पर जय लंकेश के जयघोष भी सुनाई दे रहे हैं। यहां के आदिवासी रावण दहन पर रोक की मांग कर रहे हैं। यहां की दो हजार फ़ीट ऊंची एक पहाड़ी पर रावण का मंदिर है। आदिवासी 'रावण काटी' को अपना तीर्थ मानते हैं। वह रावण दहन को अपने इष्टदेव का अपमान मानते हैं।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में तो इस बार ऐसे रावण के पुतलों का दहन होगा, जो हंसेगे, उनके हाथ में ढाल और सिर पर लगे क्षत्र घूमेंगे और खोपड़ी से अंगारे निकलेंगे। उत्तर प्रदेश के ही सीतापुर शहर में मथुरा-वृंदावन के कलाकार रामलीला में अपना जलवा बिखेरने लगे हैं। दशहरा मेले पर 30 सितंबर को यहां रावण दहन किया जाएगा। राजस्थान के बाली में 33 फीट के रावण का दहन गणगौर मैदान में होगा। दशहरे के दिन यहां के विभिन्न चौराहों पर अखाड़ा प्रदर्शन किया जाता है। चौंकाने वाली सूचना यहीं के रानी कस्बे से मिली है, जहां के शीतला चौक में बच्चों ने अपनी पॉकेट मनी खर्च कर 12 फीट के रावण के पुतले का निर्माण किया है। 

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