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6 ऐसे सवाल जो क्रॉनिक मायलॉइड ल्यूकेमिया से जुड़े मरीज डॉक्टर से पूछ सकते हैं

जब बात आपके उपचार की हो तो कोई भी सवाल बड़ा या छोटा नहीं होता. यहां छह ऐसे ही महत्वपूर्ण सवाल दिए गए हैं जो आप अपने डॉक्टर से पूछ सकते हैं ताकि आप अपने उपचार को लेकर आश्वस्त हो पाएं.

6 ऐसे सवाल जो क्रॉनिक मायलॉइड ल्यूकेमिया से जुड़े मरीज डॉक्टर से पूछ सकते हैं

Saturday May 18, 2024 , 5 min Read

क्रॉनिक मायलॉइड ल्यूकेमिया या सीएमएल, बोन मैरो (अस्थिमज्जा) में रक्त का निर्माण करने वाली कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाला कैंसर का एक प्रकार है और यह रक्त में प्रवेश कर जाता है. पूरी दुनिया में 12-15 लाख लोगों को यह प्रभावित कर रहा है. हाल के वर्षों में भारत में सीएमएल के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सामान्यतौर पर उन मरीजों की आयु 30-40 वर्ष है.

उचित उपचार तथा बीसीआर-एबीएल स्तर की लगातार निगरानी करते हुए सीएमएल पर काबू पाया जा सकता है. इसकी इसी प्रकृति की वजह से इसे ‘गुड कैंसर’ कहा जाता है. हालांकि, सीएमएल की पहचान करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह चुनौतियां खड़ी कर सकता है. इसके लिए सतर्क निर्णय लेने तथा सक्रिय रूप से नियंत्रण की रणनीतियां तैयार करने की आवश्यकता होती है.

डॉ. तूलिका सेठ, प्रोफेसर हेमैटोलॉजी, एम्स, नई दिल्ली का कहना है, ‘‘क्रॉनिक मायलॉयड ल्यूकेमिया (सीएमएल) ब्लड कैंसर का एक ऐसा प्रकार है जिसका इलाज संभव है, लेकिन इसमें सफल होने के लिए बेहद संभल कर कदम उठाने की जरूरत होती है. हम इसके साइड इफेक्ट्स को कम से कम करने और प्रतिक्रियाओं को अपने नियंत्रण में रखकर ब्लड टेस्ट करते हैं और बीसीआर-एबीएल स्तरों की लगातार निगरानी करते हुए उपचार तैयार करते हैं. वैसे हर किसी के लिए मनमुताबिक परिणाम नहीं मिल पाते, पर समय पर इसकी पहचान और तत्परता से प्रबंधन करने पर ज्यादा लंबे समय तक जीवित रखने की संभवना बढ़ जाती है. साथ ही उपचार-मुक्त होने की संभावना भी बढ़ती है. याद रखें, सीएमएल होने का मतलब यह नहीं है कि आप अकेले हैं. सतर्क निगरानी और रोगी के अनुरूप उपचार की रणनीतियों के साथ, हम सीएमल को नियंत्रित रखने के लिए साथ मिलकर काम करते हैं.’’

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सांकेतिक चित्र

जब बात आपके उपचार की हो तो कोई भी सवाल बड़ा या छोटा नहीं होता. यहां छह ऐसे ही महत्वपूर्ण सवाल दिए गए हैं जो आप अपने डॉक्टर से पूछ सकते हैं ताकि आप अपने उपचार को लेकर आश्वस्त हो पाएं.

1. मेरा सीएमएल किस स्टेज में है और इसका क्या मतलब है?

उपचार की सही रणनीति तैयार करने के लिए आपके सीएमएल के स्टेज को जानना बेहद जरूरी है. सीएमल स्टेज में आगे बढ़ता है और हर स्टेज के अलग लक्षण तथा पूर्वानुमान अलग होते हैं. आपके मौजूदा स्टेज का पता लगने से आपकी उपचार योजना तैयार करने में मदद मिलती है. साथ ही आप अपनी स्थिति में होने वाले संभावित बदलावों को लेकर भी तैयार होते हैं.

2. उपचार के कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं और हरेक के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

आपके शरीर की जरूरतों के अनुरूप आपकी उपचार योजना में बदलाव करना जरूरी होता है. कई सारे प्रभावी विकल्पों के साथ सीएमएल का उपचार काफी उन्नत हो चुका है. इसके सबसे आम उपचारों में शामिल हैं, टायरोसिन कीनेज़ अवरोधक (टीकेआई), कीमोथैरेपी और रोग की एडवांस स्थिति में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट. हर उपचार से जुड़े साइड इफेक्ट का अनुमान लगाना आवश्यक है जैसे ह्दय संबंधी समस्याएं या प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर हो जाना. यह जानकारी आपको अपनी सेहत तथा जरूरतों के अनुरूप सावधानीपूर्वक निर्णय लेने में मदद करेगा.

3. उपचार का क्या प्रभाव पड़ रहा है उसका पता लगाने के लिए मेरे सीएमएल की जांच किस प्रकार की जाएगी?

सीएमएल का प्रबंधन करने में ईएलएन दिशानिर्देशों के अनुसार बीसीआर-एबीएल स्तरों की लगातार निगरानी जरूरी है. निगरानी की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है क्योंकि यह उपचार के प्रभाव का लगातार पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण होता है. साथ ही शुरूआती स्टेज में आपकी स्थिति में किसी भी प्रकार के बदलाव को पहचाने में भी मददगार है. यह उपचार योजना में आवश्यक बदलाव करने में मदद करेगा.

4. उपचार के बाद लंबे समय तक उसके क्या प्रभाव बने रहते हैं?

आपका उपचार कर रहे फिजिशयन/डॉक्टर से सीएमएल के संभावित दीर्घकालिक प्रभावों और उसके उपचार के बारे में चर्चा करें. उपचार के बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए आपकी भावनात्मक सेहत, जीवनशैली में बदलाव तथा आपकी मदद के लिए उपलब्ध सहयोग सेवाओं के बारे में विचार करें. आगे क्या करना है इसके बारे में जानकारी होने पर आप प्रभावी रूप से योजना बना सकते हैं.

5. क्या सुझाए गए उपचार से मेरा जीवन बेहतर हो पाएगा?

उपचार की हर प्रक्रिया आपके रोजमर्रा की गतिविधियों, काम और रिश्तों पर क्या प्रभाव डाल सकते हैं उसके बारे में विचार करें. इस बात का मूल्यांकन करें कि क्या इस उपचार से बार-बार अस्पताल जाने में कमी, साइड इफेक्ट्स के कम होने से जीवन बेहतर होगा. साथ ही उपचार के दौरान और उसके बाद सेहत को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी.

6. क्या भावनात्मक तथा शारीरिक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगी सेवाएं उपलब्ध हैं?

उपलब्ध सहयोगी सेवाओं के बारे में पता लगाएं - जैसे पोषण से जुड़े परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं या सहयोगी समूह. इस तरह की सेवाएं बीमारी से लड़ने और जीवन को बेहतर बनाने में बहुमूल्य सहयोग दे सकते हैं और संसाधन उपलब्ध करा सकते हैं. 

याद रखें हर रोगी के उपचार का सफर अलग होता है क्योंकि हर किसी के लिए सीएमएल भिन्न होता है. अपने डॉक्टर से इस तरह के सवाल पूछकर आप अपने सीएमएल उपचार के इस सफर में सक्रिय रूप से हिस्सा ले सकते हैं और बेहतर परिणाम पाने की दिशा में भी योगदान दे सकते हैं.

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Edited by रविकांत पारीक