मैं नहीं जानता...मुझे इस बात का कोई मलाल नहीं है
कुछ दिनों पहले मुझे बैंगलोर के शंगरीला होटल में सीएक्सओ की एक सेमीकंडक्टर मीटिंग में भाग लेने का मौका मिला। मेरे पहुंचने से पहले ही वह छोटा सा हाॅल लगभग खचाखच भर चुका था। सौभाग्ये से कार्यक्रम के आयोजकों ने मेरे लिये मंच के बिल्कुल सामने एक सीट रखी थी। आमतौर पर किसी भी कार्यक्रम में देर से पहुंचने वालों को अंतिम पंक्ति में ही स्थान मिलता है। बहरहाल मैं सबसे आगे की पंक्ति में बैठी और प्रारंभ हो चुकी पैनल चर्चा पर अपना ध्यान केंद्रित किया। चर्चा सेमीकंडक्टर उद्योग में उभर रही नई संभावनाओं और भारत कैसे इस क्षेत्र में अपने पांव जमा सकता है, पर केंद्रित थी। मैंने मुस्कुराते हुए खुद को अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञों, जिनमें एक आईआईटी प्रोफेसर, कुछ एनआरआई उद्योगपति और कुछ काॅर्पोरेट निवेशक शामिल थे, द्वारा प्रेषित किये जा रहे ज्ञान और जानकारी को लेने के लिये तैयार किया।
और फिर यह हुआ
मैंने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में होने वाले नवाचारों को बारीकी से समझने का भरसक प्रयास किया लेकिन मैं उन्हें समझने में नाकामयाब रही। मैं वक्ताओं की बात को समझने में नाकामयाब रही। सरल शब्दों में कहें तो उनकी बात मेरे एक कान से भीतर जाकर दूसरे से बाहर आ गई। मेरे इर्द-गिर्द बैठा प्रत्येक व्यक्ति उस चर्चा में डूबा हुआ था और उसका आनंद लेते हुए सवाल दाग रहा था या सिर हिला रहा था या मुस्कुरा रहा था। ऐसे में मैंने दूसरों पर ध्यान देने की अपेक्षा मंच पर बैठे विशेषज्ञों पर ध्यान केंद्रित करना अधिक उचित समझा। लेकिन उस छोटे से हाॅल में मंच के बिल्कुल नजदीक बैठे होने के कारण मेरे पास उनकी बातों पर ध्यान देने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं था। दोबारा सबकुछ मेरे सिर के ऊपर से निकल गया। कुछ विशेषज्ञों ने अपनी बात कहने के बाद सीधे मेरी ओर देखा। सीधे मेरी आंखें में! मैं इस क्रिया का महत्व जानती हूं क्योंकि जब भी मैं मंच पर होती हूं तो मैं भी ऐसा ही करती हूं और दर्शकों के समूह की एक सक्रिय सदस्य होने के नाते मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना सिर हिलाया। और ऐसा करते हुए मैंने स्वयं को पहले की तुलना में और अधिक बेवकूफ पाया। जैसे-जैसे और अधिक मंचासीन विशेषज्ञ मेरी ओर देखते मैं और अधिक मुस्कुराती और खुद को अधिक बेवकूफ समझती। हे भगवान! मैं उनकी बातें समझने में कुध को सक्षम क्यों नहीं पा रही थी। कम से कम मैं उनकी बातों का कुछ भाग तो समझ पाती, चाहे थोड़ा बहुत ही! क्या मैं इस विशेष आयोजन में सिर्फ सेमीकेडक्टर के बारे में अधिक जानने ही नहीं आई थी? क्या विशेषज्ञ बार-बार मेरी तरफ देखकर यह सोच रहे थे कि मेरे जैसा व्यक्ति इस कार्यक्रम में क्यों है? क्या वह हममें से किसी की बात को समझ पा रही है? हो सकता है कि यह सब बातें मेरे अपने दिमाग की उपज हों। लेकिन जब आप एक ऐसी जगह पर बैठे हों, जहां सब आपसे अधिक जानकार हों तो आपके भीतर क्या चलता है यह आप बहुत बेहतर तरीके से जानते हैं।
आखिरकार चर्चा समाप्त हुई और लोग एक-दूसरे से नेटवर्किंग में मशगूल हो गए। मैंने भी ऐसा ही करना प्रारंभ किया लेकिन बड़े संभलते हुए। आप अधिकतर ऐसे मौकों पर मुझे आगे ही पाएंगे, लेकिन यहां पर मैं एक कोने में जाकर आगे क्या करना है यह सोच रही थी। तभी मेरे दो परिचित मेरे पास आए और हाॅल में मौजद उद्यमियों से मेरा परिचय करवाने की पेशकश की। आखिरकर मुझे कुछ ऐसा करने का मौका मिला जिसमें मैं बेहतर हूं, व्यवसाईयों से बातचीत। और जैसे-जैसे मैं अधिक उद्यमियों से मिलने लगी, मेरा आत्मविश्वास वापस आने लगा। उद्यमी अपनी कहानियां सुनाना चाहते थे। आप लोग सिर्फ बी2सी या ई-काॅमर्स की कहानियों में ही दिलचस्पी क्यो दिखाते हो? खैर, मैं उस बातचीत और अपने जवाबों को दूसरी कहानी के लिये रोकती हूं। लेकिन यहां पर मुझे सुनने का मौका मिला। मेरे आसपास लोग जमा हो गए और मैं स्वयं को आश्वस्त महसूस करने लगी। मैं ऐसा बहुत अच्छे से करती हूं। मैं एक अच्छी श्रोता हूं।
कार्यक्रम से वापस लौटते समय मेरे जेहन में इस आयोजन के बारे में उथलपुथल चल रही थी और इसके बाद मैं महिला दिवस के आयोजन और फिर दिन-प्रतिदिन होने वाले आयोजनों और बैठकों में कहीं खो गई।
इस वर्ष हमारे द्वारा दिल्ली में आयोजित महिल दिवस सम्मेलन में हमारे पास कुछ सबसे प्रतिभाशाली और बेहतरीन महिला उद्यमी व्यापार की बारीकियां समझने आईं। सबसे बेहतरीन वक्ता मंच पर आकर फंडिंग, मूल्यांकन, संरचना, वित्तीय बारीकियों इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे थे जो उनके लिये रोजमर्रा की बात थी, लेकिन मैंने गौर किया कि वहां मौजूद अधिकतर लोग उनकी बातों को समझ नहीं पा रहे थे। उनमें से अधिकतर ने अपने हाथ उठाए और पूछाः मैं फाइनेंस के क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं हूं तो क्या ऐसे मे मैं यह कर पाऊंगा? मैं तकनीक के क्षेत्र में नया हूं तो क्या मैं तकनीक संबंधित व्यापार कर सकता हूं? क्या मैं मूल्यांकन और निवेश के बारे में अनजान होते हुए भी निवेश जुटाने और मूल्यांकन में सफल हो पाउंगा?
और उन सबको मेरा जवाब था; मैं फंडिंग के बारे में लिखते आने के अलावा निवेश से संबंधित कहानियां लिखती आ रही हूं लेकिन बीते अगस्त में निवेश पाने से पहले तक वास्तव में मुझे फंडिंग क्या होती है पता ही नहीं था। मैं कहानियों के संसार में जी रही थी और मैंने अच्छा काम किया था। मैंने जो सीखा है अपने अनुभवों के आधार पर सीखा है। जब आपके साथ कुछ होता है तो आप काम करते हुए ही सीखते हो। आपके पास सीखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है, आप जो समझ सकते हो उसे समझते हो और बाकी अपने वकीलों और एकाउंटेंट पर छोड़ देते हो। मैंने सिर्फ वही सीखा और समझा जो आवश्यक था और बाकी अपने वकीलों पर छोड़ते हुए अपना सारा समय मीटिंग और फोन काॅल्स में लगा दिया।
"क्या मेरे लिये सबकुछ जानना आवश्यक है? बिल्कुल नहीं। क्या मुझे उन विशेषज्ञों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाना चाहिये था जिन्हें मैंने रखा था और जो अपने काम के महारथी थे। हाँ, हाँ और हाँ।"
यह मुझे जानने और न जानने के सवाल की ओर ले जाता है। आज के जमाने में जब हम विशेषज्ञों और सब कुछ जानने वालों से घिरे हुए हैं तो क्या ऐसे में हमें सफल उद्यमी या पेशेवर बनने के लिये अधिकतर चीजों को खुद ही जानना होगा। मुझे ऐसा नहीं लगता। कुछ नहीं जानना और यह जानना कि मैं क्या नहीं जानता हूं वास्तव में बड़ा वरदान है। अधिकतर मौकों पर जब हम सबकुछ खुद करने का प्रयास करते हैं या फिर हर प्रश्न का जवाब देते हैं तभी हमें ठोकर लगती है। ऐसा कहना अधिक बेहतर है कि
"मुझे नहीं पता, कृपया मुझे विस्तार से बताएं।"
स्टार्टअप्स को मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि वे ऐसे विशेषज्ञों को नौकरी पर रखें, जिन्हें यह मालूम हो कि उन्हें क्या करना है और उन्हें उनका काम करने दें। इस वर्ष मैं अपनी कंपनी में भी ऐसा ही करने जा रही हूं। मैंने सबसे अच्छी और बेहतरीन टीम को अपने साथ जोड़ा है और अब मैं आराम से बैठकर विशेषज्ञों को उनकी विशेषज्ञता प्रदर्शित करते हुए देखूंगी।
विशेषज्ञता की बात निकली है तो आपको बताऊं कि सीएनबीसी की मेरी आखिरी नौकरी के दौरान मेरे बाॅस एक बेहद दिलचस्प व्यक्ति थे। हम दोनों के किसी भी मीटिंग में भाग लेने से पहले वे मुझसे उस कंपनी से संबंधित तमाम जानकारी जुटा लेने के लिये कहते। और फिर ऐसी मीटिंगों के दौरान वे हमेशा पूछते, क्या आप बता सकते हैं कि आप क्या करते हैं? वे अपनी बात को बीच-बीच में तोड़कर तबतक सवाल पूछते जबतक वे कंपनी के काम करने का असल माॅडल नही जान लेते। मुझे अक्सर उनके सवाल बेमानी लगते थे। कई बार मुझे इस बात का बहुत बुरा भी लगता था कि उन्हें कंपनी के बारे में मेरे द्वारा जुटाई गई जानकारी पर भरोसा नहीं है। और फिर समय के साथ मुझे समझ आया कि उनकी इस पूरी कवायद का मकसद उस कंपनी के कामकाज के बारे में आसान शब्दों में जानकारी जुटाना था जो उस मीटिंग की सबसे बड़ी उपलब्धि होती थी। वह किसी भी मीटिंग में एक एमडी बनकर नहीं जाता था; वह मीटिंग में बिल्कुल नौसखिया बनकर अधिक जानने के मकसद से जाता था।
रोजमर्रा की जिंदगी में चाहे वह मीडिया हो, विशेषज्ञ, निवेशक, या सहयोगी, सभी आपके बारे में धारणाएं गढ़ते रहते हैं। रोजाना लोग आपके बारे में अधिक से अधिक जानते रहते हैं और एक दिन वह आता है जब मामला अधिक हास्यास्पद हो जाता है। आईये हम एक-दूसरे के लिये कुछ करे; हम उत्साह और गर्व के साथ कुछ न जानते हुए, बिना तमाम सवालों के जवाबों के और सामने वाले को विस्तार से बताने का मौका दिये बिना, उसके बारे में कोई राय न बनाएं। यह वाकई जादूई है। और मुझे इस बात का भरोसा है कि अगर आप इसपर अमल करेंगे तो आप सबसे बेहतरीन संबंध बनाने में कामयाब होंगे, सबसे उत्कृष्ट व्यापार करेंगे और आपको चारों तरफ में लाजवाब समर्थन प्राप्त होगा।
और जैसा कि एक पुरानी कहावत है, कई बार आप हारकर भी जीतते हो। ऐसे ही कुछ नहीं जानने में भी कई बार आपके पास बहुत कुछ जानने और सीखने का मौका होता है।
(यह लेख मूलत: अंग्रेजी में योर स्टोरी की संस्थापिका और एडिटर इन चीफ श्रद्धा शर्मा ने लिखा है जिसका अनुवाद पूजा ने किया है।)
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