कर्नाटक में औद्यिगक विकास को टिकाऊ और समावेशी बनाती जापानी कंपनियां
पर्यावरण क्षति और मानव कल्याण को कुचलने के लिए बहुत सी कंपनियां फटकार झेलती आई है. लेकिन कुछ देशों जैसे जापान की कंपनियां कर्नाटक के साथ साझेदारी करते हुए नई राह खोजने के लिए दृढ़ हैं.
इनवेस्ट कर्नाटक 2016 के सम्मेलन में असामान्य पैनलों में से एक में जापान और भारतीय व्यापार दिग्गजों ने यह बताया कि कैसे उद्योग स्थानीय समुदायों के साथ काम करते हुए गांवों और शहरों को बेहतर विकसित कर सकते हैं.
फ्रांस, जापान. स्वीडन, साउथ कोरिया, इटली, यूके और जर्मनी जैसे देश इस साल के इनवेस्ट कर्नाटक के आधिकारिक साझेदार हैं.
बैंगलोर में जापान के काउंसुल जनरल जुनिची कवाए ने बताया कि भारत में 1200 से अधिक जापानी कंपनियां काम कर रही हैं. जो कि दूसरी सबसे बड़ी तादाद है. कई भारतीयों को यह पता है कि सोनी, होंडा, मित्सुबुशी, हिटाची जैसी कंपनियां भारत में काम करती आ रही हैं लेकिन देश में कई छोटी जापानी कंपनियां भी एक्टिव हैं. (अमेरिका स्थित वेंचर कैपिटल कंपनी का भारत में बड़ा प्रोफाइल है. लेकिन कई जापानी निवेशक भी यहां हैं जैसे सॉफ्ट बैंक और बीनोस)
टोयोटा किरलोस्कर मोटर के वाइस प्रेसिडेंट शेखर विश्वनाथन के मुताबिक, हालांकि ज्यादातर फोकस फैक्टरी डिजाइन और उत्पादन पर केंद्रित है. भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए यह भी जरूरी है कि आसपास के वातावरण को भी सुधारा जाए.
बिदादी औद्योगिक एसोसिएशन (बीआईए) का गठन टोयोटा किरलोस्कर ने किया था. बिदादी औद्योगिक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और टोयोटा किरलोस्कर के डीजीएम रहेंद्र हेगड़े के मुताबिक बिदादी औद्योगिक एसोसिएशन में बॉश और अन्य कंपनी सामूहिक नेतृत्व करते हुए और समुदाय की पहल पर अमल करता है.
मॉडल टाउनशिप को विकसित करने के लिए बीआईए ने स्थानीय सड़कों को बेहतर बनाने, रोशनी, स्कूल इंफ्रास्ट्क्चर, नाले की व्यवस्था और शिकायत निवारण-स्कीम चलाए हैं. सुरक्षा प्रोत्साहन जागरूकता अभियान के तहत चलाए जाते हैं. सड़कों पर डिवाइडर और फुटपाथ बनाए जाते हैं और सड़क किनारे पानी न जमा हो इसके लिए नाली का निमार्ण होता है.
स्थानीय मदद के लिए एक हेल्पलाइन सेवा की भी शुरुआत की गई है और स्वास्थ्य कैंप और जानवरों के लिए 20 से ज्यादा गांवों में कैंप लगाए गए हैं. महिला उद्यमियों के लिए सहायता दी जाती है, गणित मेले के जरिए बच्चों को शैक्षिक सहायता दी जाती है. स्थानीय किसानों को पानी के छिड़काव की सहायता के लिए उसकी स्थापना और धन मुहैया कराया जाता है.
हेगड़े कहते हैं, “हम बेसब्री से कर्नाटक में अन्य संगठनों के साथ काम कर मॉडल टाउनशिप वातावरण बना सकते हैं और राज्य में और अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए तत्पर हैं.”
कुछ जापानी कंपनियां ग्रामीण स्कूल में खराब स्वच्छता हालात पर भी सुधार लाने के काम में जुटी हैं. ये ऐसे स्कूल हैं जहां जापानी कंपिनयों में काम करने वालों के बच्चे पढ़ते हैं.
केहिन फी के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर मासाकी याशिमा के मुताबिक जिस समाज में कंपनियां काम करती है उन्हें व्यापक दृष्टि रखने की जरूरत है.
कंपनी के मूल्य बयान पांच खुशियों पर आधारित हैं, जिसमें निष्पक्षता, विश्वास, आपसी रचनात्मकता शामिल हैं जो एक मॉडल कॉरपोरेट सिटिजिन की नींव हैं. JETRO बैंगलोर के डायरेक्टर जनरल जन्या ताशिरो के मुताबिक कई जापानी कंपनियां अपने भारतीय साझेदारों के साथ मिल कर इस तरह की पहल कर रही हैं. जापानी कंपनी ने अपने समुदायिक जिम्मेदारी की पहल के रूप में ओबेदनहल्ली में स्कूलों में शौचालय और पानी की टंकी बनाए हैं.
लेखक- मदनमोहन राव
अनुवादक- एस इब्राहिम