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सुप्रीम कोर्ट का बोल्ड फैसला, लिव इन में रहने के लिए शादी की उम्र होना जरूरी नहीं

बालिग कपल अब रह सकते हैं बिना शादी के साथ: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का बोल्ड फैसला, लिव इन में रहने के लिए शादी की उम्र होना जरूरी नहीं

Sunday May 06, 2018 , 4 min Read

कोर्ट ने कहा कि बालिग कपल चाहें तो बिना शादी किए भी साथ रह सकते हैं। यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है। ऐसे कपल को परिवार के कहने पर पुलिस द्वारा भी प्रताड़ित किया जाता है। कोर्ट के इस फैसले से उन्हें एक सुरक्षा मिलेगी।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


रवि की दलील थी कि प्रीति कोई बच्ची नहीं है। वह बालिग है और उसकी उम्र 19 साल है। वहीं रवि ने अपने बारे में कहा कि वह भले ही 21 साल से कम है, लेकिन वह भी बालिग है। इसलिए हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत दोनों की शादी अवैध नहीं है।

हमारे समाज में लिव इन रिलेशनशिप को अवैध संबंध की तरह शक की निगाह से देखा जाता है और उसे अच्छा भी नहीं माना जाता। लेकिन बदलते वक्त में कोई कपल अगर अपनी मर्जी से साथ रहने का फैसला करते हैं तो हमारा संविधान उन्हें ये अधिकार देता है। हालांकि अभी तक ये माना जाता था कि लिव इन में रहने के लिए भी शादी की उम्र तक पहुंचना काफी जरूरी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है जिससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो शादी की उम्र यानी 21 साल के नहीं हुए हैं, लेकिन लिव इन में रह रहे हैं।

देश की सर्वोच्च पंचायत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर दो बालिग लोग साथ में बिना शादी किए रहना चाहते हैं तो उन पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। भारत में 18 वर्ष पार कर जाने वाले युवाओं को बालिग मान लिया जाता है। वहीं शादी करने के लिए लड़की की उम्र कम से कम 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए। एनबीटी की एक खबर के मुताबिक कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारा लेजिस्लेटिव भी लिव इन रिलेशनशिप को अनुमति देता है। यह फैसला उस केस में आया है जिसमें केरल हाई कोर्ट ने लिव इन में रहने वाले दो बालिगों के खिलाफ फैसला दिया था।

दरअसल मामला ये था कि 19 साल की प्रीति और 20 साल के रवि (दोनों बदला हुआ नाम) ने आपसी सहमति से शादी कर ली थी और दोनों साथ ही रह रहे थे। इसकी खबर प्रीति के पिता को नहीं थी। उन्होंने थाने में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और रवि के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। केरल हाई कोर्ट ने रवि की उम्र को आधार मानते हुए इस केस में अपना फैसला सुनाया और प्रीति को पिता के पास भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि रवि की उम्र 21 वर्ष से कम हैं इसलिए उनकी शादी वैध नहीं है।

लड़के की उम्र 21 साल से कम होने के कारण हाई कोर्ट ने लड़की के पिता की अर्जी मंजूर कर ली थी और लड़की को पिता की कस्टडी में भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने लड़के की अर्जी स्वीकार करते हुए केरल हाई कोर्ट के आदेश को खारिज़ कर दिया और कहा कि लड़की 18 साल से ज्यादा की बालिग लड़की है और वो अपनी मर्जी से जहां चाहे रह सकती है। लड़की ने कहा था कि वो अपनी मर्जी से लड़के के साथ रहना चाहती है। केरल हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रवि ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

रवि की दलील थी कि प्रीति कोई बच्ची नहीं है। वह बालिग है और उसकी उम्र 19 साल है। वहीं रवि ने अपने बारे में कहा कि वह भले ही 21 साल से कम है, लेकिन वह भी बालिग है। इसलिए हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत दोनों की शादी अवैध नहीं है। हालांकि यह शादी अवैध होने के लायक जरूर है। इस पर सुप्रीम कोर्ट केरल हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि किसी के साथ जिंदगी बिताने का बालिग का मौलक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि बालिग कपल चाहें तो बिना शादी किए भी साथ रह सकते हैं। यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है। ऐसे कपल को परिवार के कहने पर पुलिस द्वारा भी प्रताड़ित किया जाता है। कोर्ट के इस फैसले से उन्हें एक सुरक्षा मिलेगी।

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