Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

फ़्लिपकार्ट के पूर्व-कर्मचारियों का कौन रखेगा ख़्याल? वॉलमार्ट डील के बाद उठे ये गंभीर सवाल

श्रद्धा शर्मा की कलम से...

फ़्लिपकार्ट के पूर्व-कर्मचारियों का कौन रखेगा ख़्याल? वॉलमार्ट डील के बाद उठे ये गंभीर सवाल

Monday May 21, 2018 , 5 min Read

हाल ही में इंडियन ई-कॉमर्स कंपनी फ़्लिपकार्ट और यूएस फ़र्म वॉलमार्ट के बीच एक डील हुई। पहली नज़र में यह डील भारत के स्टार्टअप ईको-सिस्टम के लिए काफ़ी सकारात्मक मालूम हो रही थी, लेकिन इस अधिग्रहण (ऐक्विज़िशन) से जुड़ीं घटनाओं ने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका अभी तक कोई स्पष्ट जवाब सामने नहीं आया है।

image


फ़्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच यह डील दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स ऐक्विज़िशन डील है। भारतीय स्टार्टअप्स के भविष्य को देखते हुए, इस डील को बड़ी उपलब्धि समझा जा रहा है और बाज़ार में इसे लेकर एक सकारात्मक रवैया है। लेकिन यह नई घटना सामने आने के बाद यह डील कुछ बेहद गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। क्या बोर्ड ने दूरगामी सोच रखते हुए यह फ़ैसला लिया है?

हाल ही में इंडियन ई-कॉमर्स कंपनी फ़्लिपकार्ट और यूएस फ़र्म वॉलमार्ट के बीच एक डील हुई। पहली नज़र में यह डील भारत के स्टार्टअप ईको-सिस्टम के लिए काफ़ी सकारात्मक मालूम हो रही थी, लेकिन इस अधिग्रहण (ऐक्विज़िशन) से जुड़ीं घटनाओं ने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका अभी तक कोई स्पष्ट जवाब सामने नहीं आया है।

बीते दिनों दोपहर 12.38 बजे, फ़्लिपकार्ट के लगभग 300 पूर्व-कर्मचारियों के पास एक ई-मेल आया, जिन्होंने कर्मचारियों के अंदर पनप रही आशंका पर मोहर लगा दी। दरअसल, ये कर्मचारी एम्प्लॉय स्टॉक ओनरशिप प्लान (ईएसपीओ) से जुड़े हुए थे। इस घटना की अफ़वाहें कुछ समय से बाज़ार में थीं, लेकिन ई-मेल आने के बाद चीज़ें साफ़ हो गईं। ई-मेल में स्पष्ट तौर पर बताया गया था कि वॉलमार्ट के साथ फ़्लिपकार्ट ने 77 प्रतिशत स्टेक बेचने की डील की है और इस डील के अंतर्गत पूर्व-कर्मचारियों के स्टॉक का सिर्फ़ 30 प्रतिशत हिस्सा ही जुड़ा हुआ है। बचे हुए 70 प्रतिशत स्टॉक का क्या होगा, इसका मेल में कोई ज़िक्र नहीं था।

संभावनाएं जताई जा रही हैं कि भविष्य में किसी लिक्विडिटी इवेंट (जैसे कि एक आईपीओ) के माध्यम से बचे हुए स्टॉक्स का निस्तारण होगा। लेकिन सवाल यह भी है कि यह समाधान पूर्व कर्मचारियों के लिए पूरी तरह से संतोषजनक होगा भी या नहीं? पूर्व-कर्मचारियों की शिकायत है कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार जायज़ नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक़, हाल में कंपनी के साथ जुड़े हुए कर्मचारी, फ़िलहाल अपने 50 प्रतिशत स्टॉक्स, अगले साल 25 प्रतिशत और उसके अगले साल बचे हुए स्टॉक्स का निस्तारण कर सकते हैं। सवाल साफ़ है कि वर्तमान और पूर्व-कर्मचारियों के साथ अलग-अलग व्यवहार क्यों? योर स्टोरी की ओर से इस संबंध में फ़्लिपकार्ट को एक ई-मेल भी किया गया था, लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया या जवाब नहीं आया है।

 वॉलमार्ट के सीईओ डौग मैकमिलन और फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक और सीईओ बिनी बंसल एकसाथ

 वॉलमार्ट के सीईओ डौग मैकमिलन और फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक और सीईओ बिनी बंसल एकसाथ


यह बात सही है कि ज़्यादातर कंपनियां चाहती हैं कि कंपनी छोड़ते वक़्त कर्मचारी अपने स्टॉक्स को लिक्विडेट कर ले, लेकिन यह बात भी उतनी ही सही है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो कंपनी के पास उनके शेयर्स भी सुरक्षित रहते हैं। पिछले अक्टूबर जब फ़्लिपकार्ट ने अपनी बाय बैक गतिविधि पूरी की थी, तब पूर्व-कर्मचारी सिर्फ़ अपने 10 प्रतिशत स्टॉक्स ही लिक्विडेट कर सके थे; वहीं कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के पास 25 प्रतिशत तक के निस्तारण का विकल्प था। आपको बता दें कि बाय बैक की प्रक्रिया में, कंपनी अपने आउटस्टैंडिंग शेयर्स को ख़रीदती है, जिसके ज़रिए ओपन मार्केट में कंपनी के शेयर्स की संख्या कम हो जाती है। फ़िलहाल, पूर्व-कर्मचारियों के शेयर की नेट वर्थ (कुल क़ीमत) लगभग 300 मिलियन डॉलर आंकी जा रही है।

फ़्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच यह डील दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स ऐक्विज़िशन डील है। भारतीय स्टार्टअप्स के भविष्य को देखते हुए, इस डील को बड़ी उपलब्धि समझा जा रहा है और बाज़ार में इसे लेकर एक सकारात्मक रवैया है। लेकिन यह नई घटना सामने आने के बाद यह डील कुछ बेहद गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। क्या बोर्ड ने दूरगामी सोच रखते हुए यह फ़ैसला लिया है? जिन लोगों ने कंपनी को यहां तक पहुंचाया है, क्या उनके अधिकारों के लिए कोई सामने आएगा?

जल्द ही, वॉलमार्ट के द्वारा नया बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स स्थापित किया जाएगा। यहां पर भी एक सवाल उठता है कि क्या इसी तरह का रवैया ही आगे भी अपनाया जाएगा? अफ़वाहों के मुताबिक़, वॉलमार्ट अगले एक साल के भीतर अपनी हिस्सेदारी को 85 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। ऐसे में, हाल में कंपनी के साथ जुड़े कर्मचारी और भविष्य में जुड़ने वाले कर्मचारी, ईएसओपी के प्रति वॉलमार्ट की अप्रोच पर कड़ी नज़र रखेंगे।

पूरी दुनिया में काम कर रहे स्टार्टअप्स में कर्मचारी, ईएसओपी के ज़रिए कई मिलियन डॉलर की संपत्ति तक बना लेते हैं। भारत में ऐसा क्यों नहीं है? क्या अब समय आ गया है कि भारतीय कर्मचारी यह मान लें कि ईएसपीओ में निवेश, उनके लिए एक बेहद जोख़िमभरा सौदा है। अगर ऐसा सच में होता है तो भविष्य में भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम युवा प्रतिभाओं को किस तरह से आकर्षित कर सकेगा?

इस आर्टिकल को इंग्लिश में भी पढ़ें

यह भी पढ़ें: जोमैटो की कहानी, स्टार्टअप पोस्टर बॉय दीपिंदर गोयल की जुबानी