कोरोना महामारी के बीच ड्रोन के जरिये मरीजों को दवाएं और जरूरी सामान डिलीवर कर रहा है चेन्नई का यह स्टार्टअप
गरुड़ एयरोस्पेस नाम का चेन्नई का यह स्टार्टअप कोरोना मरीजों तक जरूरी दवाओं को पहुंचाने के लिए ड्रोन की मदद ले रहा है। इतना ही नहीं स्टार्टअप का ड्रोन कोरोना मरीजों तक राशन समेत अन्य जरूरी सामान पहुंचाने का भी काम कर रहा है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश को बुरी तरह प्रभावित किया है। एक ओर जहां देश में कोरोना वायरस संक्रमण के रोजाना करीब 4 लाख नए मामले दर्ज़ किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस समय इस प्रकोप से बचने के लिए तमाम राज्य लॉकडाउन का सहारा ले रहे हैं।
दूसरे लॉकडाउन के इस समय में लोगों को पिछली बार की ही तरह राशन, दवाएं और जरूरी समान की अनुपलब्धता से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में चेन्नई का एक स्टार्टअप टेक्नोलॉजी के जरिये लोगों की समस्या को हल करने का प्रयास कर रहा है।
ड्रोन का सहारा
गरुड़ एयरोस्पेस नाम का चेन्नई का यह स्टार्टअप कोरोना मरीजों तक जरूरी दवाओं को पहुंचाने के लिए ड्रोन की मदद ले रहा है। इतना ही नहीं स्टार्टअप का ड्रोन कोरोना मरीजों तक राशन समेत अन्य जरूरी सामान पहुंचाने का भी काम कर रहा है।
ड्रोन के जरिये ना सिर्फ उन मरीजों तक जरूरी दवाएं और अन्य जरूरी सामान को पहुंचाया जा रहा है जो होम आइसोलेशन में हैं, बल्कि ड्रोन के जरिये अस्पतालों और सरकारी आइसोलेशन वार्ड में भी मदद पहुंचाई जा रही है।
स्टार्टअप के अनुसार डिलीवरी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे 'व्हाइट नाइट' ड्रोन तापमान नियंत्रित मॉड्यूल से लैस हैं और एक बार में अपने साथ 35-40 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकते हैं। ये ड्रोन दो घंटे की उड़ान क्षमता के साथ 50-60 किमी की यात्रा कर सकते हैं।
पहली लहर से मदद जारी
स्टार्टअप ने अपने ड्रोन के जरिये कई राज्यों को कोरोना महामारी के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर ऑटोमेटेड सैनेटाइजेशन करने में भी मदद उपलब्ध कराई है। स्टार्टअप के अनुसार कोरोना महामारी की पहली लहर के साथ ही स्टार्टअप ने देश भर में तमाम राज्य सरकारों के साथ मिलकर अपनी ड्रोन सेवा का इस्तेमाल लोगों की मदद के लिए शुरू कर दिया था।
स्टार्टअप ने हाल ही में उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान भी राहत बचाव दल की मदद के लिए अपने ड्रोन की तैनाती की थी। इन ड्रोन के जरिये बचाव कर्मियों को रास्ता दिखने का काम किया गया था, जिससे उन्हे बचाव मिशन को पूरा करने में काफी मदद मिली थी।
इसरो ने मांगी मदद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के सुल्लुरपेटा शहर में स्थित इसरो की आवासीय कॉलोनी में ड्रोन का उपयोग करते हुए दवाओं और खाना बांटने का मन बनाया है। इसरो के अधिकारियों ने यह फैसला इस स्टार्टअप द्वारा बेंगलुरु के अस्पतालों में दवाएं पहुंचाने के लिए किए किए जा रहे ड्रोन के इस्तेमाल की जानकारी मिलने के बाद लिया है।
सरकार ने दिये 15 मिलियन डॉलर
अग्निश्वर जयप्रकाश द्वारा साल 2015 में स्थापित गरुड़ एयरोस्पेस के ड्रोन का इस्तेमाल देश में कई आपदा बचाव और राहत कार्यों के दौरान किया गया है। इसी के साथ साल 2020 में कंपनी के ड्रोन का इस्तेमाल पीएम मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सैनेटाइजेशन के लिए किया गया था।
inc42 वेबसाइट के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा इस कंपनी को कोविड-19 से मुक़ाबला करने के लिए 15 मिलियन डॉलर की राशि भी आवंटित की गई थी। गौरतलब है कि स्टार्टअप ने जून 2020 में दिल्ली में प्रवेश करने वाली टिड्डियों को रोकने में भी सरकार की मदद की थी।