Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

यह स्टार्टअप दे रहा ऑनलाइन कस्टमाइज़ेशन की सुविधा, तैयार करें अपनी मर्ज़ी का प्रोडक्ट

अप्रैल 2017 में लॉन्च हुआ बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप, 'ज़्वेन्डे' अपने ग्राहकों और यूज़र्स को दे रहा अनोखी सुविधा... 

यह स्टार्टअप दे रहा ऑनलाइन कस्टमाइज़ेशन की सुविधा, तैयार करें अपनी मर्ज़ी का प्रोडक्ट

Saturday April 28, 2018 , 6 min Read

कई बार ऐसा होता है कि हमें कोई प्रोडक्ट बेहद पसंद आता है, लेकिन हम उसमें छोटे-मोट बदलाव चाहते हैं। हमारे हिसाब से प्रोडक्ट के डिजाइन या अन्य किसी फैक्टर में बदलाव तो हो नहीं सकता और यहीं पर हमें समझौता करना पड़ता है। आपको बता दें कि अप्रैल 2017 में लॉन्च हुआ बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप, 'ज़्वेन्डे' अपने ग्राहकों और यूज़र्स को यह सुविधा दे रहा है।

सुजॉ और इनु

सुजॉ और इनु


सेलर्स को अपने एक या दो प्रोडक्टस के सैंपल देने होते हैं और अपने रिसोर्सेज़ की एक इनवेंटरी भी तैयार करनी पड़ती है कि वे कौन से कलर ऑप्शन्स दे सकते हैं, किस तरह का मटीरियल दे सकते हैं आदि। सुजय मानते हैं कि उनके वेंचर की मदद से डिज़ाइनर्स अपने लिमिटेड एडिशन प्रोडक्ट्स भी आसानी से लॉन्च कर सकते हैं।

आज के दौर में ऑफ़लाइन और ऑनलाइन स्टोर्स के माध्यम से ग्राहकों के पास हर कैटेगरी में प्रोडक्ट्स की भरमार है, लेकिन इसके बावजूद कई बार ऐसा होता है कि हमें कोई प्रोडक्ट बेहद पसंद आता है, लेकिन हम उसमें छोटे-मोट बदलाव चाहते हैं। हमारे हिसाब से प्रोडक्ट के डिजाइन या अन्य किसी फैक्टर में बदलाव तो हो नहीं सकता और यहीं पर हमें समझौता करना पड़ता है। आपको बता दें कि अप्रैल 2017 में लॉन्च हुआ बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप, 'ज़्वेन्डे' अपने ग्राहकों और यूज़र्स को यह सुविधा दे रहा है कि वे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की मदद से अपना मनचाहा प्रोडक्ट कस्टमाइज़ कर सकते हैं।

सुजय सुरेश और उनकी पत्नी इनु नेवतिया ने मिलकर इस स्टार्टअप की शुरूआत की थी। इनु नेवतिया ने आईएसबी से पढ़ाई की है और वह एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं। उनके पिता 1977 से एक पेट्रोलियम लॉजिस्टिक्स कंपनी चला रहे हैं और उनके अंदर कहीं न कहीं हमेशा ऑन्त्रप्रन्योर बनने की चाह रही है। इनु बताती हैं कि ज़्वेन्डे की शुरूआत के पीछे कहीं न कहीं उनके मन में भारतीय कला और कलाकारों के प्रति लगाव भी एक बड़ी वजह है। वहीं सुजय सुरेश एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और वह भी आईएसबी से पढ़े हैं। सुजय के पिता भी एक इनोवेटर रहे हैं। ज़्वेन्डे से पहले सुजय एजुकेशन, स्किल डिवेलपमेंट और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग के क्षेत्र में अपना वेंचर चला रहे थे।

सुजय ने बताया कि जब वह अपनी पत्नी के साथ बेंगलुरु में घर बनवा रहे थे, तब ही उनके ज़हन में ज़्वेन्डे का आइडिया आया। उन्होंने बताया, "हम जब भी ऑनलाइन या ऑफ़लाइन शॉपिंग करते थे, तब हमें हमेशा अपनी पसंद के प्रोडक्ट्स नहीं मिलते थे। हमें पता था कि हम डिज़ाइनर्स नहीं थे और हम शून्य से कुछ बेहतरीन विकसित नहीं कर सकते थे। हमें पता था कि चीज़ों में थोड़े से बदलाव से लोगों को संतुष्ट किया जा सकता है।"

सुजय बताते हैं कि उन्होंने और इनु ने कई निर्माताओं से बात की और हर सेक्टर में मैनुफ़ैक्चरिंग करने वालों का एक ही मत था कि उन्हें लोगों की मांग के आधार पर अपने प्रोडक्ट्स में बदलाव से गुरेज़ नहीं है, बल्कि वे इनवेंटरी मैनेज करने से कतराते हैं। इसके बाद दोनों ने अपने एक दोस्त से बात की और उसने उन्हें नाइकी आईडी (nikeid.com) के बारे में बताया। सुजय बताते हैं कि नाइकी आईडी के कॉन्सेप्ट से वे दोनों ही बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि इस ऑनलाइन स्टोर पर नाइकी अपनी पूरी प्रोडक्ट रेंज ग्राहकों के सामने रखता है और इसके बाद ग्राहक अपनी पसंद के हिसाब से अपने प्रोडक्ट में बदलाव करवा सकते हैं। ग्राहक अपनी चॉइस की रियल-टाइम मॉनिटरिंग भी कर सकते हैं और ऑर्डर करने के सिर्फ़ दो हफ़्तों के भीतर प्रोडक्ट ग्राहकों के पास होता है। नाइकी जैसे बड़े ब्रैंड द्वारा इस तरह के कॉन्सेप्ट में काम करने से दोनों ही का आत्मविश्वास और भी मज़बूत हुआ।

दोनों ने तय किया कि इस कॉन्सेप्ट को भारत में लाया जाएगा। फ़ाउंडर्स (सुजय और इनु) ने बताया कि भारतीय कारीगरों के साथ और तकनीक पर काम करते हुए बेसिक मॉडल तैयार करने में एक साल का वक़्त लगा और अप्रैल 2017 में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म लाइव हुआ। कोई भी प्रोडक्ट पहले से मैनुफ़ैक्चर नहीं होता है। ग्राहका स्वेच्छा से प्रोडक्ट, उसके मटीरियल, डिज़ाइन और कलर आदि का चुनाव कर सकते हैं। ग्राहक अपने द्वारा कस्टमाइज़ किए गए प्रोडक्ट का 360 डिग्री प्रीव्यू भी देख सकते हैं। सभी ऑर्डर्स ऑन-डिमांड लिए जाते हैं। 3-15 दिनों की भीतर प्रोडक्ट की डिलिवरी होती है। सबसे ख़ास बात यह है कि आमतौर पर कस्टमाइज़्ड प्रोडक्ट्स की क़ीमत, नॉर्मल प्राइस-रेंज के भीतर ही होती है और कभी-कभी 3-5 प्रतिशत तक अधिक भी हो जाती है। सुजय ने बताया कि ग्राहक अपने कस्टमाइज़्ड प्रोडक्ट पर अपना नाम वगैरह भी लिखवा सकते हैं।

सुजय बताते हैं कि सभी पॉसिबल कॉम्बिनेशन्स पहले से ही डिज़ाइनर द्वारा अप्रूव करवाए जाते हैं। कंपनी की फंक्शनिंग के बारे में जानकारी देते हुए सुजय ने बताया कि सेलर्स को अपने एक या दो प्रोडक्टस के सैंपल देने होते हैं और अपने रिसोर्सेज़ की एक इनवेंटरी भी तैयार करनी पड़ती है कि वे कौन से कलर ऑप्शन्स दे सकते हैं, किस तरह का मटीरियल दे सकते हैं आदि। सुजय मानते हैं कि उनके वेंचर की मदद से डिज़ाइनर्स अपने लिमिटेड एडिशन प्रोडक्ट्स भी आसानी से लॉन्च कर सकते हैं। डेटा मैट्रिक्स के बारे में जानकारी देते हुए सुजय कहते हैं कि वह यह सुविधा मार्केट में मौजूद किसी भी अन्य वेंचर से बेहतर तरीक़े से दे रहे हैं, जैसे कि उनकी कंपनी डिज़ाइनर्स को प्रोडक्ट फ़ीडबैक और ग्राहकों की नई प्रोडक्ट रिक्वेस्ट्स आदि की व्यवस्थित जानकारी मुहैया कराती है।

ज़्वेन्डे के प्रोडक्ट्स का ऐवरेज टिकट साइज़ है, 2000 रुपए से लेकर 2,500 रुपए। कंपनी की प्राइस रेंज, पहले दिन से ही उनके लिए इकनॉमिक रही है। कंपनी का ग्रॉस मार्जिन उनकी ग्रॉस मार्केट वैल्यू का 35-35 प्रतिशत तक रहता है। कंपनी इंटरनैशनल लेवल पर अपने प्रोडक्ट्स बेच रही है। कंपनी को बड़े कॉर्पोरेट ऑर्डर्स भी मिलते रहते हैं। सुजय बताते हैं कि कंपनी की फ़ंडिंग पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है। कंपनी को गूगल यूएसए और टोयोटा इनश्योरेंस जैसी बड़ी कंपनियों के साथ-साथ मेक मोका, रिज़ॉर्ट और ग्लोबल अडजस्टमेंट्स जैसे स्टार्टअप्स की ओर से कॉर्पोरेट गिफ़्टिंग के रूप में काफ़ी सहयोग मिला है।

सुजय कहते हैं, "हमारी अप्रोच पूरी तरह से डेटा पर आधारित होती है। रीच और कनवर्ज़न जितने ज़रूरी हैं, उतना ही ज़रूरी है एंगेजमेंट। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही हम कस्टमाइज़र के साथ खर्च होने वाले समय आदि का भी ख़ास ध्यान रखते हैं और यही बात हमें अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से अलग करती है।"

यह भी पढ़ें: रिटायर प्रोफेसर ने डिजाइन की ऐसी लिफ्ट जो बिना बिजली के सह सकती है 200 किलो का वजन