इंसानियत की मिसाल: गणेशोत्सव के आयोजन से पैसे निकालकर घायल व्यक्ति का कराया इलाज
पुणे के नवी पेठ इलाके में नवशक्ति मित्र मंडल की स्थापना 56 वर्ष पूर्व की गई थी। पंडाल के सदस्यों ने इस बार चंदे द्वारा इकट्ठा की गई रकम में से एक हिस्सा निकाल दिया गया। उन पैसों को सतीश जोरी नाम के 22 वर्षीय युवक के इलाज में लगाया गया।
बीते दिनों देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। महाराष्ट्र जैसे प्रदेश में इस त्योहार की रंगत कुछ और ही दिखती है। जहां हर छोटे बड़े कस्बे से लेकर बड़े-बड़े शहरों तक गणेश पूजन के पंडाल सजाए जाते हैं।
कहा जाता है कि धर्म इंसान और इंसानियत के लिए ही होता है, लेकिन जिस तरह से धर्म के नाम पर बड़े-बड़े आयोजनों में पैसा बर्बाद किया जाता है उसे देखकर लगता है कि इन पैसों से न जाने कितने जरूरतमंदों का भला किया जा सकता था। हालांकि ऐसे लोग भी कम नहीं हैं जो धर्म को इंसानियत का दूसरा पर्याय मानते हैं। और न केवल मानते हैं बल्कि उस रास्ते पर भी चलते हैं जिस पर चलकर इंसानियत की मदद की जा सकती है। बीते दिनों देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। महाराष्ट्र जैसे प्रदेश में इस त्योहार की रंगत कुछ और ही दिखती है। जहां हर छोटे बड़े कस्बे से लेकर बड़े-बड़े शहरों तक गणेश पूजन के पंडाल सजाए जाते हैं।
इस बार पुणे के ऐसे ही एक पंडाल ने गणेश पूजन के आयोजन में होने वाले खर्च में कटौती कर उन पैसों से एक जरूरतमंद व्यक्ति का इलाज कराने का सराहनीय फैसला किया। पुणे मिरर के मुताबिक शहर के नवी पेठ इलाके में नवशक्ति मित्र मंडल की स्थापना 56 वर्ष पूर्व की गई थी। पंडाल के सदस्यों ने इस बार चंदे द्वारा इकट्ठा की गई रकम में से एक हिस्सा निकाल दिया गया। उन पैसों को सतीश जोरी नाम के 22 वर्षीय युवक के इलाज में लगाया गया। दरअसल सतीश के माता-पिता का देहांत हो चुका है और बीते दिनों एक हादसे में उसके सर में गंभीर चोटें आईं।
हालांकि सतीश नवशक्ति मित्र मंडल का सदस्य नहीं है लेकिन उसकी हालत को देखते हुए मित्र मंडल ने मदद करने का फैसला लिया। मित्र मंडल के सदस्यों ने बताया कि हर साल गणेशोत्सव में लगभग 5 लाख रुपये खर्च होते हैं। लेकिन इस बार इस राशि को 20 प्रतिशत तक ला दिया गया है और इतने में ही गणेशोत्सव का आयोजन होगा। मित्र मंडली के अध्यक्ष विलास नावडकर ने बताया कि पिछले सप्ताह सतीश को उसके घर में बेहोशी की हालत में पाया गया था और उसके सर से खूव बह रहा था। उसे उठाकर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने गंभीर हालत देखकर भर्ती करने से इनकार कर दिया। ऐसे ही चार और अस्पतालों द्वारा किया गया, जिससे बाद में उसे एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बीते सप्ताह ही सतीश की सर्जरी हुई है और वह फिलहाल अस्पताल में डॉक्टरों की देखरेख में है। विलास ने बताया कि हालांकि सतीश मंडली में सीधे तौर पर शामिल नहीं था, लेकिन वह इसी मोहल्ले में पला बढ़ा है इसलिए उसकी मदद करने में कोई कोताही नहीं बरती गई। उन्होंने बताया कि सतीश जब काफी छोटा था तभी उसकी मां गुजर गईं, अभी पांच साल पहले ही उसके पिता का भी देहांत हो गया। अब वह अपने एक रिश्तेदार के यहां रहता है। इस हालत में उसकी दवा दारू का खर्च उठाने वाला कोई नहीं है। मित्र मंडली के लोग उसके लिए भगवान बनकर आए जिन्होंने उसकी मदद की।
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