जो कभी देखता था कंप्यूटर खरीदने का सपना वो है आज इतनी बड़ी कंपनी का मालिक
2010 में जब ओला की शुरुआत हुई थी तो भविष फील्ड में जाकर एक्सपीरियंस ले रहे थे और काम कर रहे थे, वहीं अंकित आईआईटी मुंबई के पास एक अपार्टमेंट में वेबसाइट कोडिंग का काम देख रहे थे।
टेक्नॉलजी कंपनी होने के नाते अंकित मानते हैं कि डेटा एनालिसिस की वजह से ओला अपने बाकी प्रतिद्विंदियों से काफी आगे रहता है।
भविष लुधियाना से हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से कम्प्यूटर सायेंस में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के साथ दो साल तक काम किया था।
भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और टैक्सी सर्विस की तस्वीर बदल देने वाली कंपनी ओला के फाउंडर भविष अग्रवाल और अंकित भाटी हैं। अधिकतर मीडिया रिपोर्ट्स में यही आता है कि ओला की स्थापना भविष अग्रवाल ने की थी, लेकिन हकीकत दरअसल ये नहीं है। ओला को शुरू करने में भविष के साथ-साथ अंकित भाटी का भी हाथ था। वैसे तो अंकित किसी भी कार्यक्रम में कम ही दिखते हैं, लेकिन योरस्टोरी ने 2 साल के तमाम उतार चढ़ावों के बाद उनसे मुलाकात कर ही ली। देश के सबसे कीमती स्टार्टअप ओला के को-फाउंडर अंकित पब्लिक डोमेन में आना कम ही पसंद करते हैं। कंपनी में चीफ टेक्निकल ऑफिसर जैसा शीर्ष और प्रमुख पद पर विराजमान कभी-कभार ही कंपनी के प्रॉडक्ट लॉन्च इवेंट में देखे जाते हैं।
आज हम उन्हीं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। स्वभाव से शर्मीले स्वभाव के अंकित मूलत: राजस्थान के छोटे से शहर जोधपुर से ताल्लुक रखते हैं। 2010 में जब ओला की शुरुआत हुई थी तो भविष फील्ड में जाकर एक्सपीरियंस ले रहे थे और काम कर रहे थे, वहीं अंकित आईआईटी मुंबई के पास एक अपार्टमेंट में वेबसाइट कोडिंग का काम देख रहे थे। वह कहते हैं, 'मैं हमेशा से उत्साही प्रवृत्ति का इंसान रहा हूं। मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से आता हूं जहां कंप्यूटर को भी एक लग्जरी माना जाता था। इसीलिए हम अपनी पॉकेट मनी को बचाकर साइबर कैफे जाते थे।'
अपने बड़े-बड़े सपने लेकर वह पहली बार मुंबई जैसे महानगर में दाखिल हुए थे। जहां वह आईआईटी में मकैनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने वाले थे। लेकिन उनका ज्यादात समय कॉलेज के कंप्यूटर सेंटर में ही बीतता था। आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद पिछले सात सालों से अंकित ओला कंपनी का पूरा टेक्निकल काम देखते हैं। टेक्नॉलजी कंपनी होने के नाते अंकित मानते हैं कि डेटा एनालिसिस की वजह से ओला अपने बाकी प्रतिद्विंदियों से काफी आगे रहता है। यहां तक कि अपने आईआईटी के दिनों में भी अंकित कंप्यूटर सेंटर में डेटा को महत्व देते थे। वहीं पर उन्हें डेटा का महत्व पता चला था। वहीं उनके पार्टनर भविष लुधियाना से हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से कम्प्यूटर साइंस में बैचलर डिग्री हासिल करने के बाद माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के साथ दो साल तक काम किया था।
अंकित बताते हैं कि भारत जुगाड़ुओं का देश है और इसीलिए यहां के ड्राइवर कई तरह के जुगाड़ अपनाते हैं जैसे अधिक इंसेंटिव पाने की खातिर वे अपने दोस्तों से ही ओला बुक करने को कहते हैं या फिर प्राइस सर्ज करने के लिए सिस्टम ही ऑफ कर देते हैं। अंकित बताते हैं कि इस वजह से उन्हें अंदरूनी जांच करवानी पड़ती है। ओला के शुरुआती दिनों की बात करते हुए अंकित ने बताया कि शुरू में उन्होंने जो सिस्टम बनाया था वह आज के जैसा बिल्कुल नहीं था। उसमें पहले कस्टमर को वेबसाइट के पेज पर जाकर गाड़ी की बुकिंग करनी होती थी। उस बुकिंग की नोटिफिकेशन अंकित और उनके साथी भावेष के पास जाती थी। जिसके बाद वे किसी कार ऑपरेटर से कार रेंट पर लेने के लिए कॉल करते थे।
अंकित एक लैंडलाइन फोन के सहारे काम करते थे और लैपटॉप को भी साथ-साथ लेकर घूमते फिरते थे। लेकिन आज हालात पूरे बदल गए हैं और उनकी कंपनी का नेटवर्थ 500 करोड़ डॉलर हो गया है।
इसके बाद भविष ने कार ऑपरेटर से मिलकर अपने लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित शुरू किया वहीं अंकित वेबसाइट को और बेहतर करने के लिए प्रयासरत थे। वक्त के साथ-साथ दोनों को समझ में आ गया कि कस्टमर की मांग क्या है और कैब बुक करने के लिए क्या जरूरतें होती हैं। इसके बाद दोनों ने एक रीबस्ट सिस्टम बनाना शुरू कर दिया जिससे कि आसानी से कैब बुक की जा सके। साथ ही उन्होंने प्रणय जिवारजका और फहद को हायर किया जो कि उनके कॉल सेंटर का काम देखते थे। अभी तक ये सब काम घर पर ही हो रहा था, लेकिन अब उन्हें जगह बदलने की जरूरत महसूस होने लगी। उन्होंने मुंबई में ही एक मॉल में एक छोटा सा 10x10 की जगह ले ली। जिसे एक टेलर के साथ शेयर करनी पड़ती थी।
अंकित एक लैंडलाइन फोन के सहारे काम करते थे और लैपटॉप को भी साथ-साथ लेकर घूमते फिरते थे। लेकिन आज हालात पूरे बदल गए हैं और उनकी कंपनी की वैल्यू 500 करोड़ डॉलर हो गई है। इस कंपनी ने TaxiforSure और Geotagg जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया है। यह कैब एवं ऑटो बुकिंग सर्विस देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है।
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