इस शख्स ने नेपाली और पूर्वोत्तर भारतीय प्रवासियों के लिए अपने सैलून को बना दिया आश्रय घर
देश के तमाम हिस्सों में इन प्रवासियों में से कई अभी भी महामारी के बदसूरत परिणामों का सामना कर रहे हैं।
कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के तमाम हिस्सों में पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासी लोगों पर नस्लभेदी टिप्पणी किए जाने के कई मामले सामने आए हैं। कई खबरों में सामने आया है कि उन्हे ‘चीनी’ कहकर संबोधित किया गया और उनके साथ बदसलूकी भी की गई।
इसके बाद लॉकडाउन के दौरान बेंगलुरु में एक हेयर सैलून के मालिक राहुल राय ने नेपाल और पूर्वोत्तर भारत के प्रवासियों को रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करते हुए उनकी मदद करने का संकल्प लिया। हालांकि अभी भी देश के तमाम हिस्सों में इन प्रवासियों में से कई अभी भी महामारी के बदसूरत परिणामों का सामना कर रहे हैं।
द क्विंट के अनुसार राहुल राय ने बताया,
“जिस वक्त लॉकडाउन शुरू हुआ मुझे अलग-अलग कोनों से कई शिकायतें मिलीं कि कई व्यक्ति बेरोजगार हो गए और उन्हें उनके किराए के घर से बाहर निकाल दिया गया। मैंने अपने प्रशिक्षण सैलून को उनके लिए एक आश्रय गृह में बदल दिया।”
राहुल का सैलून अब आईटी पेशेवरों और अन्य प्रवासी श्रमिकों के लिए एक आश्रय है, जिनमें से कई अपने मूल राज्यों की तुलना में बेहतर रोजगार के अवसर की उम्मीद के साथ बेंगलुरु पहुंचे थे। लोगों को फेसबुक के माध्यम से राहुल से संपर्क किया, उन्होंने ऐसे अभूतपूर्व समय में उनकी मदद करने की व्यवस्था की।
दुकानों में प्रवेश से ना मिलने से लेकर, नौकरी से निकाल दिये जाने और भूख से मजबूर हो जाने से उनकी दशा काफी खराब हो गई है। इससे पहले दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक 25 वर्षीय मणिपुरी महिला को एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा "कोरोना" कहा गया था और उस व्यक्ति ने महिला पर पान थूक दिया था।
राहुल ने एएनआई को बताया, "वे पूर्वोत्तर के अलग-अलग राज्यों से हैं और उनमें से कुछ नेपाल से भी हैं।"
वर्तमान में सैलून में आश्रय लेने वाले पुरुषों में से एक ने सैलून में पहुंचने से पहले दूसरों के साथ शहर की एक झील के किनारे एक पूरा सप्ताह बिताया था। वह अपने निवास से बेदखल कर दिया गया था जहाँ वह लॉकडाउन से पहले रह रहा था। एक बार राहुल तक ऑनलाइन पहुंचने के बाद समूह को बचाया गया। यह देश भर में हुई कई परेशानियों और दिल दहला देने वाली घटनाओं में से एक है।