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तापसी पन्नू, फिल्मों के साथ 'द वेडिंग फैक्ट्री'

अपनी बहन और सहेली के साथ मिलकर शादी समारोहों की प्लैनिंग करने को The Wedding Factory की रखी नींव...इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कुछ अधिक पैसे कमाने के लिये रखा माॅडलिंग के क्षेत्र में कदम और अब नई अभिनेत्री...बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई के अलावा खेलकूद और अन्य गतिविधियों में रहती थी सक्रिय भागीदारी...अभिनय के क्षेत्र को अलविदा करने के बाद अपने इस काम को विस्तार देने की है योजना...

तापसी पन्नू, फिल्मों के साथ 'द वेडिंग फैक्ट्री'

Tuesday July 21, 2015 , 6 min Read

हमेशा अपने दिल की सुनने वाली और ‘जहां चाह वहां राह’ की पुरानी कहावत में दृढ़ विश्वास करने वाली तापसी पन्नू ने इंजीनियरिंग, माॅडलिंग और अभिनय के सफल सफर के बाद अब उद्यमिता के क्षेत्र की में अपना हाथ आजमाने का फैसला करते हुए इसे एक चुनौती की तरह लिया है।

तापसी ने अपनी बहन शगुन पन्नू और अपनी एक मित्र फराह परवरेश के साथ हाथ मिलाकर उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रखा है और इन्होंने मिलकर The Wedding Factory (द वैडिंग फैक्ट्री) की नींव रखी है। वैडिंग प्लानर के रूप में इनका प्रमुख उद्देश्य अपने उपभोक्ताओं को एक निधार्रित बजट के भीतर ही ऐसा नया अनुभव प्रदान करने का है जो अंर्तराष्ट्रीय मानकों से मेल खाता हो।

एक आदर्श विवाह समारोह से तापसी का अर्थ मेहमानों को एक ऐसे माहौल से रूबरू करवाना है जहां वे सिर्फ खाये हुए खाने हुए खाने के स्वाद ही याद न रखें बल्कि उस समारोह की स्मृृति हमेशा के लिये उनके स्मृति पटल पर अंकित हो जाए। वे कहती हैं, ‘‘हमारा मानना है कि हर विवाह समारोह में पेश करने के लिये एक अनोखी कहानी चाहिये।’’

तापसी पन्नू

तापसी पन्नू


योरस्टोरी ने तापसी से उनके अबतक के सफर और व्यापार की दुनिया में कदम रखने के उनके फैसले के बारे में विस्तार से वार्ता की।

दिल्ली में पली-बढ़ीं तापसी वर्ष 2010 में फिल्म उद्योग में अपना पहला कदम रखने में कामयाब रहीं।

तापसी का मानना है कि वे बचपन में एक ऐसा अतिसक्रिय बच्चा रहीं जिसकी रुचि हर प्रकार के आउटडोर खेलों और गतिविधियों में रही लेकिन जब पढ़ाई-लिखाई की बात आती तो वे अपनी काॅपी-किताबों से भी उतना ही प्रेम करतीं और परीक्षाओं में अच्छे अंक लाने में सफल होतीं। वे इन गतिविधियों के प्रति इतनी लगनशील थीं कि वे उनका अधिकतर समय कक्षा के बाहर किसी न किसी प्रतियोगिता की तैयारियों में ही बीतता था। जब भी उन्हें अपनी कक्षा में बैठने का समय मिलता तो वे आगे की सीट पर बैठना पसंद करतीं और कम उपस्थिति के बावजूद वे अच्छे अंक पाने में सफल रहती थीं जिसके चलते उनका अपने शिक्षकों से प्यार और नफरत का एक अजीब सा रिश्ता बन गया था।

‘‘मैं मुख्यतः नृत्य और पब्लिक स्पीकिंग में सक्रिय रहती थी लेकिन समय के साथ परिस्थितियां बदलीं और मैं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आ गई। फिल्में देखने और कुछ अधिक शाॅपिंग करने के लिये थोड़े और पैसे कमाने के लालच में मैंने माॅडलिंग में अपने हाथ आजमाये।’’

माॅडलिंग के क्षेत्र में 6 महीने के अनुभव ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वे स्वतंत्र होकर अपने फैसले ले सकती हैं और जरूरत पड़ने पर वे अपनी जिंदगी को वक्त के हिसाब से संभाल सकती हैं। इसके अलावा उन्हें इसस दौरान इस बात का भी अहसास हुआ कि वे एक सामान्य 9 से 5 क नौकरी करने के लिये नहीं बनी हैं और इसी वजह से उन्होंने इन्फोसिस की अपनी मिल रही नौकरी से किनारा किया और एकबीए करने का फैसला किया।

लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। इसी दौरान उन्हें कुछ दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करने का मौका मिला जिन्हें उन्होंने स्वीकार कर लिया और उसके बाद उन्हें कभी मुड़कर पीछे नहीं देखना पड़ा। अबतक के हिंदी, तेलगु और तमिल भाषा में कुल 17 फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं।

‘‘मैंने अब अपने जीवन और भविष्य की योजनाओं के बारे में सोचना बंद कर दिया है क्योंकि आजतक कुछ भी सुनियोजित तरीके से नहीं हुआ है लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि किस्मत ने मुझे हमेशा उम्मीद से अधिक ही दिया है और आज मैं जिस मुकाम पर हूँ उसपर मैं अपनी योजनाओं से कभी नहीं पहुंच पाती। मैं सिर्फ प्रवाह से साथ बह रही हूँ।’’

‘द वैडिंग फैक्ट्री’ की स्थापना का फैसला भी उनके इस बहाव के साथ बहने का ही एक हिस्सा रहा। मल्टी टास्किंग में निपुण होने के चलते उन्होंने इस काम में अपने हाथ आजमाने का फैसला किया क्योंकि यह काम उनके अभिनय के जीवन से बिल्कुल स्वतंत्र था और अपने जानने वालों के साथ काम करना इसे और भी आसान बनाता है।

इसके अलावा उन्हें इस विश्वास ने भी अपनी ओर आकर्षित किया कि भारत जैसे देश में कभी शादी-विवाह के क्षेत्र में मंदी का दौर नहीं आ सकता। उनकी नजरों में यह एक ऐसा क्षेत्र है जो न सिर्फ रचनात्मकता को जगह देता है बल्कि इसमें एक स्मार्ट और रणनीतिक सोच का निष्पादन भी बेहद जरूरी है।

ये सिर्फ एक ही व्यापार योजना मंत्र का पालन करती हैं, ‘‘हमेशा अपने उपभोक्ता के बजट से कम ही काम पूरा करने का प्रयास करो क्योंकि हम अपने उपभोक्ता को अपनी अन्यथा मांगों के बोझ के तले दबा हुआ नहीं देख सकते।’’ उनका खयाल है कि यही सोच इन्हें मशहूर करने और अधिक उपभोक्ताओं को इनके साथ जोड़़ने में काफी मददगार साबित होगी।

अपनी दोनों सहयोगियों के बारे में बात करते हुए तापसी कहती हैं, ‘‘फराह इस उद्योग के लिये नयी नहीं है क्योंकि वह बीते कुछ वर्षों से इसी क्षेत्र में कार्यरत है। मैं उन्हें बीते लगभग 8 वर्षों से जानती हूँ और वे मेरे मेलजोल वाले लोगों में से सबसे अधिक रचनात्मक और अदृभुत लोगों में से एक हैं। और मेरी बहन शगुन ईवेंट मैनेजमेंट के काम में काफी अनुभवी है इसलिये ये दोनों मेरे लिये काम प्रारंभ करने को सबसे बेहतर विकल्प थे।’’

शगुन, तापसी और फराह

शगुन, तापसी और फराह


फराह का जन्म और पालन-पोषण एक बहुसंस्कृतिक घर में हुआ था और वे पेशे से एक पटकथा लेखक हैं। दूसरी तरफ शगुन दिल्ली विश्वविद्यालय से अंगेजी आॅनर्स में स्नातक करने के बाद मुंबई के सोफिया काॅलेज से परस्नातक की डिग्री हासिल कर चुकी हैं। इसके अलावा सजावट के क्षेत्र में उनकी गहरी रुची और नियोजन और मार्केटिंग में कौशल साथ मिलकर इस टीम को और अधिक ताकत देते हैं।

तापसी का मुख्य काम रचात्मकता से संबंधित निर्धय लेने और मार्केटिंग के काम को संभालना है। वे आमतौर पर चीजों के निष्पादन पर अपना ध्यान नहीं देती हैं और इसी वजह से उन्हें अपने अभिनय के करियर पर ध्यान देने के लिये भी समय मिल जाता है।

तापसी के अनुसार अगर कोई महिला अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने की ठान ले तो फिर उसकी सफलता की कोई सीमा नहीं होती है। हमेशा चुनौतियों का समाना करते हुए दूसरों की अपने बारे में बनी हुई सोच को गलत साबित करने वाली तापसी प्रतिरोध के समय में भी आत्मविश्वास से लबरेज रहती हैं और उन्हें अपने लिये गलत और ठीक का भी पता रहता है।

यहां तक कि जब उन्हें फिल्म उद्योग में काम करने का मौका मिला तापसी को इस बात का बखूबी इल्म था कि उनके पिता ने उनके लिये ऐसा कुछ नहीं सोचा था। ‘‘लेकिन मैंने एक लंबे समय की खुशी के बारे में सोचा और अब मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरा वह फैसला ठीक साबित हुआ।’’

उनकी अब तक की उपलब्धियों और जीवन के सफल लम्हों में उनके लिये सबसे अधिक किसके मायने हैं,

‘‘इंजीनियरिंग पूरी करने से पहले ही किसी अन्य इंजीनियर के मुकाबले अधिक पैसे कमाना और बिल्कुल अनजान शहर में कदम रखते हुए अपने दम पर एक मुकाम को पाना और अपना एक मकान बनाना। अपने स्वयं के प्रयासों से अपने लिये एक नाम कमाना और द वैडिंग फैक्ट्री के रूप में एक ऐसे काम की नींव रखना जो मेरे अभिनय के क्षेत्र को अलविदा कहने के बाद भी जारी रहेगा।