कोविड संकट के बीच भारत में कम लागत वाले वेंटिलेटर ला रहा है MIT के छात्रों का प्रोजेक्ट प्राण
MIT के छात्र श्रिया श्रीनिवासन और राजीव मोंडल का प्रोजेक्ट प्राण (Prana) आईसेव नामक मल्टीप्लेक्स वेंटिलेटर बना रहा है, जिसकी कीमत 45,000 रुपये होगी। इन्हें चेन्नई में बनाया जा रहा है। ये एक वेंटिलेटर को दो रोगियों से जोड़ सकते हैं। इन्हें कस्टमाइज करने के साथ ही इनके पैरामीटर को कंट्रोल कर सकते हैं।
पूरे भारत भर में COVID पॉजिटिव मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में मरीज और उनके रिलेटिव ऑक्सीजन सिलेंडर, बेड और वेंटिलेटर के लिए तमाम तरह की जद्दोजहद में लगे हैं। दुनिया भर की सरकारें और कॉरपोरेट भी भारत को वैक्सीन के कच्चे माल, दवाइयों, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन इत्यादि के जरिए सपोर्ट कर रहे हैं।
MIT के छात्र श्रिया श्रीनिवासन और राजीब मोंडल ने प्रोजेक्ट प्राण के तहत कम लागत वाले मल्टीप्लेक्स वेंटिलेटर का निर्माण किया है, जिसका नाम आईसेव (iSave) रखा है। इंडिविजुअलाइज्ड सिस्टम फॉर ऑगमेंटिंग वेंटिलेटर इफिशिएंसी (iSave) दो मरीजों को एक वेंटिलेटर से कनेक्ट कर सकता है, और जरूरत के मुताबिक सभी पैरामीटर को कंट्रोल कर सकते हैं ताकि यह हर मरीज के लिए सुरक्षित हो और मरीज की जरूरत के हिसाब से कस्टमाइज किया जा सके।
YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ बातचीत में श्रिया ने बताया, "आप रेस्पिरेटरी मॉनिटर पर एक साथ दोनों रोगियों को ट्रैक भी कर सकते हैं। इससे मरीजों को ट्रैक करने के लिए चिकित्सकों और नर्सों के लिए काम आसान हो जाता है। हम अलार्म भी सेट कर सकते हैं ताकि वे प्रत्येक रोगी के लिए सुरक्षित हों।"
वह बताती हैं कि वेंटिलेटर में सभी सुरक्षा उपाय मौजूद हैं ताकि अगर वेंटिलेशन अलग हो जाते हैं तो भी उनकी क्वालिटी लॉस्ट न हो।
राजीब बताते हैं कि जब हर कोई ऑक्सीजन संकट पर ध्यान दे रहा है और देश में ऑक्सीजन सिलेंडर लाने की कोशिश कर रहा है, तो जो अगला संकट उनके सामने होगा वो वेंटिलेटर की कमी का होगा।
मैक्स वेंटिलेटर्स के सीईओ अशोक पटेल के एक बयान का हवाला देते हुए, राजीब कहते हैं कि भारत में 50 प्रतिशत से कम वेंटिलेटर हैं जिनकी COVID-19 इलाज के लिए आवश्यकता है। जहां कई लोग फुल-फंक्शनल वेंटिलेटर खरीदना चाहते हैं, तो ऐसे में हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यह काफी ज्यादा समय लेने वाली और महंगी चीज है।
राजीब बताते हैं कि एक फुल-फंक्शनल वेंटिलेटर की कीमत लगभग 43 लाख रुपये है। हालांकि, iSave वेंटिलेटर की कीमत 45,000 रुपये है और यह चेन्नई में बना पूरी तरह से मेड इन इंडिया है।
राजीब बताते हैं, "iSave मौजूदा वेंट्स का इस्तेमाल करता है और उन्हें मल्टीप्लेक्स कर कई मरीजों की सेवा करता है। इसके साथ, 10 करोड़ रुपये में, हम 3,000 से अधिक युनिट हासिल कर सकते हैं और 6,000 मरीजों की सेवा कर सकते हैं।"
श्रिया बताती हैं: "वेंटिलेटर को 10 मिनट के भीतर एक अनुभवहीन तकनीशियन या नर्स द्वारा असेंबल किया जा सकता है और मरीज की जरूरी थैरेपी को दे सकता है। यह कम लागत वाला और आसानी से इस्तेमाल किए जाने वाला वेंटिलेटर है। इसके नतीजे कई पब्लिकेशन में प्रकाशित और मान्य है।"
श्रिया बॉब लैंगर्स लैब में एमआईटी में पोस्टडॉक हैं, और एक जानी मानी बायोमेडिकल इंजीनियर हैं। वह न्यूरल इंजीनियरिंग में काम कर रही है और प्रोस्थेटिक्स के क्षेत्र में काम कर चुकी हैं। राजीब हार्वर्ड और एमआईटी में हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रोग्राम में पीएचडी के छात्र हैं।
राजीब ने पहले मेडिसिन और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। राजीब कहते हैं, "हम दोनों अच्छे दोस्त हैं। हम MIT हैकिंग मेडिसिन नामक एक पहल से एक-दूसरे को जानते हैं। यह एक छात्र समूह है जो स्वास्थ्य समस्याओं को रचनात्मक तरीके से हल करने और एक डिजाइन सोच दृष्टिकोण से निपटता है।"
टीम में वर्तमान में 10 लोग शामिल हैं और प्रोजेक्ट प्राणा की चेन्नई में पार्टनर फर्म है, जो डिवाइसेस का निर्माण कर रही है। प्रोजेक्ट प्राण के iSave को इक्वाडोर और इटली में रखा गया है जहां वे कोरोना की अगली लहर की तैयारी कर रहे हैं।
टीम डिवाइसेस के विनिर्माण को बढ़ाने के लिए डोनेशन की तलाश कर रही है। आप यहां दान दे सकते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi