दिल्ली से प्रदूषण अब भिवाड़ी, मानेसर, गुरुग्राम के रास्ते छोटे शहरों की ओर
वायु प्रदूषण सिर्फ़ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है. भारत के मँझले और छोटे शहर उसकी चपेट में आ चुके हैं.
इस साल मार्च से लेकर मई तक उत्तर भारत ने भीषण गर्मी और लू का प्रकोप ही नहीं झेला है, बल्कि यह सबसे अधिक प्रदूषित भी रहा है. दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण का हॉटस्पॉट बना हुआ है. यहाँ दक्षिण भारत के मुकाबले पीएम 2.5 का औसत स्तर तीन गुना अधिक पाया गया है. उत्तर भारत में पीएम 2.5 का औसत 71 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर था, जो सर्वाधिक है. पूर्वी भारत 69 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दूसरा सबसे खराब क्षेत्र था. पश्चिम भारत में पीएम 54 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और मध्य भारत में 46 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. पूर्वोत्तर भारत 35 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर और दक्षिण भारत 31 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ सबसे काम प्रदूषित हैं.
यह जानकारी पर्यावरण से जुड़े थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (Centre for Science and Environment) की रिपोर्ट से सार्वजनिक हुई है. इस रिपोर्ट के लिए 26 राज्यों के 174 शहरों के 356 केंद्रों से मिले डाटा का अध्ययन किया गया है.
दिल्ली-एनसीआर का हर इलाक़ा प्रदूषित
उत्तर भारत के भीतर दिल्ली एनसीआर सबसे प्रदूषित उप क्षेत्र पाया गया. दिल्ली-एनसीआर में 12 जगहों पर स्पॉट मिले हैं. गर्मियों के दौरान इस क्षेत्र का सबसे प्रदूषित शहर भिवाड़ी था. मार्च से मई के बीच जहां भिवाड़ी में पीएम2.5 का स्तर सबसे बदतर था जो 134 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर दर्ज किया गया था. उसके बाद, मानेसर 119 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, गाजियाबाद 101 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर, दिल्ली 97 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, गुरुग्राम 94 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर और नोएडा 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हैं.
प्रदूषण के यह आंकड़े एक बात तो स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि देश में प्रदूषण अब केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रह गया है छोटे शहर भी इसके हॉटस्पॉट बन रहे हैं. यह बात 2022 में गर्मियों के दौरान देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में भी साफ-तौर पर नजर आती है, जिसमें राजस्थान का भिवाड़ी शहर सबसे प्रदूषित शहरों में सबसे ऊपर था.
एनसीआर में प्रदूषण अब दिल्ली से हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों की ओर फैल रहा है. आने वाले दिनों में सरकार और अन्य एजेंसियों का ध्यान इन औद्योगिक इलाक़ों में फ़ैक्ट्री प्रदूषण को नियंत्रित करने, इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने और हरियाली के विस्तार पर होना चाहिए. भिवाड़ी से जयपुर दूर नहीं जो खुद भी प्रदूषण के इस स्तर की जद में आ चुका है.