कलेक्टर ने जैविक खाद की अहमियत बताने के लिए हाथों से साफ किया टॉयलट का गढ्ढा
टॉयलट का गढ्ढा साफ करके IAS अॉफिसर ने पेश की मिसाल...
तेलंगाना के मेडक जिले के कलेक्टर के. धर्मा रेड्डी का काम सुनकर कम से कम आप इस धारणा को तोड़ देंगे। जहां एक तरफ कई अफसर मिट्टी लग जाने के डर से जमीन से दूर रहते हैं वहीं धर्मा रेड्डी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत आयोजित वर्कशॉप में एक टॉयलट के गढ्ढे में जाकर उसे अपने हाथों से खाली किया।
धर्मा रेड्डी राज्य सिविल सेवा के अधिकारी हैं। हाल ही में उन्हें प्रमोट करते हुए आईएएस कैडर में शामिल किया गया था। उन्होंने मार्च में मेडक जिले के कलेक्टर का कार्यभार संभाला था। इसके पहले वे मलकाजगिरि जिले के संयुक्त कलेक्टर पद पर तैनात थे।
भारतीय प्रशासनिक सिस्टम के अधिकारियों के बारे में अक्सर ये बात कही जाती है कि वे आम जनता की समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं और उनसे दूर ही रहते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। तेलंगाना के मेडक जिले के कलेक्टर के. धर्मा रेड्डी का काम सुनकर कम से कम आप इस धारणा को तोड़ देंगे। जहां एक तरफ कई अफसर मिट्टी लग जाने के डर से जमीन से दूर रहते हैं वहीं धर्मा रेड्डी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत आयोजित वर्कशॉप में एक टॉयलट के गढ्ढे में जाकर उसे अपने हाथों से खाली किया। वे लोगों को अपशिष्ट से खाद बनने के बारे में बता रहे थे।
तेलंगाना टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेनिंग के वक्त वहां मौजूद स्टाफ ने पहले लोगों को प्रोसेस के बारे में बताया। इसके बाद कलेक्टर खुद ही गढ्ढे में कूद गए और वहां से अपने हाथों से 'खाद' को निकाला। मेडक जिले से कुछ लोगों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वर्कशॉप में शामिल होने के लिए पुणे के पंढरेवाडा गांव ले गया था। वहां पर मल से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जानी थी। इस प्रॉसेस को कलेक्टर ने खुद से कर के दिखाया और लोगों को बताया कि इसे छूने से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से खाद में बदल चुका है।
"धर्मा रेड्डी राज्य सिविल सेवा के अधिकारी हैं। हाल ही में उन्हें प्रमोट करते हुए आईएएस कैडर में शामिल किया गया था। उन्होंने मार्च में मेडक जिले के कलेक्टर का कार्यभार संभाला था। इसके पहले वे मलकाजगिरि जिले के संयुक्त कलेक्टर पद पर तैनात थे।"
पिछले साल ही तेलंगाना जिले को ओपन डेफिकेशन फ्री यानी खुले में शौचमुक्त भारत घोषित किया गया है। यह तेलंगाना का 8वां ऐसा जिला बन गया। इसी के साथ ही तेलंगाना अब खुले में शौचमुक्त प्रदेश की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक देश के कुल 11 राज्यों को खुले में शौचमुक्त राज्य का दर्जा मिल चुका है। इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, हरियाणा, गुजरात, चंडीगढ़. दमन एवं दीव, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मेघालय शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: '3 इडियट' वाले सोनम वांगचुक सैनिकों के लिए बना रहे मिट्टी के टेंट, ठंड में खुद से होंगे गर्म