जेब से एक रुपया लगाए बिना बन गया मकान, घर में गैस कनेक्शन है और स्मार्ट कार्ड भी
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
नसीना ने जब प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में सुना तो उसने अपने परिवार से बात की और फॉर्म भर दिया। 2016-17 में आवास के लिए राशि स्वीकृत हुई। आज नसीना का 268 वर्गफीट में छोटा सा पक्का मकान बनकर तैयार हो चुका है।
यही नहीं शौचालय बनाने की राशि अलग मिली। अब नसीन और उसका परिवार अपनी खुद की छत पाकर बहुत खुश है और सरकार की योजनाओं का बखान करते नहीं थक रहे। उनकी पत्नी साहिना का कहना है कि खुद के घर में सुकून मिलता है।
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के समनापुर में रहने वाले मो. नसीन और उनका परिवार आज बेहद खुश है। हों भी क्यों न? सरकार ने छत जो दे दी। वह भी बिना किसी लागत के। जेब से एक रुपया नहीं लगा। मजदूरी की तो 95 दिवस के 16 हजार मिले वह अलग। नसीन का कहना है कि वह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि मकान का सपना पूरा हो पाएगा। शुक्र है प्रधानमंत्री आवास योजना का, जिसके चलते मेरा घर बनकर तैयार हो गया। नसीन और उनके परिवार का जीवन खेती पर निर्भर है। उनकी पत्नी साहिना बेगम स्व-सहायता समूह की सदस्य हैं। दो बच्चे हैं फैजूल रहमान और साहिबा। पिता इलियाज भी किसानी करते हैं और मां महरुन निशा घर पर रहकर बच्चों की देखभाल करती हैं। पांच भाई-एक बहन में से तीन की शादी हो चुकी है। चार लोग पढ़ाई कर रहे हैं। परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी इन्हीं पर है।
ऐसे में पूरा समय केवल रोजी-रोटी की चिंता में ही निकल रहा था। मकान बनाने की सोचते तो थे, लेकिन रकम इकट्ठा नहीं कर पा रहे थे। कभी कुछ पैसे बचाया तो अचानक कोई न कोई जरूरत आन पड़ी। जब प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में सुना तो नसीन ने परिवार से बात की और फार्म भर दिया। 2016-17 में आवास के लिए राशि स्वीकृत हुई। आज 268 वर्गफीट में छोटा सा पक्का मकान बनकर तैयार हो चुका है। इसमें एक कमरा है, एक किचन और एक बरामदा। यही नहीं शौचालय बनाने की राशि अलग मिली। अब नसीन और उसका परिवार अपनी खुद की छत पाकर बहुत खुश है और सरकार की योजनाओं का बखान करते नहीं थक रहे। उनकी पत्नी साहिना का कहना है कि खुद के घर में सुकून मिलता है।
ब्लॉक को-आर्डिनेटर शिरीन बख्शी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हितग्राहियों को तीन किस्तों में एक लाख 30 हजार रुपए की स्वीकृति मिलती है और इतने में एक मॉडल हाउस बनकर तैयार हो जाता है। नसीन का मकान 268 वर्गफीट में बनकर तैयार हुआ है। उनके परिवार को अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। सौभाग्य योजना के तहत एकल बत्ती कनेक्शन दिया गया है यानी घर में अंधेरा नहीं रहता। उनके पास स्मार्ट कार्ड है तो इलाज की चिंता करने की जरूरत नहीं। गैस कनेक्शन पाकर साहिना भी खुश है क्योंकि उसे भी धुएं से छुटकारा मिल गया। सबसे बड़ी बात ये कि नसीन के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं और बड़े होकर अफसर बनाना चाहते हैं।
नसीन की तरह ही कवर्धा ब्लॉक में पांच हजार 387 परिवारों को उनका मकान मिला है। शिरीन ने बताया कि 2016-17 में यहां योजना की शुरुआत हुई और पांच हजार 521 आवास स्वीकृत किए गए थे। इस योजना की जानकारी देने और हितग्राहियों को उनका हक दिलाने के लिए आवास मित्र भी काम कर रहे हैं। इसमें से कुछ कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र भी हैं। बीएससी की पढ़ाई कर रहे चंद्रकुमार ने बताया कि वे लोग गरीब परिवारों को गाइड करते हैं ताकि उन्हें योजना का लाभ मिले। प्रति मकान उन्हें एक हजार रुपए दिए जाते हैं। अगर आवास छह माह में बनकर तैयार हो जाता है तो 200 रुपए बोनस अलग। ब्लाक में उनके जैसे 26 युवा हैं, जिन्हें इस योजना के बहाने रोजगार मिला हुआ है।
इस तरह बीपीएल परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिलाने के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। अगर हितग्राही के पास जमीन है तो उसे पहली किस्त के रूप 52 हजार रुपए दिए जाते हैं। फिर इतनी ही राशि दूसरी किस्त में मिलती है। मकान का प्लास्टर होने के बाद आखिरी राशि 26 हजार रुपए उनके खाते में डाल दी जाती है। अगर हितग्राही के पास जमीन नहीं है तो भी उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं। ग्राम पंचायत की तरफ से भूमि भी मुहैया कराई जाती है।
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