युवाओं को आर्मी जॉइन करने के लिए प्रेरित करते हैं ले. कर्नल संदीप अहलावत
भारत में अगर सबसे ज्यादा सम्मानित और प्रतिष्ठित सेवा कोई है तो वो है भारतीय सेना। यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि सैनिकों के बलिदान की वजह से ही हम सभी नागरिकों को आजादी से जीने का हक प्राप्त है। इस जज्बे को कायम रखने के लिए ही लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप अहलावत देश के युवाओं को सेना में जाकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। संदीप देश के तमाम सैनिकों और उनके परिवार के द्वारा दी गई कुर्बानियों की अहमियत भी दिलाते हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप अपने दम पर 'स्टूडेंट आउटरीच कैंपेन' चलाते हैं। अब तक वे 30 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों का दौरा कर चुके हैं जिनमें आईआईटी दिल्ली जैसे शीर्ष और प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल हैं। वे कई सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में जाकर अब तक 30,000 से भी ज्यादा छात्रों को भारतीय सेना में जाने के लिए प्रेरित कर चुके हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप अहलावत ने हाल ही में एक स्कूल में छात्रों को संबोधित करने के बाद इंडियाटाइम्स से बात करते हुए कहा, 'हमारा उद्देश्य यह है कि देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को सबसे अच्छे संस्थान यानी भारतीय सेना में शामिल होना चाहिए। हम उन पर किसी तरह का दबाव नहीं डालते बल्कि उन्हें एक तरह से प्रेरणा देते हैं औरर बताते हैं कि यह सेवा नौकरी से कहीं अधिक अहमियत रखती है। जो सेना राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा करती है वहां जाकर सेवा करना किसी भी युवा के लिए गर्व की बात होनी चाहिए। सेना हमें सिखाती है कि नि: स्वार्थ भाव से देश और वहां के नागरिकों की किस प्रकार सेवा करनी चाहिए।'
संदीप आगे कहते हैं, 'भारतीय सेना केवल आपको नौकरी नहीं देती। यह आपको आपकी आजीविका चलाने से कहीं ज्यादा मौके प्रदान करती है। धर्मनिरपेक्षता और भाई-चारा सेना के दो महत्वपूर्ण सूत्र हैं जिनके लिए भारतीय सैनिक मर मिटते हैं। सेना में धर्म का कोई महत्व नहीं है, सिर्फ भारतीय होना और अपने मृतकों या घायलों को कभी नहीं छोड़ने का जज्बा ही सेना में जाने के लिए काफी है।
भारतीय सेना के सिपाही का मकसद पहले राष्ट्र है; साथी सैनिक खुद को अंतिम स्थान पर रखते हैं। सेना किसी को भी नि: स्वार्थ भाव से सेवा करने की प्रेरमा देती है जो कि मानव होने के लिए पूर्व-आवश्यकता है। संदीप कहते हैं कि वे जिन शिक्षण संस्थानों में जाते हैं वहां अधिकतर बच्चे आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों से आते हैं और इसलिए वे या ब्यूरोक्रेटिक सर्विस में जाता हैं या फिर डॉक्टर, इंजीनियर, कॉर्पोरेट के पेशे में। वे कहते हैं, 'हमारा मकसद इन बच्चों को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित करना है।'
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