लड़कियों की सुरक्षा के लिए यूपी की शहाना ने उठा ली बंदूक और बन गईं 'बंदूक वाली चाची'
यूपी में 'बंदूक वाली चाची' का नाम सुनकर घबरा जाते हैं बदमाश
हाथ में बंदूक लेकर चलने वाली शाहना से गुंडे और बदमाश कांपते हैं। गांव की महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शहाना खुद संभालती हैं।
शहाना कोई पुलिस या सुरक्षागार्ड्स की नौकरी नहीं करती, बल्कि इलाके में औरतों और लड़कियों के साथ होने वाली छेड़खानी को रोकने के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी है।
शहाना के गांव में दो व्यक्तियों ने एक लड़की का रेप किया था। शहाना ने उन दोनों को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया। हालांकि बाद में उसमें से एक आरोपी ने लड़की से शादी कर ली थी।
42 साल की शहाना बेगम उत्तर प्रदेश के शाहजहां पुर में रहती हैं। लोग उन्हें बंदूकवाली चाची के नाम से जानते हैं। दरअसल वे आस-पास के इलाके में सभी महिलाओं और लड़कियों के बीच खासी चर्चित हैं। हाथ में बंदूक लेकर चलने वाली शाहना से गुंडे और बदमाश कांपते हैं। गांव की महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शहाना खुद संभालती हैं। शहना कोई पुलिस या सुरक्षागार्ड्स की नौकरी नहीं करती, बल्कि इलाके में औरतों और लड़कियों के साथ होने वाली छेड़खानी को रोकने के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी है और इसीलिए वो बंदूक लेकर चलती हैं।
हर रोज रात को बंदूक लेकर निकल पड़ती हैं और अकेले ही पेट्रोलिंग करती हैं। उन्हें कोई भी व्यक्ति कोई गलत काम करता दिखता है तो उसे पकड़कर वे पुलिस को सौंप देती हैं।
अपने देश में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। इसके लिए लंबी-चौड़ी बातें तो होती हैं, लेकिन अभी भी सख्त कानून नहीं बन सके हैं। कानून हैं भी तो उनका सही से पालन नहीं होता। इसके पीछे हमारा पित्रसत्तात्मक समाज जिम्मेदार हैं, जहां स्त्रियों को अक्सर दोयम दर्जे का समझ लिया जाता है। 2013 की बात है। शहाना के गांव में दो व्यक्तियों ने एक लड़की का रेप किया था। शहाना ने उन दोनों को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया। हालांकि बाद में उसमें से एक आरोपी ने लड़की से शादी कर ली थी।
लेकिन इस घटना से शहाना को लगा कि ऐसे काम नहीं चलेगा और उन्होंने गांव को भयमुक्त करने के बारे में ठान लिया। वह रोज रात को बंदूक लेकर निकल पड़ती हैं और अकेले ही पेट्रोलिंग करती हैं। उन्हें कोई भी व्यक्ति कोई गलत काम करता दिखता है तो उसे पकड़कर वे पुलिस को सौंप देती हैं। बदमाशों के अंदर शहाना का इतना खौफ भर गया कि यहां वारदातों की संख्या कम हो गई। जो काम पुलिस को करना चाहिए वो अकेले शहाना ने कर दिखाया।
दरअसल 17 साल पहले ही शहना के पति का देहांत हो गया था। ऐसे में शहना के ऊपर चार बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। शहना के दो बेटे और दो बेटी हैं। शहना ने काफी मेहनत से अपने परिवार को पाला और आज वह समाज को सुधारने का जिम्मा उठा चुकी हैं। वह गांव-गांव जाकर लोगों से अपराध के खिलाफ लड़ने की अपील करती हैं।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार का पुरजोर विरोध करने वाली शहाना गांव के विकास के लिए काफी आगे रहती हैं। आज आलम यह है कि जमीन के बंटवारे से लेकर पानी की समस्या तक हर कोई शाहना के पास मदद मांगने आता है।
बंदूक वाली चाची बंदूक को ही अब अपना पति मानती हैं और कहती हैं कि मेरे इलाके में किसी भी पुरुष की महिलाओं को छेड़ने की हिम्मत नहीं होती, उन्हें मेरा खौफ है।
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