Rapido ने सीरीज-ई फंडिंग में जुटाए $200 मिलियन; यूनिकॉर्न क्लब में एंट्री
हालिया जुटाई गई फंडिंग का इस्तेमाल Rapido के देशभर में परिचालन का विस्तार करने और इसके टेक प्लेटफॉर्म को बढ़ाने के लिए किया जाएगा.
राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म रैपिडो (
) ने बुधवार को कहा कि कंपनी ने सीरीज-ई फंडिंग राउंड में 200 मिलियन डॉलर जुटाए हैं. इसके साथ ही रैपिडो ने यूनिकॉर्न का तमगा हासिल कर लिया है. गौरतलब हो कि एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य वाली स्टार्टअप कंपनियों को ‘यूनिकॉर्न’ के रूप में पहचाना जाता है.हालिया फंडिंग राउंड का नेतृत्व मौजूदा निवेशक WestBridge Capital ने किया और इसमें Nexus और अन्य निवेशकों — Think Investments और Invus Opportunities की भागीदारी भी देखी गई. इस ताजा फंडिंग के साथ बेंगलुरु स्थित कंपनी की पोस्ट-मनी वैल्यूएशन 1.1 अरब (बिलियन) डॉलर हो गई है.
रैपिडो हालिया जुटाई गई फंडिंग का इस्तेमाल देश भर में अपने परिचालन का विस्तार करने और सेवाओं में सुधार के लिए अपने टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म को बढ़ाने के लिए करेगा. यह तीन पहिया वाहन, टैक्सी-कैब और बाइक-टैक्सी सहित विभिन्न श्रेणियों में परिचालन बढ़ाने की भी योजना बना रहा है.
रैपिडो के को-फाउंडर अरविंद सांका ने एक बयान में कहा, “इस ताजा फंडिंग के साथ, हम अपने ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी पेशकशों का पता लगाने और उनका विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं. पिछले एक साल में, हमने उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव किया है, हमारी दैनिक सवारी 2.5 मिलियन तक बढ़ गई है. यह फंडिंग हमें अपनी सेवाओं में नवाचार और सुधार जारी रखने में सक्षम बनाएगी, जिससे हम अपने ग्राहकों को बेहतर सेवा दे सकेंगे और सभी के लिए शहरी गतिशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकेंगे.”
वेस्टब्रिज कैपिटल के को-फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर सुमीर चड्ढा ने कहा, “रैपिडो में किए गए शुरुआती निवेश के बाद से पांच वर्षों में, हमने अरविंद, पवन, ऋषिकेश और टीम को इसे भारत के अग्रणी कम लागत वाले मोबिलिटी प्लेटफॉर्म में बदलते देखा है. बाइक टैक्सियों पर हावी होने से लेकर 3W ऑटो और कैब में महत्वपूर्ण प्रगति करने तक, उनकी वृद्धि उनके परिचालन कठोरता और ग्राहक और कप्तान संतुष्टि पर निरंतर ध्यान देने का प्रमाण है.”
कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में 497.5 करोड़ रुपये के रेवेन्यू की वृद्धि दर्ज की, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 157.9 करोड़ रुपये अर्जित किए गए थे. ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में इसका शुद्ध घाटा बढ़कर 674.6 करोड़ रुपये हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 439 करोड़ रुपये था.
(Translated by: रविकांत पारीक)