दिल्ली को अपने हिस्से का पानी बेचेगा हिमाचल प्रदेश, दोनों सरकारों के बीच हुआ करार
दिल्ली के लोगों के लिए हिमाचल से 21 करोड़ रुपये का 'पानी' खरीदेंगे केजरीवाल
हिमाचल सरकार नई दिल्ली को बेचेगी यमुना नदी का पानी। 21 करोड़ रुपये सालाना की दर पर हुआ दोनों सरकारों के बीच करार। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट ने लिया फैसला।
हिमाचल प्रदेश यमुना नदी में अपने हिस्से का पानी दिल्ली को 21 करोड़ रुपये सालाना की दर पर बेचेगा। एक अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की।
इस संबंध में दोनों सरकारों के बीच शुक्रवार को एक करार पर हस्ताक्षर किये गये।
अधिकारी ने बताया कि
‘‘हिमाचल प्रदेश के सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य सचिव आर एन भट्ट और दिल्ली सरकार की प्रधान सचिव मनीषा सक्सेना ने इस करार पर दस्तखत किये।’’
भट्ट ने खुलासा किया कि 1994 में किये गये विभिन्न राज्यों के बीच करार के अनुसार हिमाचल प्रदेश को यमुना का तीन फीसद पानी मिलता है। लेकिन तब से उसका यह हिस्सा उसके उपयोग में नहीं आया।
उन्होंने कहा कि
‘‘दिल्ली सरकार का अनुरोध था कि हिमाचल प्रदेश सरकार अपना यह हिस्सा दिल्ली को बेचने का फैसला करे। इस करार के फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश सरकार को सलाना 21 करोड़ रुपये मिलेंगे।’’
आपको बता दें कि यमुनानगर के ताजेवाला कॉरीडोर से हिमाचल सरकार अपने हिस्से में का सारा 3 फीसदी पानी दिल्ली सरकार को बेचेगी। ताजेवाला कॉरीडोर के कुल उपलब्ध 9.056 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी में से हिमाचल के हिस्से में 0.378 बिलियन क्यूबिक पानी आता है। इतना ही पानी रोजाना दिल्ली सरकार को बेचा जाएगा।
सुत्रों के अनुसार, वित्तीय संकट से जूझ रही जयराम सरकार ने प्रदेश को इससे उभारने के लिए ये अहम फैसला लिया है। इसके साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके लिए जयराम सरकार से अनुरोध किया था।
गौरतलब हो कि अभी तक ये पानी बिना शुल्क हरियाणा या अन्य क्षेत्र को दे दिया जाता था।
आर एन भट्ट ने कहा कि
‘‘देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि दो सरकारों के बीच ऐसा कोई करार हुआ है।’’
आपको बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार के 2 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी के उपलक्ष्य में आगामी 27 दिसंबर को एक समारोह रखा गया है। शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में आयोजित होने वाली सार्वजनिक रैली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी शामिल होंगे।
(Edited by रविकांत पारीक )