इस रेस्टोरेंट मालिक ने बनाया पहनने योग्य सुरक्षा उपकरण, ISRO और IIT इंजीनियरों के साथ की भागीदारी
महिला सुरक्षा एक वैश्विक समस्या है। तकनीकी प्रगति और इनोवेशन के बावजूद हम अभी भी इस समस्या को हल करने में सक्षम नहीं हैं।
रेस्तरां मालिक से उद्यमी बने धनंजय गुप्ता ने महसूस किया कि महिलाओं की सुरक्षा को देखने के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है। ऐसे मामलों के बारे में पढ़ते और शोध करते हुए धनंजय ने महसूस किया कि महिलाएं उस समय सबसे कमजोर मजसूस कर रही थीं जब उनके पास अपने फोन तक पहुंच नहीं थी और वे पूरी तरह से अपरिचित स्थान पर थीं।
धनंजय कहते हैं, "हमने महसूस किया कि उनके पास एक पहनने योग्य उपकरण होना चाहिए जो महिलाओं को आश्वस्त करे कि कोई है जो उनकी सहायता के लिए आ सकता है और लोग उनके स्थान को जानते हैं।"
इसने उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के साथ मिलकर सेफलॉकेट विकसित करने के लिए प्रेरित किया। यह एक उच्च तकनीक वाला शक्तिशाली उपकरण है जिस पर लोग अपनी सुरक्षा के लिए भरोसा कर सकते हैं। अन्य जीपीएस ट्रैकिंग उपकरणों के विपरीत, यह डिवाइस वाई-फाई, ब्लूटूथ या किसी अन्य बाहरी डिवाइस सपोर्ट के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकती है।
ये है टीम
कोलकाता आधारित इस उत्पाद को 2019 में लॉन्च किया गया था। धनंजय के अलावा, टीम में मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी कृष्णा गुप्ता शामिल हैं, जो कनाडा में MIS नामक एक सफल आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी भी चलाते हैं। कृष्णा ऐप डिजाइन, पीओएस सिस्टम और यहां तक कि निजी संस्थानों के लिए क्रिप्टो बना चुके हैं।
चीफ मार्केटिंग ऑफिसर ऋचांक तिवारी पीआर और मीडिया पृष्ठभूमि से आते हैं। संचालन प्रमुख अजीत के भसीन को बैंकिंग क्षेत्र में 18 वर्षों का अनुभव है और सुनील नाथी, टेक मेंटर, आईओटी और आईटी स्पेस में 40 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ आते हैं। सुनील ने इसरो, भारतीय रक्षा और कई अन्य संगठनों द्वारा परियोजनाओं के लिए काम किया है।
यह काम कैसे करता है?
सेफ लॉकेट व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए एक उच्च तकनीक वाला सरल उपकरण है। उत्पाद का निर्माण एट्रैक्सिया मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाता है, जो नए जमाने की अत्याधुनिक तकनीक का निर्माण और शोध करता है और समाधानों के लिए एक अलग विजन प्रदान करता है।
उत्पाद न केवल महिलाओं के लिए बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी विकसित किया गया है। सेफ लॉकेट पहनते समय, बस इतना करना है कि लॉकेट को तुरंत दबाया जाए और कुछ ही मिनटों में मदद आ जा जाती है। उत्पाद को IIT खड़गपुर के छात्रों और दुनिया भर के इंजीनियरों के सहयोग से विकसित किया गया है, जिसमें इसरो के इंजीनियरों और डेवलपर्स और भारतीय रक्षा इंजीनियरों शामिल हैं।
धनंजय कहते हैं,
"हमारा उद्देश्य एक सुरक्षित भारत बनाना और प्रगति को अगले स्तर तक ले जाना है। सेफ लॉकेट सबसे कॉम्पैक्ट पहनने योग्य उपकरणों में से एक है, जो एक स्टैंडअलोन (स्वतंत्र रूप से काम करने वाला) डिवाइस भी है और फोन, वाई जैसे किसी बाहरी सपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। यह न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अपने प्रकार के सबसे तकनीकी उन्नत उपकरणों में से एक बनाता है।”
डिवाइस में कभी भी, कहीं भी ट्रैक करने का विकल्प होता है। यूजर्स व्हाट्सएप पर एक एसओएस संदेश या एक टेक्स्ट संदेश और जीपीएस स्थान के साथ सेफ लॉकेट ऐप अलर्ट के साथ-साथ वहां जो कुछ भी हो रहा है उसकी एक छोटी आवाज रिकॉर्डिंग भेज सकते हैं।
सेफ लॉकेट में फॉल डिटेक्ट का विकल्प होता है, जो यह पता लगाएगा कि कोई यूजर नीचे गिरा है या नहीं और डिवाइस उनके सुरक्षित संपर्क को एक संदेश भेजता है। इसके लिए किसी इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सेफ लॉकेट इंटरनेट, सिम आदि के साथ प्री-लोडेड आता है। कोई भी इसे आसानी से पहन सकता है और इसका उपयोग कर सकता है।
डिवाइस में दो दिनों तक की बैटरी लाइफ है और यह तुरंत रिचार्ज हो जाता है। सेफ लॉकेट भी वेदरप्रूफ है और इसकी कीमत 7,500 रुपये है।
धनंजय कहते हैं,
“पूर्ण उत्पादन में हम एक दिन में 1,000 उपकरणों का उत्पादन करने में सक्षम होंगे। इस विशिष्ट संस्करण को विकसित करने में लगभग दो साल लगे हैं।”
ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार वैश्विक आत्मरक्षा उत्पादों के बाजार का आकार 2018 में 2.4 बिलियन डॉलर था और 2019 से 2025 तक 5.9 प्रतिशत की सीएजीआर से विस्तार होने की उम्मीद है। इस स्पेस में कुछ स्टार्टअप में एक्सबूम, सेफसिटी, हेरा शामिल हैं।
धनंजय कहते हैं,
"हमारी दृष्टि उन लाखों लोगों को आराम और सुरक्षा की भावना प्रदान करना है जो डरे हुए और असुरक्षित महसूस करते हैं और उनके लिए एक समर्थन प्रणाली बनना है। हमारा लक्ष्य वर्ष 2022 के अंत तक दो मिलियन लोगों को सेफ लॉकेट पहने हुए देखना है।”
Edited by Ranjana Tripathi