स्टार्टअप को पिच करते समय इन बातों का ध्यान रखें
किसी भी स्टार्टअप के लिए उसकी पिच बहुत मायने रखती है. पिच देखकर ही ऑडियंस और इनवेस्टर्स आपके स्टार्टअप की किस्मत का फैसला करते हैं. एक आइडियल पिच कैसी होनी चाहिए, प्रजेंट करने की क्या स्टाइल हो…इन सभी चीजों के बारे में जानिए इंडियन ऑफ बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर भगवान चौधरी से
अगर आपकी दिलचस्पी स्टार्टअप शुरू करने में है तो यकीनन आपने शार्कटैंक देखा ही होगा. उसे देखकर आपको ये जरूर पता चल गया होगा कि किस स्टार्टअप को फंड देना है किसे नहीं इसका फैसला बहुत हद तक आपकी पिच प्रजेंटेशन और आपके कॉन्फिडेंस पर निर्भर करता है. पिच एक स्टार्टअप के लिए बहुत अहम चीज होती है. कई बार औसत से औसत आइडिया दमदार पिच के दम पर भारी भरकम फंडिंग उठा ले जाता है और कई बार धांसू आइडिया भी मामूली सी पिच की वजह से फंडिंग पाने के लिए भटकता रह जाता है. इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर भगवान चौधरी ने पिचिंग से जुड़े कई ट्रिक दिए हैं. जिन्हें हम आपको आज इस लेख में बताने जा रहे हैं.
आसान शब्दों में कहें तो पिच एक कहानी है. पिच हमेशा हल्की मुस्कुराहट, और एक छोटे से हैलो या नमस्कार के साथ शुरू करें. सीधे खड़े रहें, कम्फर्टेबल कपड़े पहनें. हल्के रंग की शर्ट पहनें अगर टी शर्ट पहनी है तो उसमें आपकी कंपनी का लोगो हो तभी पहनें. आवाज ऊंची हो मगर चीख जैसी न लगे. सामने बैठे लोगों की आंखों से आखें मिलाकर अपनी बात रखें. कॉन्फिडेंट रहें पर आपके हावभाव से ये न लगे कि आपमें बहुत अकड़ है. पिच ऐसी होनी चाहिए कि लोगों को उत्सुकता हो. आपकी बातें लोगों के इमोशन, भावनाओं को छूने वाली होनी चाहिए. जितना जरूरी अपनी बात रखना है उतना ही जरूरी है बीच में ठहरना. आपको ये समझना होगा कि कहां रुकना है.
कितनी बड़ी हो पिच
आपके पास 30 सेकंड, 3 मिनट 6 मिनट और 10 मिनट की पिच तैयार होनी चाहिए. जब जहां जैसी जरूरत पड़े आप वहां अपनी कहानी पिच कर सकें. लेकिन, पिच 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए. स्लाइड्स में ज्यादा शब्द न लिखें. ऐसे में ऑडियंस कन्फ्यूज हो जाती है वो स्लाइड देखें या आपको सुनें. बीच-बीच में कुछ तस्वीरें भी लगाएं. कहानी की शुरुआत तीन चार शब्दों वाले किसी कैची टैगलाइन से करें.
प्रॉब्लम और सलूशन
आप का स्टार्टअप कौन सी प्रॉब्लम सॉल्व कर रहा है, ये पिच का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.
सलूशन देखते ही लोगों के दिमाग में आना चाहिए हां इस परेशानी का तो यही हल हो सकता था. कुछ आंकड़ें दिखाएं ताकी भरोसा हो कि आपने कुछ टेस्टिंग की है और फीडबैक भी लिया है. प्रॉडक्ट के कॉम्पटीशन के बारे में जरूर बताएं. लेकिन, उसकी बुराई न करें. ये बताएं कि आपका प्रॉडक्ट दूसरी कंपनी के प्रॉडक्ट से किस तरह से अलग है.
इनवेस्टर्स ये जानना चाहेंगे कि उन्होंने अगर पैसा लगाया तो आपके प्रॉडक्ट से उन्हें कब पैसा मिलेगा. आपके पास पूरा प्लान होना चाहिए. पहले कितने कस्टमर्स आएंगे? क्या प्रॉडक्ट रेवेन्यू बनाएगा. ग्रोथ प्लान क्या हैं. अगर स्टार्टअप के लिए फंड रेज कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप बताएं कि कितना फंड अभी चाहिए कितना चाहिए और क्यों चाहिए? आप उसका इस्तेमाल किसलिए करेंगे? अभी तक आपने जिससे भी और जहां से पैसे लिए हैं उसकी पूरी जानकारी दें. जब इनवेस्टर यह समझते हैं कि आप ने अपने पैसों को भी दांव पर लगा रखा है तो उनका कॉन्फिडेंस आप पर बढ़ जाता है. कई बार इन्वेस्टर्स टीम को फंड करते हैं, आइडियाज को नहीं. अगर आप अकेले फाउंडर हैं तो वो आइडिया ठीक नहीं है. अकेले फाउंडेशन की टीम ज्यादा फंड नहीं रेज कर पाती है. अगर अकेले हैं तो बेहतर होगा कि एक अच्छी टीम तैयार करें. पिच खत्म करने के बाद पूरी कहानी को एक बार फिर शॉर्ट में दोहराएं ताकि इमोशनल कनेक्ट फिर से आ सके. आखिर में आप इनवेस्टर्स और ऑडियंस को थैंक्स जरूर बोलें.
Edited by Upasana