दो साल पहले खोया था मां को, पिता से मिले हौसले से टॉप किया IIT-JEE
देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (IIT-JEE) मेन्स के परिणामों की घोषणा हो चुकी है। मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले ध्रुव अरोड़ा ने 100 पर्सेंटाइल नंबर अर्जित करते हुए इस परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया। दो साल पहले ध्रुव की मां का देहांत हो गया था, जिसेक बाद पिता ने उनकी देखभाल की। हालांकि ध्रुव भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान में प्रवेश लेने के इच्छुक नहीं हैं। पहली बार कंप्यूटर के जरिए इस परीक्षा का आयोजन हुआ था जिसमें 9.5 लाख छात्रों ने अपना पंजीकरण करवाया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ध्रुव अरोड़ा की दिलचस्पी फिजिक्स में है इसलिए वे IIT की जगह IISc यानी भारतीय विज्ञान संस्थान को तरजीह देने की सोच रहे हैं। ध्रुव ने कहा, 'मैं जेईई एडवांस के लिए बैठूंगा लेकिन मैंने सिर्फ IIT में जाने का फैसला नहीं किया है। क्योंकि फिजिक्स मेरा पसंदीदा विषय है इसलिए मैं इसी क्षेत्र में कुछ अच्छा करना चाहता हूं। इसलिए मैं IISc के लिए भी प्रयास कर रहा हूं।'
पढ़ाई में रुचि रखने वाले 17 वर्षीय ध्रुव को खेलकूद में हिस्सा लेना भी काफी पसंद है। उन्हें फुटबॉल और टेबल टेनिस खेलने में मजा आता है और खाली समय में वह इन खेलों को खेलते हैं। उन्होंने बताया कि वे पढ़ने और जिंदगी में काफी संतुलन बनाकर रखते हैं। ध्रुव ने बताया, 'मैं हर रोज कम से कम 5-6 घंटे रोजाना स्वाध्याय करता था। कभी इससे कम भी होता था तो कभी इससे ज्यादा भी। मैं सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करता था बल्कि खेलकूद और फिल्में देखना का भी वक्त निकाल लेता था।'
ध्रुव अपनी सफलता का श्रेय NCERT की किताबों को देते हैं। वे कहते हैं, 'JEE मेन्स की परीक्षा पास करने के लिए NCERT की किताबें पर्याप्त हैं। इस बार का एग्जाम थोड़ा आसान भी था। मैंने बीते वर्षों के प्रश्न पत्रों को भी गंभीरता से देखा था। मैंने नेशनल लेवल ओलंपियाड्स में हिस्सा लिया था जिससे मेरी तैयारी को बल मिला।' कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन टेस्ट के बारे में अरोड़ा का मानना है कि इससे काफी आसानी हुई और परीक्षा में ज्यादा वक्त भी मिला। दो साल पहले ध्रुव की मां का देहांत हो गया था, लेकिन उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया और उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। ध्रुव बताते हैं कि पिता की वजह से वे अपने लक्ष्य से नहीं भटके और जो चाहते थे वो हासिल कर सके। अब वे ओलंपियाड के अगले चरण के लिए तैयारी कर रहे हैं।
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