IIT से पढ़े, 25 साल तक कॉर्पोरेट में की नौकरी, अब संभाला खेतों को सुधारने का जिम्मा
उत्तर प्रदेश के अनुप टंडन जिन्होंने आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई की है,अपनी कंपनी के उत्पाद से बहुत तेजी से किसानों का भरोसा और विश्वास जीत रहे हैं।
किसान अपने अपने खेतों की भलाई के लिए उतना ही बेचैन रहता है जितना एक मां-बाप अपने बच्चे के लिए। खेतों को उपजाऊ बनाए रखने के लिए भी उनका बहुत देखभाल करना पड़ता है। उत्तर प्रदेश के अनुप टंडन जिन्होंने आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई की है,अपनी कंपनी के उत्पाद से बहुत तेजी से किसानों का भरोसा और विश्वास जीत रहे हैं।
विश्व की प्रमुख कंपनियों में 25 सालों के अपने कार्य अनुभव के बाद अनुप टंडन भारतीय किसानों के लिए कुछ प्रभावकारी करना चाहते थे। उसी सपने का साकार रूप है, तत्वा हाईकल एंड कंपाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी। यह कंपनी मिट्टी का संरक्षण और उर्वरकता बढ़ाने के लिए कुछ ऐसे उत्पाद तैयार कर रही है जो भारत में अबतक उपलब्ध नहीं था। इसके लिए उन्होंने होसुर में एक स्थानीय कंपनी की सहायता से छोटी सी फैक्ट्री स्थापित किया है। इस फैक्ट्री में मिनशक्ति नामक उत्पाद तैयार होता है। मिनशक्ति ग्रेन्यूल्स चूने पत्थर से बनाए जाते हैं।
'तत्वा हाइकल' के संस्थापक निदेशक अनुप टंडन कहते हैं कि मिट्टी में सोलह तत्व सभी पौधों के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन ज्यादातर किसान एनपीके यानी सामान्य उर्वरकों का ही इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी में अन्य तत्वों का कमी और पीएच असंतुलित हो जाता है। परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरकता कम हो जाती है। जिससे पौधों में बीमारियां आती हैं और किसान एक अंतहीन समस्या में फंसता चला जाता है। साथ ही उन्हें ज्यादा रासायनिक उर्वरकों और दवाईयों पर आश्रित रहना पड़ता है। इस समस्या का उपचार तभी हो सकता है जब किसानों को पूर्ण पोषण देने वाले उर्वरक उपलब्ध करवाये जायें।
चूना पत्थर और डोलोमाईट प्राकृतिक ख़निज हैं जो कैल्शियम और मैग्निशियम प्रदान करते हैं। परन्तु इनके उचित उपयोग के लिए इनका सूक्ष्मीकरण करना होता है। तत्वा हाइकल ने भारत में पहला ग्रन्यूलेशन प्रोजेक्ट लगाया है। जिसके माध्यम से ख़निज को एक उपयोगी तत्व के रूप में ढ़ाला जाता है। तत्वा हाइकल ने इसे मिनशक्ति के नाम से बाजार में उतारा है। मिनशक्ति का अर्थ है मिनरल से मिलने वाली शक्ति।
मिनशक्ति जनवरी 2018 से किसानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है। अभी तक किसानों की तरफ से इसको बहुत ही सकारात्नमक प्रतिक्रिया मिली है। वर्षों से वैज्ञानिक चूने की उपयोगिता को साबित करते आए हैं। लेकिन बाजार में सार्थक रूप में उपलब्ध न होने के कारण कृषि क्षेत्रों में इनका उपयोग निम्नतम स्तर पर रहा है। लेकिन मिनशक्ति के रूप में किसानों को एक विकल्प मिल रहा है।
अनुप ने मिनशक्ति बनाने का विचार अपने पूर्व अनुभव, विश्वव्यापी दृष्टिकोण और भारतीय मिट्टी की बिगड़ती सेहत के आधार पर किया। अनुप के इस प्रयास को प्रोफेसर डॉ. रामकृष्ण परमा और साथी अखिलेश का साथ मिला। तत्वा हाइकल को इनोवेटिव आइडिया के लिए अब तक तीन पुरस्कार मिल चुके हैं।
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