भारत बहुत कम लागत पर दुनिया के शीर्ष पांच स्वास्थ्य सेवा निर्माताओं में से एक के रूप में उभरा है: डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेन्द्र सिंह नई दिल्ली में कंसोर्टियम ऑफ एक्रेडिटिड हेल्थकेयर (CAHO) द्वारा आयोजित 8वें काहोटेक (CAHOTECH), वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि उच्च तकनीक वाले चिकित्सा उपकरणों के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच, भारत बहुत कम लागत पर दुनिया के शीर्ष पांच स्वास्थ्य सेवा निर्माताओं में से एक के रूप में उभरा है. उन्होंने कहा कि भारत जीवन रक्षक उच्च जोखिम वाले चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कर रहा है, लेकिन इनकी लागत दूसरों के मुकाबले बहुत कम है.
डॉ. जितेन्द्र सिंह नई दिल्ली में कंसोर्टियम ऑफ एक्रेडिटिड हेल्थकेयर (CAHO) द्वारा आयोजित 8वें काहोटेक (CAHOTECH), वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा उपकरणों को देश के एक उभरता क्षेत्र माना जाता है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार भारत को इनका विनिर्माण केन्द्र बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है.
उन्होंने कहा कि भारत चिकित्सा प्रौद्योगिकी और उपकरणों का वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है. इसका वर्तमान बाजार आकार 11 बिलियन डॉलर (लगभग, 90,000 करोड़ रुपये) है, जिसके 2050 तक बढ़कर 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि 1.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी से हमें यह उम्मीद है कि अगले 25 साल में भारत की यह बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 10-12 प्रतिशत हो जाएगी.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने चिकित्सा उपकरणों की पहचान एक प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में की है और सरकार स्वदेशी विनिर्माण इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.
राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 और चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात-संवर्धन परिषद की स्थापना का उद्देश्य भारत को चिकित्सा उपकरण विनिर्माण का केंद्र बनाना है. इसके अलावा, ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड सेटअप और चिकित्सा उपकरण पार्क योजना को बढ़ावा देने के लिए स्वचालित मार्ग के तहत शत-प्रतिशत एफडीआई अनुसंधान और विनिर्माण को उत्प्रेरित करने का काम करता है. उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजना से देश में उन 43 महत्वपूर्ण सक्रिय दवा सामग्रियों (API) का उत्पादन किया जा रहा है, जो पहले विदेश से आयात की जाती थी.
केन्द्र सरकार हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में 4 चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना करने में सहायता प्रदान कर रही है. चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत, अब तक, 1,206 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ कुल 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और इसमें से अब तक 714 करोड़ रुपये का निवेश हासिल कर लिया गया है. इन 26 परियोजनाओं में से 14 परियोजनाएं, 37 उत्पादों का उत्पादन शुरु हो गया है और उच्च चिकित्सा उपकरणों का घरेलू विनिर्माण शुरू हो गया है जिसमें लाइनर एक्सीलेटर एमआरआई, स्कैन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म, एमआरआई कॉइल्स, हाई एंड एक्स-रे ट्यूब आदि शामिल हैं.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नॉलॉजी तिरूवनंतपुरम द्वारा विकसित कृत्रिम हृदय वाल्व, हाइड्रोसिफ़लस शंट, ऑक्सीजनेटर और ड्रग एल्यूटिंग इंट्रा यूटरिन उपकरण जैसी तकनीकों का निर्माण केवल अमेरिका, जापान, ब्राजील और चीन में ही किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि स्वदेश निर्मित विश्वस्तरीय चिकित्सा उपकरण भारतीय मरीजों को उनके आयातित उपकरणों की तुलना में लगभग एक-चौथाई से एक-तिहाई मूल्यों पर उपलब्ध हो रहे हैं, जो चिकित्सा उपकरणों के साथ-साथ चिकित्सा प्रबंधन में देश के आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर दृष्टिकोण को दर्शाता है.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि CSIR-CEERI (केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान), पिलानी द्वारा व्यावसायिक उपयोग के लिए विकसित उच्च शक्ति वाला मैग्नेट्रॉन ऑन्कोलॉजिस्ट के लिए 2 मिलीमीटर व्यास के ब्रेन ट्यूमर का इलाज करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण तकनीक है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 1 अगस्त, 2023 को नई दिल्ली में भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित, किफायती, हल्का, अल्ट्राफास्ट, हाई फील्ड (1.5 टेस्ला), अगली पीढ़ी के मैगनेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (MRI) स्कैनर लॉन्च किया था.
स्वदेशी MRI स्कैनर से आम आदमी के लिए एमआरआई स्कैनिंग की लागत काफी कम होने की उम्मीद है, जिससे उच्च लागत वाले एमआरआई स्कैन तक व्यापक पहुंच हो जाएगी. इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय बाजार से एमआरआई स्कैनर को खरीदने में होने वाले पूंजी निवेश में काफी कमी होने से बहुत सारी विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी.
दुनिया की लगभग 70% आबादी के पास एमआरआई नैदानिक पद्धति तक कोई पहुंच नहीं है. इसका कारण निषेधात्मक रूप से उच्च पूंजीगत लागत है जो भारत जैसे विकासशील देशों में एक बड़ी समस्या है. वर्तमान में देश में लगभग 350 मशीनों की वार्षिक मांग है, लेकिन फ्लैगशिप आयुष्मान भारत पहल सहित सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच और समावेशिता की अनेक पहलों के कारण, इनकी वार्षिक मांग 2030 तक दोगुनी से अधिक होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि भारत स्वदेशी रूप से विकसित पहला एमआरआई स्कैनर उपलब्ध कराकर इनमें से कई समस्याओं का समाधान करेगा, क्योंकि यह मशीन पहले से उपलब्ध मशीनों की तुलना में बहुत किफायती है. उन्होंने कहा कि यह ग्लोबल साउथ में अन्य देशों के साथ इस सफलता को साझा करने की संभावनाओं का प्रस्ताव भी करता है, जिससे उन्हें सस्ती और भरोसेमंद चिकित्सा इमेजिंग समाधानों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी.
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) की मदद से पैनेसिया मेडिकल टेक्नोलॉजिज प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर ने पिछले वर्ष भारत का पहला सबसे उन्नत और अभिनव SBRT सक्षम लीनियर एक्सीलरेटर (LINAC), सिद्धार्थ द्वितीय लांच किया, जो 3DCRT, VMAT, IMRT, SBRT और SRS जैसे उपचार के तौर-तरीकों को करने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि यह विश्व का ऐसा तीसरा ब्रांड है जो दो बड़ी वैश्विक कंपनियों ब्रिटेन और जापान के अलावा बाजार के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' के मंत्र और 'मेड फॉर द वर्ल्ड' के अनुरूप इस मशीन को दुनिया के कई देशों में निर्यात किया जा सकता है, क्योंकि कंपनी को पहले ही यूएस एफडीए की मंजूरी मिल चुकी है.
मंत्री ने कहा कि सरकार ने दवा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसाधन सामग्री विधेयक 2023 का नवीनतम मसौदा परिपत्रित किया है, जिसमें एक प्रावधान है जो सरकार को अधिसूचना द्वारा किसी भी दवा की ऑनलाइन बिक्री या वितरण को विनियमित करने, प्रतिबंधित करने या प्रतिबंधित करने की अनुमति देता है.
उन्होंने कहा, "40 वर्ष से कम आयु के 70% आबादी वाले देश में और आज के युवा India@2047 के प्रमुख नागरिक बनने जा रहे हैं, निवारक स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक जन स्क्रीनिंग हमारी अर्थव्यवस्था को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित विकास की अपेक्षित दर को प्राप्त करने में मदद करेगी."