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रिसर्च क्वॉलिटी में सुधार के लिए भारत को विज्ञान के क्षेत्र में अधिक महिलाओं की जरूरत: नारायण मूर्ति

भारत को विज्ञान के क्षेत्र में अपनी रिसर्च जारी रखने के लिए योग्य महिला शोधकर्ताओं के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत है।

 रिसर्च क्वॉलिटी में सुधार के लिए भारत को विज्ञान के क्षेत्र में अधिक महिलाओं की जरूरत: नारायण मूर्ति

Monday January 07, 2019 , 5 min Read

नारायण मूर्ति


"हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संगठन क्लेरिवेट एनालिटिक्स ने दुनिया के सबसे काबिल 4000 शोधकर्ताओं (एचसीआर) की लिस्‍ट जारी की है। इस लिस्‍ट में भारत के केवल 10 शोधकर्ताओं का नाम शामिल हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन भारतीयों में केवल एक ही महिला है।"


इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने बेंगलुरु में कहा कि भारत को विज्ञान के क्षेत्र में अपनी रिसर्च जारी रखने के लिए योग्य महिला शोधकर्ताओं के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संगठन क्लेरिवेट एनालिटिक्स ने दुनिया के सबसे काबिल 4000 शोधकर्ताओं (एचसीआर) की लिस्‍ट जारी की है। इस लिस्‍ट में भारत के केवल 10 शोधकर्ताओं का नाम शामिल हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन भारतीयों में केवल एक ही महिला है। जहां इस लिस्ट में अमेरिका पहले नंबर पर है तो वहीं ब्रिटेन दूसरे और चीन ने तीसरा स्‍थान प्राप्‍त किया है। अमेरिका के सबसे ज्यादा 2639 वैज्ञानिक और ब्रिटेन के 546 वैज्ञानिक इस सूची में शामिल किए गए हैं। जबकि चीन के 482 वैज्ञानिकों के नाम इस सूची में मौजूद है। 

यह पूछे जाने पर कि क्या अधिक महिला शोधकर्ता भारत में रिसर्च की क्वालिटी को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं, प्रसिद्ध आईटी इंडस्ट्रियलिस्ट ने कहा, "बिल्कुल, इसमें कोई संदेह नहीं है ..." मूर्ति ने कहा, "जब भी मैं देश के किसी भी विश्वविद्यालय या आईआईटी या किसी और संस्थानों के दीक्षांत समारोह के लिए जाता हूं, मुझे लगता है कि महिलाओं द्वारा जीते गए स्वर्ण पदकों का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में बहुत अधिक होता है।" उन्होंने कहा, "इसलिए, हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां हमारी महिला शोधकर्ताओं के लिए यह आसान हो कि वे शादी करने के बाद भी अपना काम जारी रखें, भले ही उनके बच्चे हों ..." हालांकि, मूर्ति ने यह भी कहा कि यह एक सामाजिक मुद्दा है और रिसर्च संस्थानों की इसमें कोई गलती नहीं है। मूर्ति ने कहा, "हमारे समाज में, हमें ऐसा मकैनिज्म बनाने की जरूरत है जिससे योग्य महिला शोधकर्ताओं को अपने शोध पर फोकस जारी रखने में कोई बाधा नहीं आए।"

इन्फोसिस पुरस्कार समारोह से पहले उन्होंने कहा, "यह काफी मदद करता है। देश में 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है और उनका प्रदर्शन स्नातक स्तर पर और शायद परास्नातक स्तर पर पुरुषों से कम नहीं है।" इन्फोसिस पुरस्कार, इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन (ISF) द्वारा वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और सामाजिक वैज्ञानिकों को दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है और शोध को मान्यता देने के लिए भारत में सर्वोच्च मौद्रिक पुरस्कारों में से एक है।

इस वर्ष, छह प्रतिष्ठित प्रोफेसरों को विज्ञान और रिसर्च की विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वार्षिक पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक, एक प्रशस्ति पत्र, और 100,000 डॉलर (या भारतीय रुपये में इसके समकक्ष) का पुरस्कार शामिल है। मूर्ति का मानना है कि भारत ने एक ऐसा वातावरण बनाने के महत्व को समझा है जहां शोधकर्ता वास्तव में वैश्विक बेहतरी में योगदान दे सकते हैं और विश्व स्तरीय काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "हम अभी भी प्रारंभिक अवस्था में हैं, और मैं सकारात्मक हूं कि जैसे ही हम शीर्ष 4000 वैज्ञानिकों में भारतीयों की संख्या में आगे बढ़े वैसे ही हम आगे और तेजी से बढ़ेंगे। और मुझे कोई संदेह नहीं है कि इन्फोसिस विज्ञान पुरस्कार इस प्रयास को एक प्रोत्साहन प्रदान करेगा।" उन्होंने कहा कि कई इन्फोसिस पुरस्कार विजेताओं ने रिसर्च में नोबेल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। 

देश में रिसर्च और विज्ञान के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि शोध संस्थानों को अधिक से अधिक विषय वाले दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए और देश के बाहर के शोधकर्ताओं के साथ अधिक बातचीत का प्लेटफॉर्म प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फंडिंग रिसर्च क्वालिटी में सुधार के लिए बाधा नहीं बन सकती। निकट भविष्य में अनुसंधान और विज्ञान के क्षेत्र में आने वाली चीजों को लेकर वह बहुत आशान्वित और उत्साहित हैं। मूर्ति ने कहा कि यूपीए सरकार और वर्तमान एनडीए सरकार दोनों ने उच्च शिक्षा की क्वालिटी में सुधार करने में बहुत रुचि ली है। यूपीए ने उच्च शिक्षा के लिए फंड के आवंटन को तीन गुना कर दिया, वर्तमान सरकार ने इसे जारी रखा है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि कोई फंडिंग मुद्दा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के साथ अधिक समय बिताने की जरूरत है और उन्हें भारत के बाहर सम्मेलनों में भाग लेना चाहिए।

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमारा उद्देश्य विश्व स्तरीय काम करने का होना चाहिए। सबसे अच्छा शोध कार्य करने का होना चाहिए। सबसे अच्छा शोध कार्य करने के लिए पहले से अधिक खुले दिमाग से काम करना होगा। दूसरा हमारे युवाओं को दुनिया के साथ बातचीत करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करना है।" उन्होंने कहा कि अगर हम इन चीजों को अपनाते हैं तो मुझे यकीन है कि हम रिसर्च की क्वालिटी में सुधार कर सकते हैं।


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