क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड, जानिए राजनीतिक दलों को कैसे मिलता है पैसा?
आज यहां इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ये बॉन्ड होते क्या हैं? कौन इन्हें खरीद सकता था? इनकी मियाद कितनी होती है? साथ ही आप यह भी जानेंगे कि राजनीतिक दलों को पैसा कैसे मिलता है?
सुप्रीम कोर्ट के तत्काल रोक लगाने से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) (electoral bonds scheme) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनी हुई 29 ब्रांच में मिल रहे थे.
आज यहां इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ये बॉन्ड होते क्या हैं? कौन इन्हें खरीद सकता था? इनकी मियाद कितनी होती है? साथ ही आप यह भी जानेंगे कि राजनीतिक दलों को पैसा कैसे मिलता है?
क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड की पेशकश साल 2017 में फाइनेंशियल बिल के साथ की गई थी. 29 जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA गवर्नमेंट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम 2018 को अधिसूचित किया था.
इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र होता है जिसे नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनी हुई 29 शाखाओं से खरीद सकते थे. ये बॉन्ड नागरिक या कॉर्पोरेट अपनी पसंद के हिसाब से किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को डोनेट कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति या फिर पार्टी इन बॉन्ड को डिजिटल फॉर्म में या फिर चेक के रूप में खरीद सकते हैं. ये बॉन्ड बैंक नोटों के समान होते हैं, जो मांग पर वाहक को देने होते हैं.
कौन खरीद सकता था?
चुनावी बॉन्ड एक व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता था, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित कंपनी है. एक व्यक्ति एक इंडिविजुअल होने के नाते अकेले या अन्य इंडिविजुअल के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता था. बॉन्ड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को फंड के योगदान के उद्देश्य से जारी किए जाते थे.
क्यों पड़ी इलेक्टोरल बॉन्ड की जरूरत?
राजनीति में कालाधन रोकने और राजनीतिक चंदे के देनदारी में पारदर्शिता लाने के मकसद से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने का सिस्टम लाया गया. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू करने का ऐलान किया था.
कैसे काम करते हैं?
इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करना काफी आसान है. ये बॉन्ड 1,000 रुपए के मल्टीपल में पेश किए जाते हैं जैसे कि 1,000, ₹10,000, ₹100,000 और ₹1 करोड़ की रेंज में हो सकते हैं. ये आपको SBI की कुछ शाखाओं पर आपको मिल जाते हैं. कोई भी डोनर जिनका KYC- COMPLIANT अकाउंट हो इस तरह के बॉन्ड को खरीद सकते हैं. और बाद में इन्हें किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट किया जा सकता है. इसके बाद रिसीवर इसे कैश में कन्वर्ट करवा सकता है. इसे कैश कराने के लिए पार्टी के वैरीफाइड अकाउंट का यूज किया जाता है. इलेक्टोरल बॉन्ड भी सिर्फ 15 दिनों के लिए वैलिड रहते हैं.
टैक्स में छूट?
इलेक्टोरल बॉन्ड में निवेश पर टैक्स छूट का लाभ भी मिलता है. इनकम टैक्स की धारा 80GGC/80GGB के टैक्स छूट मिलती है. इसके अलावा, राजनीतिक दलों को Income Tax Act के Section 13A के तहत बॉन्ड के तौर पर मिले चंदे पर छूट दी जाती है.
राजनतिक दलों को कैसे मिलता है पैसा?
आपके द्वारा खरीदे गए हर चुनावी बॉन्ड की मियाद होती है और पार्टियों को इस तय समय के भीतर ही बॉन्ड भुनाकर अपना पैसा बैंकों से लेना होता है. अगर कोई दल ऐसा नहीं कर पाया तो उसका बॉन्ड निरस्त कर दिया जाता है और पैसा बॉन्ड खरीदने वाले को वापस कर दिया जाता है. इसके लिए दलों को 15 दिन का समय दिया जाता है और इस समय सीमा के भीतर ही बॉन्ड भुनाना जरूरी है. बॉन्ड खरीदने के बाद ग्राहक इसे अपनी पसंद की पार्टी को देता है और वह बैंक से पैसा लेती है.