एक अरब डॉलर से ज्यादा हुई देश की तीन नई कंपनियों की मार्केट वैल्यू
"भारत की युवा पीढ़ी नए गठजोड़ बनाकर स्टार्टअप की दुनिया में सफलता शानदार इतिहास लिख रही है। उन्हीं के कारण तो देश में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र संभव हुआ है। इस बीच देश की तीन नई कंपनियों सिएटल, ध्रुवा और ओला इलेक्ट्रिक की मार्केट वैल्यू एक अरब डॉलर से भी ज्यादा हो चुकी है।"
भरोसे के भविष्य की दृष्टि से दीपा करमाकर, हिमा दास जैसे एथलीट हों या तमाम कामयाब युवा उद्यमी, कलाकार, लेखक, इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, प्रशासक; इस समय हमारे देश की युवा पीढ़ी सरकार, नागरिक समाज, कंपनियों और अकादमिक जगत के बीच नये गठजोड़ बनाकर बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर पार पाते हुए जीवन के हर क्षेत्र में निखर उठी है। वह सफलता का शानदार इतिहास लिख रही है।
इस समय भारत में दुनिया का दूसरी सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है। हैरानी तो इस बात की है कि इन स्टार्टअप के संस्थापकों की औसत उम्र महज 31 साल है। उनके कारण ही तो कोच्ची के कलामस्सेरी में केरल के स्टार्टअप मिशन द्वारा दक्षिण एशिया के सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में 1.82 लाख वर्गफीट क्षेत्रफल में एक हजार सीटों की क्षमता वाले देश का सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम 'इंटीग्रेटेड स्टार्टअप काम्पलेक्स' लांच हो सका, जिसने जयपुर बेस्ट भामाशाह टेन्को हब को पीछे छोड़ दिया है। भविष्य में इसके दुनिया के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी स्टार्टअप हब 'स्टेशन एफ' से भी आगे निकल जाने की संभावना है।
वेंचर केटलिस्ट, मुंबई के निदेशक नीरज त्यागी का कहना है कि आज परंपरागत बिजनेस में ग्रोथ की धीमी गति के दौर में बिजनेस एप्रोच बदलने की जरूरत हैं। चीन के निवेशक इस वक़्त स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंक, मीडिया, होटल, फूड, रियल स्टेट, आईटी सेक्टर के भारतीय स्टार्टअप्स में भारी इंवेस्ट कर रहे हैं। इसीलिए देश में आईआईटीयन, इंजीनियर्स, डॉक्टर्स, सीए और टेक्नोक्रेट स्टार्टअप के जरिए बिजनेस में तेजी से कदम रख रहे हैं। इस बीच विगत दो महीनों में भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में कुछ नए सुखद बदलाव सामने आए हैं। देश की तीन नई कम्पनियों की मार्केट वैल्यूएशन एक अरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। इन तीनो को मिलाकर इस साल अब तक कुल सात कम्पनियों को यूनिकॉर्न स्टार्टअप की सुर्खियां मिली हैं। जेरोधा, देल्हिवरी, डेली हंट और पेटीएम मनी के साथ साथ तीन कम्पनियों ने पूरे इकोसिस्टम को आश्चर्यचकित कर दिया है।
देश में कुल यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या 18 हो चुकी है। यूनिकॉर्न उन स्टार्टअप्स को कहते हैं जिनका वैल्युएशन कम से कम एक अरब डॉलर (7,100 करोड़ रुपए) हो। जोमातो, स्विगी, पॉलिसीबाजार और फ्रेशवर्क्स समेत 8 स्टार्टअप्स इस साल यूनिकॉर्न क्लब में जुड़े हैं। वैसे तो पिछले साल ही भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे और विश्व में बिज़नेस एस्टेब्लिशमेंट में प्रथम स्थान हासिल कर 10 नए स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न स्टार्टअप में शामिल हो गए थे। इस साल यूनिकॉर्न लिस्ट में शामिल, आगे निकल जाने वाले स्टार्टअप्स में एक सिएटल बिज़नेस सॉल्यूशन सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराती है।
देसी-विदेशी कुल 115 मिलियन डॉलर की सीरीज फंडिंग में इसकी वैल्युएशन एक बिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। इसी तरह पुणे की 'ध्रुवा' को 130 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है, जिससे इसकी वैल्युएशन एक बिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। 'ओला इलेक्ट्रिक' को हाल ही में सॉफ्टबैंक से मिली 250 मिलियन डॉलर की सीरीज फंडिंग से इसकी मार्केट वैल्यू एक बिलियन डॉलर हो गई है। इन तीन स्टार्टअप्स के अलावा दर्जनों सुनिकोर्न्स स्टार्टअप्स के यूनिकॉर्न लिस्ट में शामिल हो लेने की उम्मीद है।
जहां तक, स्टार्टअप इकोसिस्टम में ताज़ा रैंकिंग का सवाल है, उसमें दुनिया के सौ देशों में 10.651 स्कोर के साथ भारत 17 वें स्थान पर है। पिछले वर्ष यह 37 वें स्थान पर था। यह ताज़ा रिपोर्ट स्टार्टअप इकोसिस्टम की उस स्टडी के आधार पर सामने आई है, जो ताकत के आधार पर देशों को रैंक करती है और विश्व के एक हजार शहरों तथा सौ देशों के स्टार्टअप इकोसिस्टम को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। इस रैंकिंग रिपोर्ट में भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई को (क्रमशः 11वें, 18वें और 29वें स्थान पर) शीर्ष महानगर बताया गया है। विश्व के ऐसे शहरों की रैंकिंग में सेन फ्रांसिको पहले, न्यूयार्क दूसरे और लन्दन तीसरे स्थान पर है। इस तरह की स्टार्टअप इकोसिस्टम पर केंद्रित स्टडी का उद्देश्य विश्व स्तर पर स्टार्टअप हब को रैंकिंग प्रदान करना होता है। ग्लोबल इकोसिस्टम रैंकिंग रिपोर्ट-2019 में अमेरिका 44.090 स्कोर के साथ पहले, ब्रिटेन 16.719 स्कोर के साथ तीसरे, कनाडा 15.867 स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर है।